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चीन-पाकिस्तान वाले बयान पर बोला अमेरिकी विदेश विभाग, राहुल गांधी के बयान का समर्थन नहीं

लोकसभा में चीन और पाकिस्तान से संबंधित कांग्रेस नेता राहुल गांधी की टिप्पणी पर अमेरिकी प्रशासन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि कौन देश किसके करीब आया है, यह पाकिस्तान और चीन का आपसी विषय है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा में भाजपा सरकार की विदेश नीति की आलोचना की थी. उन्होंने सरकार पर पाकिस्तान और चीन की करीबी बढ़ाने का आरोप लगाया था.

US wouldnt endorse Rahul Gandhi's remark in parliament
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Published : Feb 3, 2022, 12:53 PM IST

Updated : Feb 3, 2022, 1:15 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चीन और पाकिस्तान में बढ़ी करीबी वाले बयान पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वह राहुल गांधी के चीन और पाकिस्तान को साथ लाने वाली टिप्पणियों का समर्थन नहीं करता है. गौरतलब है कि बुधवार को लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की विदेश नीति की आलोचना की थी. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया था कि बीजेपी की गलत विदेश नीति के कारण चीन और पाकिस्तान पहले से ज्यादा करीब हो गए हैं.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि मैं दो देशों के करीब आने के फैसले को पाकिस्तानियों और चीन छोड़ दूंगा. अमेरिका निश्चित रूप से राहुल गांधी की टिप्पणियों का समर्थन नहीं करता है. बता दें कि बुधवार को लोकसभा में भाषण के बाद विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने भी चीन और पाकिस्तान को एक साथ लाने वाले बयान के लिए कांग्रेस नेता को फटकार लगाई थी.
लोकसभा में कांग्रेस नेता के आरोप का तीखा जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि 1963 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से शक्सगाम घाटी को चीन को सौंप दिया था. चीन ने 1970 के दशक में पीओके के रास्ते काराकोरम हाईवे का निर्माण किया था. 1970 के दशक में भी दोनों देशों के बीच घनिष्ठ परमाणु सहयोग भी था. 2013 में, चीन ने पाकिस्तान में इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया. इसलिए राहुल अपने आप से पूछें कि क्या तब चीन और पाकिस्तान दूर थे?

अपने भाषण में कांग्रेस नेता ने कहा था कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान और चीन को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है, यह भारत के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है. उन्होंने कहा था कि चीन के पास एक बहुत स्पष्ट विजन है कि वह क्या करना चाहते हैं. भारत की विदेश नीति का एकमात्र सबसे बड़ा रणनीतिक लक्ष्य पाकिस्तान और चीन को अलग रखना है. यह भारत के लिए जरूरी है, लेकिन बीजेपी सरकार दोनों को एक साथ ले आई.

राहुल गांधी ने लोकसभा में भारत की विदेश नीति पर भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि देश आज पूरी तरह से अलग-थलग हो चुका है. उन्होंने रिपब्लिक डे समारोह के लिए विदेशी मेहमान के नहीं आने पर भी सरकार को आड़े हाथ लिया था. कांग्रेस नेता ने कहा कि अपने आप से पूछें कि गणतंत्र दिवस पर आपको अतिथि क्यों नहीं मिल रहा है. आज भारत पूरी तरह से अलग-थलग और घिरा हुआ है. हम श्रीलंका, नेपाल, बर्मा, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन से घिरे हुए हैं. हमारे विरोधी हमारी स्थिति को समझते हैं.

राहुल गांधी के इन आरोपों पर निशाना साधते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्विटर किया कि हमें गणतंत्र दिवस के लिए एक विदेशी मेहमान नहीं मिला. भारत में रहने वाले जानते हैं कि हम कोरोना लहर के बीच में हैं. क्या राहुल गांधी को यह पता है कि मध्य एशिया के 5 राष्ट्रपति जो भारत आने वाले थे, उन्होंने भी इस कारण 27 जनवरी को वर्चुअल शिखर सम्मेलन के जरिये बातचीत की थी.

