ETV Bharat / bharat

World Arthritis Day 2023 : बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे भी हो रहे गठिया के शिकार, जानें क्यों हो रही समस्या

अमूमन गठिया (Arthritis) की बीमारी 45 से 50 साल की उम्र पार करने वाले लोगों को होती है, लेकिन मौजूद दौर में कम उम्र के लोगों के अलावा बच्चे में गठिया का शिकार हो रहे हैं. गठिया होने के बाद अब कई अन्य बीमारियां में घेर रही हैं. देखिए World Arthritis Day 2023 पर विस्तृत खबर.

म
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 11, 2023, 7:00 PM IST

Updated : Oct 12, 2023, 7:07 AM IST

बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे भी हो रहे गठिया के शिकार. देखें खबर

लखनऊ : गठिया एक गंभीर बीमारी है. बढ़ती उम्र के साथ लोगों को गठिया की शिकायत होती है. गठिया अब 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही नहीं बल्कि छोटे बच्चों को भी परेशान कर रही है. जिससे वह चलने फिरने में भी असमर्थ है. केजीएमयू के गठिया रोग विभाग के वरिष्ठ स्पेशलिस्ट डॉ. पुनीत कुमार के मुताबिक गठिया का ऑपरेशन होता है, लेकिन यह सिर्फ 75 फीसदी ही सक्सेसफुल है. ऐसा इसलिए क्योंकि गठिया के ऑपरेशन के बाद लोगों को फिर भी समस्या चलने में होती है. ऑपरेशन के बाद भी गठिया के मरीजों को 25 फीसदी दर्द बरकरार रहता है और ऑपरेशन के बाद भी उन्हें चलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कम उम्र के बच्चों में भी गठिया हो रही है. केजीएमयू के लिंब सेंटर में ऐसे छोटे बच्चे रोज पहुंचते हैं जो गठिया से ग्रसित हैं. हर साल विश्व गठिया दिवस 12 अक्टूबर को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य मात्र इतना है कि लोग इसके प्रति जागरूक रहे.

गठिया के प्रति रहें सजग.
गठिया के प्रति रहें सजग.


डॉ. पुनीत के अनुसार गठिया सिर्फ घुटने की जोड़ की समस्या को ही नहीं कहते हैं. गठिया का मतलब यह होता है कि शरीर में जितने भी जोड़ हैं गठिया कहीं भी हो सकती है. मानव शरीर में कुल 206 हड्डियां हैं और सारी हड्डियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. इसलिए गठिया पूरे शरीर में होती है और गठिया का असर किसी न किसी बॉडी ऑर्गन्स पर भी पड़ता है. जिसमें किडनी, लीवर व हार्ट शामिल है.

गठिया के प्रति रहें सजग.
गठिया के प्रति रहें सजग.



प्रदेशभर से मरीज इलाज के लिए केजीएमयू पहुंचते हैं. मौजूदा दौर में गठिया पीड़ित मरीजों की संख्या काफी ज्यादा बड़ी है. पहले गठिया की बीमारी 45 साल पार करने वाले लोगों को होती थी. इस समय इससे कम उम्र के लोग भी गठिया से परेशान हैं. केजीएमयू के गठिया विभाग में रोजाना 350 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. प्रदेश के अन्य जिले से भी मरीज यहां पर इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में दूरदराज से इलाज कराने के लिए आए मरीजों ने बातचीत के दौरान कहा कि यहां विशेषज्ञ डॉक्टर बहुत अच्छे से इलाज करते हैं और यहां के डॉक्टर के द्वारा प्रिसक्राइब्ड की गई दवाइयां का असर भी होता है.

गठिया के प्रति रहें सजग.
गठिया के प्रति रहें सजग.


बच्चे भी हो रहे गठिया के शिकार


गठिया किसी को भी हो सकती है फिर चाहे वह युवा हो, बुजुर्गों हो या फिर बच्चा हो. लेकिन युवाओं और बच्चों में गठिया होते हैं दोनों में फर्क होता है. उन्होंने कहा कि यह आजकल बच्चों में भी देखी जा रही है. बच्चे भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं. इसे हम जूवेनाइल इडियोपेथिक अर्थराइटिस के नाम से जानते हैं. ये 16 या उससे कम उम्र के बच्चों में होने वाला एक तरह का रोग है. इस समस्या में मरीज को रोजमर्रा के कामों में दिक्कत हो जाती है. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है. जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर के अंगों को ही नुकसान पहुंचाने लगता है. वही अस्पताल की ओपीडी में रोजाना इससे पीड़ित काफी संख्या में बच्चे आते हैं कुछ बच्चे ऐसे आते हैं जो चलने की स्थिति में नहीं होते हैं. इसका इलाज संभव है अगर समय पर किसी विशेषज्ञ की सलाह से इलाज चलें. 10 से 15 गठिया से पीड़ित बच्चे आ जाते है. इसके अलावा युवाओं में होने वाले गठिया अलग होती है.

