वाराणसी : 21 जून का दिन कई मायनों में खास है. आज के दिन अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के साथ-साथ विश्व संगीत दिवस (world music day) भी मनाया जाता है. महादेव की नगरी काशी का संगीत से काफी पुराना नाता है. बनारस का संगीत घराना इस इतिहास की बानगी है. दूसरी ओर नई पीढ़ी के संगीतकार भी इस इतिहास को आगे बढ़ाने और संगीत के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाने में जुटे हुए हैं.
आज हम आपको काशी के जिन तीन युवाओं से रूबरू कराने जा रहे हैं, वे भी इन्हीं में से एक हैं. ये युवा संगीत के लिए अपना जीवन समर्पित कर इसे विश्व पटल पर एक नई पहचान के साथ प्रस्तुत करने में जुटे हुए हैं.
संगीत दिवस मनाने की शुरुआत 1982 में फ्रांस से हुई थी. इसको मनाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों को संगीत की विभिन्न शैलियों की जानकारी देने के साथ नए कलाकारों को एक मौका और एक मंच देना है, जिससे वे अपनी अलग पहचान बना सकें. यही वजह है कि आज के दिन कई जगहों पर खास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
संगीत की अलग विधा विकसित करने में जुटे युवा
काशी की बात करें तो यहां के तीन युवा प्रांजल, प्रियश और हेमंत इस उद्देश्य को हकीकत में उतारने में जुटे हुए हैं. यह युवा अपने घर में ही स्टूडियो बनाकर प्राचीन संगीत परम्परा व पाश्चात्य संगीत के मेल से एक नई विधा का विकास करने का प्रयास कर रहे हैं. साथ ही ये देश-विदेश के लोगों को संगीत से जोड़ने की दिशा में भी कार्य कर रहे हैं.
बांसुरी वादक प्रांजल सिंह बताते हैं कि वे, उनकी पत्नी और उनका पूरा परिवार संगीत में रमा हुआ है. उन्होंने अपने घर को तीन भागों में बांटकर तीन स्टूडियो बनाया है. एक पारंपरिक संगीत का है, दूसरा पाश्चात्य संगीत के लिए और तीसरा कैरोके के लिए है. उन्होंने बताया कि उनके साथ उनके दो अन्य सहयोगी भी हैं जो संगीत विधा को आगे ले जाने में उनकी सहायता कर रहे हैं.
प्रांजल का सपना है कि वह संगीत की एक नई विधा को विकसित करके विश्व पटल पर ले करके जाएं और काशी की एक अलग पहचान बनाएं.
बच्चों को मुफ्त में देते हैं संगीत की शिक्षा
प्रांजल बताते हैं कि वह लोगों को निःशुल्क संगीत की शिक्षा भी प्रदान करते हैं. जिससे संगीत सीखने की इच्छा रखने वाले लोग बिना किसी समस्या के संगीत सीख सकें. प्रांजल ने बताया कि वह वाराणसी ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के साथ-साथ विदेश में भी विद्यार्थियों को संगीत की शिक्षा देते हैं.
बीट बॉक्सिंग से कुछ नया करने की चाह
प्रियश बीट बॉक्सिंग करते हैं. प्रियांश को कक्षा 9 से संगीत में जाने की प्रेरणा मिली. उन्होंने बताया कि ज्यादातर देखा जाता है कि वाराणसी में पारंपरिक संगीत को बजाया व गाया जाता है. मेरी कोशिश है कि पारंपरिक गीत संगीत के साथ उसमें कुछ बीट बॉक्सिंग व पाश्चात्य के मेल को रख करके लोगों के सामने लाया जाए, जिससे कुछ नया निकल कर आएगा और लोग इसे सीख सकेंगे.
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उन्होंने कहा, मेरी यही कोशिश है कि लोगों के अंदर इस विधा के प्रति रुचि पैदा कर सकूं. इसलिए ऑनलाइन व ऑफलाइन बच्चों को कोचिंग क्लास दे रहे हैं.
प्रियश बीट बॉक्सिंग के अलावा 10 अन्य तरीके के वादक यंत्रों को बजा लेते हैं.
संगीत का महत्व
संगीत के महत्व की बात करें तो यह केवल मानसिक नहीं बल्कि शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से सेहत पर सकारात्मक प्रभाव डालता है. यही वजह है कि कई असाध्य रोगों के उपचार के लिए म्यूजिक थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है.
शोधकर्ताओं का कहना है कि डिमेंशिया, ऑटिज्म, चिंता, अवसाद, स्ट्रोक, पार्किंसन, सिजोफ्रेनिया, सामाजिक व्यवहार, अल्जाइमर आदि रोगों के इलाज में म्यूजिक थेरेपी मददगार है.