पढ़ें : चीन को गलवान झड़प में कहीं ज्यादा नुकसान हुआ : ऑस्ट्रेलिया के अखबार का दावा

नई दिल्ली : कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चीन और पाकिस्तान में बढ़ी करीबी वाले बयान पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी है. अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा कि वह राहुल गांधी के चीन और पाकिस्तान को साथ लाने वाली टिप्पणियों का समर्थन नहीं करता है. गौरतलब है कि बुधवार को लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की विदेश नीति की आलोचना की थी. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया था कि बीजेपी की गलत विदेश नीति के कारण चीन और पाकिस्तान पहले से ज्यादा करीब हो गए हैं.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि मैं दो देशों के करीब आने के फैसले को पाकिस्तानियों और चीन छोड़ दूंगा. अमेरिका निश्चित रूप से राहुल गांधी की टिप्पणियों का समर्थन नहीं करता है. बता दें कि बुधवार को लोकसभा में भाषण के बाद विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने भी चीन और पाकिस्तान को एक साथ लाने वाले बयान के लिए कांग्रेस नेता को फटकार लगाई थी.
लोकसभा में कांग्रेस नेता के आरोप का तीखा जवाब देते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि 1963 में पाकिस्तान ने अवैध रूप से शक्सगाम घाटी को चीन को सौंप दिया था. चीन ने 1970 के दशक में पीओके के रास्ते काराकोरम हाईवे का निर्माण किया था. 1970 के दशक में भी दोनों देशों के बीच घनिष्ठ परमाणु सहयोग भी था. 2013 में, चीन ने पाकिस्तान में इकोनॉमिक कॉरिडोर का निर्माण शुरू किया. इसलिए राहुल अपने आप से पूछें कि क्या तब चीन और पाकिस्तान दूर थे?

अपने भाषण में कांग्रेस नेता ने कहा था कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान और चीन को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है, यह भारत के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है. उन्होंने कहा था कि चीन के पास एक बहुत स्पष्ट विजन है कि वह क्या करना चाहते हैं. भारत की विदेश नीति का एकमात्र सबसे बड़ा रणनीतिक लक्ष्य पाकिस्तान और चीन को अलग रखना है. यह भारत के लिए जरूरी है, लेकिन बीजेपी सरकार दोनों को एक साथ ले आई.

राहुल गांधी ने लोकसभा में भारत की विदेश नीति पर भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि देश आज पूरी तरह से अलग-थलग हो चुका है. उन्होंने रिपब्लिक डे समारोह के लिए विदेशी मेहमान के नहीं आने पर भी सरकार को आड़े हाथ लिया था. कांग्रेस नेता ने कहा कि अपने आप से पूछें कि गणतंत्र दिवस पर आपको अतिथि क्यों नहीं मिल रहा है. आज भारत पूरी तरह से अलग-थलग और घिरा हुआ है. हम श्रीलंका, नेपाल, बर्मा, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और चीन से घिरे हुए हैं. हमारे विरोधी हमारी स्थिति को समझते हैं.

राहुल गांधी के इन आरोपों पर निशाना साधते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्विटर किया कि हमें गणतंत्र दिवस के लिए एक विदेशी मेहमान नहीं मिला. भारत में रहने वाले जानते हैं कि हम कोरोना लहर के बीच में हैं. क्या राहुल गांधी को यह पता है कि मध्य एशिया के 5 राष्ट्रपति जो भारत आने वाले थे, उन्होंने भी इस कारण 27 जनवरी को वर्चुअल शिखर सम्मेलन के जरिये बातचीत की थी.

पढ़ें : चीन को गलवान झड़प में कहीं ज्यादा नुकसान हुआ : ऑस्ट्रेलिया के अखबार का दावा

Last Updated : Feb 3, 2022, 1:15 PM IST
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