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गिरमिटिया मजदूर थे दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर केशव महाराज के पूर्वज, यूपी से गए थे डरबन, पढ़िए डिटेल

भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर केशव महाराज (Keshav Maharaj UP Link) का यूपी से खासा लिंक है. उनके पूर्वज यहीं के थे. वे गिरमिटिया मजदूर थे. वे देश छोड़कर दक्षिण अफ्रीका के डरबन चले गए थे.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 10, 2023, 5:58 PM IST

लखनऊ : दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज क्रिकेटर केशव महाराज का यूपी से लिंक है. उनके पूर्वज सुलतानपुर जिले में रहते थे. वे गिरमिटिया मजदूर थे. यहां से वे साउथ अफ्रीका के डरबन चले गए थे. इसके बाद वहीं बस गए थे. पहली बार केशव महाराज यूपी में पुरखों की मातृभूमि वाले सूबे में अपनी टीम के लिए खेलेंगे.

ऑस्ट्रेलिया के साथ होगा मुकाबला : दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ी केशव महाराज टीम के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करते चले आ रहे हैं. वह दक्षिण अफ्रीका की विश्व कप टीम में शामिल हैं. बाएं हाथ के लेग स्पिन गेंदबाज केशव महाराज अपनी टीम की जान हैं. उन्होंने पिछले मैच में दिल्ली में श्रीलंका के खिलाफ शानदार गेंदबाजी की थी. लखनऊ में दक्षिण अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया के 12 अक्टूबर को विश्व कप के मुकाबले में आमने-सामने होगी. केशव महाराज अपनी पुरखों की जन्मभूमि के नजदीक होंगे.

पहली बार केशव अपनी पुरखों की मातृभूमि वाले सूबे में खेलेंगे.
पहली बार केशव अपनी पुरखों की मातृभूमि वाले सूबे में खेलेंगे.

उस दौर में विदेशों में थी भारतीयों की डिमांड : केशव महाराज भारतीय मूल के हैं. भारत में जब अंग्रेजों का शासन था तब लगभग डेढ़ सौ साल पहले वह कृषि कार्य करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए थे. बाद में वहीं बस गए और वहां की नागरिकता भी ले ली. केशव महाराज भी वहीं रह रहे हैं. केशव के पूर्वजों का उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर से ताल्लुक है. केशव के पिता आत्मानंद महाराज के अनुसार उनके पूर्वज सन 1874 में डरबन आ गए थे. उस दौरान लोग अच्छा जीवन जीने और काम की तलाश में दक्षिण अफ्रीका का रुख कर रहे थे. आत्मानंद महाराज ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कृषि क्षेत्र के अनुभव और अन्य काम में भारतीयों को महारत थी. अंग्रेज शासित अन्य देशों में इनको बेहतर काम मिल जाया करता था.

केशव महाराज अपनी टीम के अहम खिलाड़ी हैं.
केशव महाराज अपनी टीम के अहम खिलाड़ी हैं.

महाराज उपनाम उनके पूर्वजों का : क्रिकेटर के पिता के अनुसार दक्षिण अफ्रीका को अच्छी स्किल वाले मजदूरों की जरूरत थी. भारतीयों के पास अच्छा कृषि का अनुभव था. वे अन्य कामों में भी निपुण थे, जिन्होंने देश के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था. हम अपने परिवार की पांचवी या छठी पीढ़ी हैं. महाराज उपनाम उनके पूर्वजों का था. जिसे अपना उपनाम रखना हमारी अपनी इच्छा थी. हम जानते हैं कि भारत में नाम का क्या महत्व है.

केशव महाराज भारतीय मूल के हैं.
केशव महाराज भारतीय मूल के हैं.



कौन होते थे गिरमिटिया मजदूर : गिरमिटिया शब्द एग्रीमेंट शब्द से निकला है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों को अंग्रेजी शासन काल में एक एग्रीमेंट के आधार पर भारत से दूसरे देशों में ले जाया जाता था. भोजपुरी में एग्रीमेंट शब्द को न बोल पाने की वजह से ग्रीमेंट कहा जाता था. इसलिए इस एग्रीमेंट के तहत भारत से जाने वाले मजदूरों को गिरिमिटिया कहा जाने लगा.