गठिया के प्रति रहें सजग.
गठिया के प्रति रहें सजग.




जोड़ों में सूजन और जकड़न की समस्या को मेडिकल भाषा में गठिया कहा जाता है. गठिया की बीमारी में उम्र के साथ दर्द, सूजन और अकड़न की परेशानी बढ़ती जाती है. आमतौर पर यह समस्या 65 से अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलती है, लेकिन आजकल बच्चे और युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. हालांकि युवाओं में सबसे आम रूमेटोइड आर्थराइटिस की बीमारी है. अगर परिवार में पहले से ही आर्थराइटिस की बीमारी चली आ रही है, यानी अगर आपके माता-पिता में यह विकार है तो आपको आर्थराइटिस होने की संभावना अधिक हो सकती है. पर्यावरणीय ट्रिगर के कारण आप गठिया के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. मौजूदा समय में युवाओं में गठिया के लक्षण गंभीर साबित हो सकते हैं. उन्हें हाथों और पैरों के जोड़ों में सूजन की अधिक समस्या हो सकती है. इसके साथ ही युवाओं में रूमेटोइड नोड्यूल होने का खतरा भी बढ़ जाता है. बता दें, रूमेटोइड नोड्यूल एक तरह की सख्त गांठ होती हैं, जो त्वचा के नीचे, आमतौर पर उंगलियों पर हो सकती हैं. इस स्थिति के बाद आखिर में युवाओं को सोरोपिसिटिव आर्थराइटिस हो सकता है. वहीं इसके अलावा हर उम्र के मरीजों में चाहे वह युवा हों या फिर बुजुर्ग, गठिया के समान लक्षण देखने को मिलते हैं.

यह भी पढ़ें : बनारस के युवाओं को जवानी में लग रहा बुढ़ापे का रोग, जानिए कैसे?

40 साल से कम उम्र के लोग भी हो रहे गठिया के शिकार, जानिए बचाव और इलाज के तरीके

बुजुर्ग ही नहीं बल्कि बच्चे भी हो रहे गठिया के शिकार. देखें खबर

लखनऊ : गठिया एक गंभीर बीमारी है. बढ़ती उम्र के साथ लोगों को गठिया की शिकायत होती है. गठिया अब 30 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को ही नहीं बल्कि छोटे बच्चों को भी परेशान कर रही है. जिससे वह चलने फिरने में भी असमर्थ है. केजीएमयू के गठिया रोग विभाग के वरिष्ठ स्पेशलिस्ट डॉ. पुनीत कुमार के मुताबिक गठिया का ऑपरेशन होता है, लेकिन यह सिर्फ 75 फीसदी ही सक्सेसफुल है. ऐसा इसलिए क्योंकि गठिया के ऑपरेशन के बाद लोगों को फिर भी समस्या चलने में होती है. ऑपरेशन के बाद भी गठिया के मरीजों को 25 फीसदी दर्द बरकरार रहता है और ऑपरेशन के बाद भी उन्हें चलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कम उम्र के बच्चों में भी गठिया हो रही है. केजीएमयू के लिंब सेंटर में ऐसे छोटे बच्चे रोज पहुंचते हैं जो गठिया से ग्रसित हैं. हर साल विश्व गठिया दिवस 12 अक्टूबर को मनाया जाता है. इसका उद्देश्य मात्र इतना है कि लोग इसके प्रति जागरूक रहे.

गठिया के प्रति रहें सजग.
गठिया के प्रति रहें सजग.


डॉ. पुनीत के अनुसार गठिया सिर्फ घुटने की जोड़ की समस्या को ही नहीं कहते हैं. गठिया का मतलब यह होता है कि शरीर में जितने भी जोड़ हैं गठिया कहीं भी हो सकती है. मानव शरीर में कुल 206 हड्डियां हैं और सारी हड्डियां एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं. इसलिए गठिया पूरे शरीर में होती है और गठिया का असर किसी न किसी बॉडी ऑर्गन्स पर भी पड़ता है. जिसमें किडनी, लीवर व हार्ट शामिल है.

