ETV Bharat / bharat

विश्व दूरसंचार दिवस : डिजिटल परिवर्तन को गति देना बड़ी चुनौती

हर साल 17 मई को विश्व संचार दिवस मनाया जाता है. इसकी बदौलत पलक झपकते ही सूचना दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने में पहुंच जाती है. कोविड महामारी के दौरान संचार तकनीक हमारी ढाल बनकर आया. चाहे घर बैठे डॉक्टर से संपर्क करना हो या फिर वर्क फ्रॉम होम, ऑनलाइन क्लास हो या फिर डिजिटल संपर्क, सबकुछ बिल्कुल आसान हो गया है. इस साल की थीम है -चुनौतीपूर्ण समय में डिजिटल परिवर्तन को गति देना.

etv bharat
विश्व दूरसंचार दिवस (कॉन्सेप्ट फोटो)
author img

By

Published : May 17, 2021, 5:27 PM IST

हैदराबाद : दूरसंचार और सूचना किसी भी समाज की रीढ़ होती है. इसके बिना हमारा समाज आज भी अंधकार युग में जी रहा होता. दूरसंचार क्रांति की बदौलत आज सेकेंड में कोई भी सूचना दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच जाती है. लोग आसानी से एक दूसरे से संपर्क कर सकते हैं. हर साल 17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जाता है. इसी दिन सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राफ कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किया गया था. अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार सघ की स्थापना भी इसी दिन की गई थी. कोविड महामारी के समय में हमने इसे महसूस किया. हालांकि, इसने गांवों और शहरों के बीच डिजिटल असमानताओं को भी उजागर किया.

इस दिवस का उद्देश्य दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सुलभ कराने के साथ ही इसके प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है. किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया भर में विकसित हो रही नई तकनीक और प्रौद्योगिकी की जानकारियां उन्हें मिलती रहे. इस दिशा में दूरसंचार माध्यमों ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

विश्व दूरसंचार दिवस 1969 से 17 मई को प्रतिवर्ष मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ की स्थापना और 1865 में पहले अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राफ कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए. इसे 1973 में मलगा-तोरेमोलिनोस में प्लेनिपोटेंटियरी सम्मेलन द्वारा 46 संकल्प के रूप में स्थापित किया गया था. विश्व दूरसंचार और सूचना सोसायटी दिवस ने 17 मई को दोनों को विश्व दूरसंचार और सूचना सोसायटी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था.

विश्व दूरसंचार दिवस 2021 की थीम है 'चुनौतीपूर्ण समय में डिजिटल परिवर्तन को गति देना.'

दूरसंचार के माध्यमों जैसे रेडियो से लेकर टेलीविजन, मोबाइल, इंटरनेट, सैटेलेटाइट और सोशल मीडिया के विकास की कहानी भी काफी दिलचस्प रही है. दूरसंचार माध्यमों की शुरुआत टेलीग्राफ के आविष्कार के साथ ही हो गई थी. 1844 में सैमुअल मॉर्स ने टेलीग्राफ यानि तार के जरिए वाशिंगटन और बाल्टिमोर के बीच खबरें भेजने का सार्वजनिक प्रदर्शन किया था. इसके बाद संदेशों और सूचनाओं को विद्युत चुम्बकीय तरंगों के जरिए भेजने का प्रयास शुरू हुआ और 1864 में स्कॉटिश भौतिक विज्ञानी जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने अपने समीकरणों के इस्तेमाल से पहली बार माइक्रोवेव प्रतिलेख की खोज की.

इस क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी आविष्कार जर्मन भौतिकशास्त्री हेनरिक हर्ट्ज ने 1888 में किया. उन्होंने विद्युत चुम्बकीय तरंगो यानि इलेक्ट्रॉनिक्स वेव को उत्पन्न किया और उसे स्थांतरित करने में सफलता प्राप्त की. इसी इलेक्ट्रॉनिक्स वेव्स पर रेडियो, टीवी और मोबाइल का आविष्कार हुआ और देखते-देखते संचार के इन माध्यमों ने पूरी दुनिया को बदल डाला.

मैक्सवेल के सिद्धांत पर ही 1893 में गुग्लियो मार्कोनी ने पहली बार विद्युत चुम्बकीय तरंगों को तीन किलोमीटर भेजकर दूरसंचार के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की. यह एक ऐसा प्रयोग था जिसने साबित कर दिया कि दुनिया में कहीं भी लंबी दूरी तक बिना तार के संदश भेजे जा सकते हैं.

आज भारत दूरसंचार के मामले में काफी आगे निकल चुका है. आज हमारे पास 4जी और 5जी टेक्नोलॉजी है. शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक उपलब्ध है. हमारे किसान भी इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं. वे भी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं. इंटरनेट के जरिए खेती की सूचनाएं प्राप्त कर रहे हैं. मौसम का हर अपडेट वे प्राप्त कर रहे हैं. सरकार की नीतियों की सूचना उनके पास मिनटों में पहुंच जा रही है.