यह भी पढ़ें : डेविड मलान के धमाकेदार शतक की बदौलत इंग्लैंड ने बांग्लादेश को जीत के लिए दिया 365 रनों का लक्ष्य

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लखनऊ : दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज क्रिकेटर केशव महाराज का यूपी से लिंक है. उनके पूर्वज सुलतानपुर जिले में रहते थे. वे गिरमिटिया मजदूर थे. यहां से वे साउथ अफ्रीका के डरबन चले गए थे. इसके बाद वहीं बस गए थे. पहली बार केशव महाराज यूपी में पुरखों की मातृभूमि वाले सूबे में अपनी टीम के लिए खेलेंगे.

ऑस्ट्रेलिया के साथ होगा मुकाबला : दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ी केशव महाराज टीम के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करते चले आ रहे हैं. वह दक्षिण अफ्रीका की विश्व कप टीम में शामिल हैं. बाएं हाथ के लेग स्पिन गेंदबाज केशव महाराज अपनी टीम की जान हैं. उन्होंने पिछले मैच में दिल्ली में श्रीलंका के खिलाफ शानदार गेंदबाजी की थी. लखनऊ में दक्षिण अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया के 12 अक्टूबर को विश्व कप के मुकाबले में आमने-सामने होगी. केशव महाराज अपनी पुरखों की जन्मभूमि के नजदीक होंगे.

पहली बार केशव अपनी पुरखों की मातृभूमि वाले सूबे में खेलेंगे.
पहली बार केशव अपनी पुरखों की मातृभूमि वाले सूबे में खेलेंगे.

उस दौर में विदेशों में थी भारतीयों की डिमांड : केशव महाराज भारतीय मूल के हैं. भारत में जब अंग्रेजों का शासन था तब लगभग डेढ़ सौ साल पहले वह कृषि कार्य करने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए थे. बाद में वहीं बस गए और वहां की नागरिकता भी ले ली. केशव महाराज भी वहीं रह रहे हैं. केशव के पूर्वजों का उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर से ताल्लुक है. केशव के पिता आत्मानंद महाराज के अनुसार उनके पूर्वज सन 1874 में डरबन आ गए थे. उस दौरान लोग अच्छा जीवन जीने और काम की तलाश में दक्षिण अफ्रीका का रुख कर रहे थे. आत्मानंद महाराज ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कृषि क्षेत्र के अनुभव और अन्य काम में भारतीयों को महारत थी. अंग्रेज शासित अन्य देशों में इनको बेहतर काम मिल जाया करता था.

केशव महाराज अपनी टीम के अहम खिलाड़ी हैं.
केशव महाराज अपनी टीम के अहम खिलाड़ी हैं.

महाराज उपनाम उनके पूर्वजों का : क्रिकेटर के पिता के अनुसार दक्षिण अफ्रीका को अच्छी स्किल वाले मजदूरों की जरूरत थी. भारतीयों के पास अच्छा कृषि का अनुभव था. वे अन्य कामों में भी निपुण थे, जिन्होंने देश के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था. हम अपने परिवार की पांचवी या छठी पीढ़ी हैं. महाराज उपनाम उनके पूर्वजों का था. जिसे अपना उपनाम रखना हमारी अपनी इच्छा थी. हम जानते हैं कि भारत में नाम का क्या महत्व है.

केशव महाराज भारतीय मूल के हैं.
केशव महाराज भारतीय मूल के हैं.



कौन होते थे गिरमिटिया मजदूर : गिरमिटिया शब्द एग्रीमेंट शब्द से निकला है. पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों को अंग्रेजी शासन काल में एक एग्रीमेंट के आधार पर भारत से दूसरे देशों में ले जाया जाता था. भोजपुरी में एग्रीमेंट शब्द को न बोल पाने की वजह से ग्रीमेंट कहा जाता था. इसलिए इस एग्रीमेंट के तहत भारत से जाने वाले मजदूरों को गिरिमिटिया कहा जाने लगा.

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