मैसूर : स्थानीय कोटे अंजनेय स्वामी मंदिर ( Kote Anjaneya Swamy Temple) में शाम 4.36 बजे से 4.46 के बीच शुभ मीना लग्न में विशेष पूजा होगी. सीएम बोम्मई और यदुवीर वोडेयार देवी चामुंडेश्वरी की पूजा करेंगे. देवी काे स्वर्ण अंबरी में ताज पहनाया जाएगा.
ईटीवी भारत से बात करते हुए कलाकार नागलिंगप्पा बडिगेरी ने कहा कि हाथियों काे परंपरा के अनुसार सजाया जाता है.
अंबरी को धारण करने वाले हाथी को पांच कलाकार सजाते हैं. इसके लिए कम से कम 3 से 4 घंटे का समय लगता है. तड़के 3 बजे से हाथियों को सजाने का काम शुरू हो जाता है. सभी हाथियों को सुबह 10 बजे के भीतर पूरी तरह से सजाया जा चुका हाेता है. हाथियों को तरह-तरह के प्राकृतिक रंगों से सजाया जाता है. इसके लिए 5 से 7 किलो रंग का प्रयोग किया जाता है.
इस जुलूस का मुख्य आकर्षण देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति है जिसे सजे हुए हाथी पर एक साेने के हाैदे या अंबारी (जो लगभग 750 किलोग्राम सोने से बना है) पर रखा जाता है. इस मूर्ति को जुलूस में ले जाने से पहले शाही जोड़े और अन्य आमंत्रित लोगों द्वारा देवी की पूजा की जाती है.
इस वर्ष प्रशासन द्वारा लगाए गए COVID-19 प्रतिबंधों के कारण, स्थानीय लोगों ने महल में आयोजित होने वाले अनुष्ठानों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को नहीं देखा. कर्नाटक सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार शाेभा यात्रा में केवल 500 ही भाग ले सकते हैं.
जंबाे सवारी (शाेभा यात्रा) शुरू होने से पहले नंदी ध्वज पूजा होगी. मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई शाम 4.36 बजे से 4.46 बजे के बीच नंदी ध्वज पूजा करेंगे. जंबाे सवारी शाम 5 बजे से शाम 5.30 बजे के बीच शुरू होगी. जंबाे सवारी में कलाकारों की 13 टीमें (पारंपरिक नृत्य की 13 टीमें) भाग लेंगी. अलग-अलग झांकियां शोभायात्रा का आकर्षण होंगी.
मैसूर दशहरा की शुरुआत विजयपुर के राजाओं ने 15वीं सदी में की थी. इस त्योहार की दोबारा 17वीं सदी में शुरुआत हुई जब मैसूर के वोडेयारों ने अपना राज्य दक्षिण में स्थापित किया और महानवमी के जश्न की शुरुआत की.
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