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विश्व का रक्षा खर्च 20 खरब डालर के पार : टॉप तीन देशों में अमेरिका, चीन व भारत

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Published : Apr 25, 2022, 12:29 PM IST

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार साल 2021 में विश्व सैन्य व्यय 2.1 ट्रिलियन हुआ जिसमें अमेरिका, चीन और भारत तीन शीर्ष देश थे.

विश्व का रक्षा खर्च
विश्व का रक्षा खर्च

स्टॉकहोम (स्वीडन): स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) ने सोमवार को कहा कि साल 2021 में विश्व सैन्य खर्च 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने के साथ अब तक के उच्च स्तर पर पहुंच गया. जिसमें सबसे अधिक खर्च करने वाले तीन शीर्ष देश संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत थे. कुल वैश्विक सैन्य व्यय 2021 में वास्तविक रूप से 0.7 प्रतिशत बढ़कर 2113 बिलियन अमरीकी डॉलर का था. SIPRI के अनुसार साल 2021 में सबसे ज्यादा व्यय करने वाले शीर्ष पांच देश संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, यूनाइटेड किंगडम और रूस थे, जो कुल मिलाकर विश्व का 62 प्रतिशत था.

SIPRI के सैन्य व्यय और शस्त्र उत्पादन कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ डिएगो लोप्स डा सिल्वा ने कहा कोविड -19 महामारी के आर्थिक नतीजों के बीच भी विश्व सैन्य खर्च रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है. मुद्रास्फीति के कारण वास्तविक विकास दर में मंदी थी परंतु सैन्य खर्च में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. कोविड महामारी से आर्थिक सुधार के परिणामस्वरूप रक्षा खर्च वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 2.2 प्रतिशत था जबकि 2020 में यह आंकड़ा 2.3 प्रतिशत था. बयान के अनुसार 2021 में अमेरिकी सैन्य खर्च 801 बिलियन डालर था जो कि साल 2020 से 1.4 प्रतिशत कम है. साल 2012- 2021 की वधि में अमेरिका ने सैन्य अनुसंधान और विकास के लिए धन में 24 प्रतिशत की वृद्धि की और हथियारों की खरीद पर खर्च में 6.4 प्रतिशत की कमी की.

दूसरे स्थान पर चीन, जिसने रक्षा पर 293 बिलियन अमरीकी डालर खर्च किए, 2020 की तुलना में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि. भारत का सैन्य खर्च 2021 में 76.6 बिलियन अमरीकी डालर के साथ तीसरे स्थान पर रहा जो कि 2020 की तुलना में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि है. स्टॉकहोम स्थित संस्थान के अनुसार, भारत का 76.6 बिलियन अमरीकी डालर का सैन्य खर्च दुनिया में तीसरे स्थान पर है. यह 2020 से 0.9 प्रतिशत और 2012 की तुलना में 33 प्रतिशत ज्यादा था. स्वदेशी हथियार उद्योग को मजबूत करने के लिए 2021 के सैन्य बजट में 64 प्रतिशत पूंजीगत परिव्यय घरेलू रूप से उत्पादित हथियारों के अधिग्रहण के लिए निर्धारित किया गया था.

बयान में कहा गया है कि ब्रिटेन ने पिछले साल रक्षा पर 68.4 अरब डॉलर खर्च किए, जो 2020 से तीन प्रतिशत अधिक है. इस बीच रूस ने सबसे ज्यादा रक्षा खर्च के साथ पांचवां स्थान हासिल किया. रूस ने 2021 में अपने सैन्य खर्च को 2.9 प्रतिशत बढ़ाकर 65.9 बिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया, उस समय जब वह यूक्रेन की सीमा पर अपनी सेना का मोबिलाइजेशन कर रहा था. यह विकास का लगातार तीसरा वर्ष था और रूस का सैन्य खर्च उसके जीडीपी का 4.1 प्रतिशत तक पहुंच गया. साल 2021 में उच्च ऊर्जा की कीमतों में इजाफा ने रूस को अपने सैन्य खर्च बढ़ाने में मदद की. SIPRI के सैन्य व्यय और शस्त्र उत्पादन कार्यक्रम के निदेशक लूसी बेराउड-सुद्रेउ ने कहा, 2016-2019 के बीच रूस ने कम ईंधन की कम कीमतों एवं तेल व गैस पर प्रतिबंध के कारण सैन्य खर्च में कमी की थी.