बच्चे भी दूरसंचार तकनीक की बदौलत घर बैठे सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं. इसमें ऑनलाइन क्लास से लेकर फॉर्म भरना भी शामिल है. दूरसंचार माध्यमों के बदौलत भारत में ई-गवर्नेंस से लेकर डिजिटल इंडिया कार्यक्रम सफल हो पाया. इसका मकसद भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित करना है.

हैदराबाद : दूरसंचार और सूचना किसी भी समाज की रीढ़ होती है. इसके बिना हमारा समाज आज भी अंधकार युग में जी रहा होता. दूरसंचार क्रांति की बदौलत आज सेकेंड में कोई भी सूचना दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंच जाती है. लोग आसानी से एक दूसरे से संपर्क कर सकते हैं. हर साल 17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जाता है. इसी दिन सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राफ कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किया गया था. अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार सघ की स्थापना भी इसी दिन की गई थी. कोविड महामारी के समय में हमने इसे महसूस किया. हालांकि, इसने गांवों और शहरों के बीच डिजिटल असमानताओं को भी उजागर किया.

इस दिवस का उद्देश्य दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी सुलभ कराने के साथ ही इसके प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करना है. किसी भी क्षेत्र के विकास के लिए यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया भर में विकसित हो रही नई तकनीक और प्रौद्योगिकी की जानकारियां उन्हें मिलती रहे. इस दिशा में दूरसंचार माध्यमों ने बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

विश्व दूरसंचार दिवस 1969 से 17 मई को प्रतिवर्ष मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ की स्थापना और 1865 में पहले अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राफ कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए. इसे 1973 में मलगा-तोरेमोलिनोस में प्लेनिपोटेंटियरी सम्मेलन द्वारा 46 संकल्प के रूप में स्थापित किया गया था. विश्व दूरसंचार और सूचना सोसायटी दिवस ने 17 मई को दोनों को विश्व दूरसंचार और सूचना सोसायटी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था.

विश्व दूरसंचार दिवस 2021 की थीम है 'चुनौतीपूर्ण समय में डिजिटल परिवर्तन को गति देना.'

दूरसंचार के माध्यमों जैसे रेडियो से लेकर टेलीविजन, मोबाइल, इंटरनेट, सैटेलेटाइट और सोशल मीडिया के विकास की कहानी भी काफी दिलचस्प रही है. दूरसंचार माध्यमों की शुरुआत टेलीग्राफ के आविष्कार के साथ ही हो गई थी. 1844 में सैमुअल मॉर्स ने टेलीग्राफ यानि तार के जरिए वाशिंगटन और बाल्टिमोर के बीच खबरें भेजने का सार्वजनिक प्रदर्शन किया था. इसके बाद संदेशों और सूचनाओं को विद्युत चुम्बकीय तरंगों के जरिए भेजने का प्रयास शुरू हुआ और 1864 में स्कॉटिश भौतिक विज्ञानी जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने अपने समीकरणों के इस्तेमाल से पहली बार माइक्रोवेव प्रतिलेख की खोज की.

इस क्षेत्र में सबसे क्रांतिकारी आविष्कार जर्मन भौतिकशास्त्री हेनरिक हर्ट्ज ने 1888 में किया. उन्होंने विद्युत चुम्बकीय तरंगो यानि इलेक्ट्रॉनिक्स वेव को उत्पन्न किया और उसे स्थांतरित करने में सफलता प्राप्त की. इसी इलेक्ट्रॉनिक्स वेव्स पर रेडियो, टीवी और मोबाइल का आविष्कार हुआ और देखते-देखते संचार के इन माध्यमों ने पूरी दुनिया को बदल डाला.

मैक्सवेल के सिद्धांत पर ही 1893 में गुग्लियो मार्कोनी ने पहली बार विद्युत चुम्बकीय तरंगों को तीन किलोमीटर भेजकर दूरसंचार के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की. यह एक ऐसा प्रयोग था जिसने साबित कर दिया कि दुनिया में कहीं भी लंबी दूरी तक बिना तार के संदश भेजे जा सकते हैं.

आज भारत दूरसंचार के मामले में काफी आगे निकल चुका है. आज हमारे पास 4जी और 5जी टेक्नोलॉजी है. शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीक उपलब्ध है. हमारे किसान भी इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं. वे भी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं. इंटरनेट के जरिए खेती की सूचनाएं प्राप्त कर रहे हैं. मौसम का हर अपडेट वे प्राप्त कर रहे हैं. सरकार की नीतियों की सूचना उनके पास मिनटों में पहुंच जा रही है.

बच्चे भी दूरसंचार तकनीक की बदौलत घर बैठे सुविधाएं प्राप्त कर रहे हैं. इसमें ऑनलाइन क्लास से लेकर फॉर्म भरना भी शामिल है. दूरसंचार माध्यमों के बदौलत भारत में ई-गवर्नेंस से लेकर डिजिटल इंडिया कार्यक्रम सफल हो पाया. इसका मकसद भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित करना है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.