नई दिल्ली : भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश ने इस मांग को अपना पूरा समर्थन जताते हुए कहा कि मैं नहीं चाहता कि आप रोएं, बल्कि आपको गुस्से के साथ चिल्लाना होगा और मांग करनी होगी कि हम 50 प्रतिशत आरक्षण चाहती हैं.
उन्होंने कहा कि यह हजारों सालों के दमन का विषय है और महिलाओं को आरक्षण का अधिकार है. न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि यह अधिकार का विषय है, दया का नहीं. उन्होंने कहा कि मैं देश के सभी विधि संस्थानों में महिलाओं के लिए एक निश्चित प्रतिशत आरक्षण की मांग की पुरजोर सिफारिश और समर्थन करता हूं ताकि वे न्यायपालिका में शामिल हो सकें.
उच्चतम न्यायालय की महिला अधिवक्ताओं द्वारा तीन महिला न्यायाधीशों समेत नव नियुक्त नौ न्यायाधीशों के सम्मान में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि आप सब हंस रही हैं.
मैं भी यही चाहता हूं कि आपको रोना नहीं पड़े, बल्कि आप गुस्से के साथ चिल्लाएं और मांग उठाएं कि हमें 50 प्रतिशत आरक्षण चाहिए. यह छोटा मुद्दा नहीं है बल्कि हजारों सालों के दमन का विषय है. यह उचित समय है जब न्यायपालिका में महिलाओं का 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि कुछ चीजें बहुत देरी से आकार लेती हैं और इस लक्ष्य की प्राप्ति होने पर उन्हें बहुत खुशी होगी. न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि लोग अक्सर बड़ी आसानी से कह देते हैं कि 50 प्रतिशत आरक्षण मुश्किल है क्योंकि महिलाओं की अनेक समस्याएं होती हैं लेकिन यह सही नहीं है.
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उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि असहज माहौल है, बुनियादी सुविधाओं की कमी है, खचाखच भरे अदालत कक्ष हैं, प्रसाधन गृहों की कमी है, बैठने की जगह कम है. जो कुछ बड़े मुद्दे हैं.
(पीटीआई-भाषा)