यह भी पढ़ें-संसद में रक्षा मंत्री का जवाब- डिफेंस एक्सपेंडिचर 2011 के बाद 76 फीसद अधिक, दुनिया में सर्वाधिक

एएनआई

स्टॉकहोम (स्वीडन): स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) ने सोमवार को कहा कि साल 2021 में विश्व सैन्य खर्च 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर होने के साथ अब तक के उच्च स्तर पर पहुंच गया. जिसमें सबसे अधिक खर्च करने वाले तीन शीर्ष देश संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत थे. कुल वैश्विक सैन्य व्यय 2021 में वास्तविक रूप से 0.7 प्रतिशत बढ़कर 2113 बिलियन अमरीकी डॉलर का था. SIPRI के अनुसार साल 2021 में सबसे ज्यादा व्यय करने वाले शीर्ष पांच देश संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, यूनाइटेड किंगडम और रूस थे, जो कुल मिलाकर विश्व का 62 प्रतिशत था.

SIPRI के सैन्य व्यय और शस्त्र उत्पादन कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ डिएगो लोप्स डा सिल्वा ने कहा कोविड -19 महामारी के आर्थिक नतीजों के बीच भी विश्व सैन्य खर्च रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा है. मुद्रास्फीति के कारण वास्तविक विकास दर में मंदी थी परंतु सैन्य खर्च में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. कोविड महामारी से आर्थिक सुधार के परिणामस्वरूप रक्षा खर्च वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 2.2 प्रतिशत था जबकि 2020 में यह आंकड़ा 2.3 प्रतिशत था. बयान के अनुसार 2021 में अमेरिकी सैन्य खर्च 801 बिलियन डालर था जो कि साल 2020 से 1.4 प्रतिशत कम है. साल 2012- 2021 की वधि में अमेरिका ने सैन्य अनुसंधान और विकास के लिए धन में 24 प्रतिशत की वृद्धि की और हथियारों की खरीद पर खर्च में 6.4 प्रतिशत की कमी की.

दूसरे स्थान पर चीन, जिसने रक्षा पर 293 बिलियन अमरीकी डालर खर्च किए, 2020 की तुलना में 4.7 प्रतिशत की वृद्धि. भारत का सैन्य खर्च 2021 में 76.6 बिलियन अमरीकी डालर के साथ तीसरे स्थान पर रहा जो कि 2020 की तुलना में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि है. स्टॉकहोम स्थित संस्थान के अनुसार, भारत का 76.6 बिलियन अमरीकी डालर का सैन्य खर्च दुनिया में तीसरे स्थान पर है. यह 2020 से 0.9 प्रतिशत और 2012 की तुलना में 33 प्रतिशत ज्यादा था. स्वदेशी हथियार उद्योग को मजबूत करने के लिए 2021 के सैन्य बजट में 64 प्रतिशत पूंजीगत परिव्यय घरेलू रूप से उत्पादित हथियारों के अधिग्रहण के लिए निर्धारित किया गया था.

बयान में कहा गया है कि ब्रिटेन ने पिछले साल रक्षा पर 68.4 अरब डॉलर खर्च किए, जो 2020 से तीन प्रतिशत अधिक है. इस बीच रूस ने सबसे ज्यादा रक्षा खर्च के साथ पांचवां स्थान हासिल किया. रूस ने 2021 में अपने सैन्य खर्च को 2.9 प्रतिशत बढ़ाकर 65.9 बिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया, उस समय जब वह यूक्रेन की सीमा पर अपनी सेना का मोबिलाइजेशन कर रहा था. यह विकास का लगातार तीसरा वर्ष था और रूस का सैन्य खर्च उसके जीडीपी का 4.1 प्रतिशत तक पहुंच गया. साल 2021 में उच्च ऊर्जा की कीमतों में इजाफा ने रूस को अपने सैन्य खर्च बढ़ाने में मदद की. SIPRI के सैन्य व्यय और शस्त्र उत्पादन कार्यक्रम के निदेशक लूसी बेराउड-सुद्रेउ ने कहा, 2016-2019 के बीच रूस ने कम ईंधन की कम कीमतों एवं तेल व गैस पर प्रतिबंध के कारण सैन्य खर्च में कमी की थी.

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एएनआई

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