गठिया के प्रति रहें सजग.
गठिया के प्रति रहें सजग.



प्रदेशभर से मरीज इलाज के लिए केजीएमयू पहुंचते हैं. मौजूदा दौर में गठिया पीड़ित मरीजों की संख्या काफी ज्यादा बड़ी है. पहले गठिया की बीमारी 45 साल पार करने वाले लोगों को होती थी. इस समय इससे कम उम्र के लोग भी गठिया से परेशान हैं. केजीएमयू के गठिया विभाग में रोजाना 350 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. प्रदेश के अन्य जिले से भी मरीज यहां पर इलाज के लिए आते हैं. ऐसे में दूरदराज से इलाज कराने के लिए आए मरीजों ने बातचीत के दौरान कहा कि यहां विशेषज्ञ डॉक्टर बहुत अच्छे से इलाज करते हैं और यहां के डॉक्टर के द्वारा प्रिसक्राइब्ड की गई दवाइयां का असर भी होता है.

गठिया के प्रति रहें सजग.
गठिया के प्रति रहें सजग.


बच्चे भी हो रहे गठिया के शिकार


गठिया किसी को भी हो सकती है फिर चाहे वह युवा हो, बुजुर्गों हो या फिर बच्चा हो. लेकिन युवाओं और बच्चों में गठिया होते हैं दोनों में फर्क होता है. उन्होंने कहा कि यह आजकल बच्चों में भी देखी जा रही है. बच्चे भी इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं. इसे हम जूवेनाइल इडियोपेथिक अर्थराइटिस के नाम से जानते हैं. ये 16 या उससे कम उम्र के बच्चों में होने वाला एक तरह का रोग है. इस समस्या में मरीज को रोजमर्रा के कामों में दिक्कत हो जाती है. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है. जिसमें इम्यून सिस्टम शरीर के अंगों को ही नुकसान पहुंचाने लगता है. वही अस्पताल की ओपीडी में रोजाना इससे पीड़ित काफी संख्या में बच्चे आते हैं कुछ बच्चे ऐसे आते हैं जो चलने की स्थिति में नहीं होते हैं. इसका इलाज संभव है अगर समय पर किसी विशेषज्ञ की सलाह से इलाज चलें. 10 से 15 गठिया से पीड़ित बच्चे आ जाते है. इसके अलावा युवाओं में होने वाले गठिया अलग होती है.

गठिया के प्रति रहें सजग.
गठिया के प्रति रहें सजग.




जोड़ों में सूजन और जकड़न की समस्या को मेडिकल भाषा में गठिया कहा जाता है. गठिया की बीमारी में उम्र के साथ दर्द, सूजन और अकड़न की परेशानी बढ़ती जाती है. आमतौर पर यह समस्या 65 से अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलती है, लेकिन आजकल बच्चे और युवा भी इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. हालांकि युवाओं में सबसे आम रूमेटोइड आर्थराइटिस की बीमारी है. अगर परिवार में पहले से ही आर्थराइटिस की बीमारी चली आ रही है, यानी अगर आपके माता-पिता में यह विकार है तो आपको आर्थराइटिस होने की संभावना अधिक हो सकती है. पर्यावरणीय ट्रिगर के कारण आप गठिया के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. मौजूदा समय में युवाओं में गठिया के लक्षण गंभीर साबित हो सकते हैं. उन्हें हाथों और पैरों के जोड़ों में सूजन की अधिक समस्या हो सकती है. इसके साथ ही युवाओं में रूमेटोइड नोड्यूल होने का खतरा भी बढ़ जाता है. बता दें, रूमेटोइड नोड्यूल एक तरह की सख्त गांठ होती हैं, जो त्वचा के नीचे, आमतौर पर उंगलियों पर हो सकती हैं. इस स्थिति के बाद आखिर में युवाओं को सोरोपिसिटिव आर्थराइटिस हो सकता है. वहीं इसके अलावा हर उम्र के मरीजों में चाहे वह युवा हों या फिर बुजुर्ग, गठिया के समान लक्षण देखने को मिलते हैं.

यह भी पढ़ें : बनारस के युवाओं को जवानी में लग रहा बुढ़ापे का रोग, जानिए कैसे?

40 साल से कम उम्र के लोग भी हो रहे गठिया के शिकार, जानिए बचाव और इलाज के तरीके

Last Updated : Oct 12, 2023, 7:07 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.