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CBI ने SC में कहा-2022 तक दोषसिद्धि 75 फीसद तक ले जाएंगे

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी है कि उसने दोषसिद्धि दर (conviction rate) करीब 65-70 फीसद हासिल कर ली है जिसे वह अगस्त 2022 तक 75 फीसद तक ले जाएगी.

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Published : Oct 21, 2021, 8:11 PM IST

SC CBI
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नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अपने हाथ में लिये गये मामलों में (दोष सिद्धि की) 'सफलता दर' नीचे चले जाने की धारणा संबंधी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के कुछ दिन बाद एजेंसी ने उसे सूचित किया है कि उसने दोषसिद्धि दर करीब 65-70 फीसद हासिल कर ली है जिसे वह अगस्त 2022 तक 75 फीसद तक ले जाएगी.

शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में सीबीआई निदेशक एस के जायसवाल (CBI director S K Jaiswal) ने कहा कि सीबीआई ने दोषियों की दोषसिद्धि में 2020 में 69.83 और 2019 में 69.19 फीसद सफलता हासिल की थी.

जायसवाल ने हलफनामे में कहा, 'सीबीआई निदेशक का पदभार ग्रहण करने के बाद अन्य बातों के अलावा जो मुख्य कदम उठाये गये उनमें एक कदम अक्टूबर, 2021 में मुख्य कार्यकारियों अधिकारियों के साथ साथ सहायक जन अभियोजक के स्तर और उनसे ऊपर के सभी अधिकारियों की बैठक कर अभियोजन निदेशालय में सुधार लाने के लिए था.'

उन्होंने कहा, 'वर्तमान दोषसिद्धि दर को अगस्त, 2022 तक 75 फीसद तक ले जाने का सीबीआई का प्रयास है.'

सीबीआई ने शीर्ष अदालत को बताया कि 2020 और 2021 में सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सघन चर्चा के बाद व्यवस्था की समग्र समीक्षा की गयी क्योंकि ऐसा करना जरूरी था.

उसने कहा कि पुराने दिशानिर्देशों के स्थानों पर नये दिशानिर्देश जारी किये गये जिसमें सीबीआई के लिए ऊपरी अदालतों में अपील दायर करने एवं उनपर नजर रखने से संबंधित विषयों पर निगरानी पर जोर दिया गया.

जांच एजेंसी ने कहा कि किसी दिये गये अभियोजन मामले में अपील/पुनरीक्षण दायर की जाए या नहीं. इस विषय पर सीबीआई का प्रयास अंतर-विभागीय निर्णय शीघ्र (कोशिश हो कि 30 दिन के अंदर) लेना है ताकि देरी के आधार पर माफी की संभावना को टाला जा सके.

सीबीआई ने कहा, 'यह बताया जाता है कि सीबीआई द्वारा अपील/विशेष अनुमति याचिका दायर करने में अन्य कार्मिक विभाग, केंद्रीय एजेंसी खंड, विधि एवं न्याय मंत्रालय समेत एजेंसियों/विभाग की भूमिका भी होती है. अन्य एजेंसियों / विभागों द्वारा ऐसे मामलों के निस्तारण में तेजी लाने के लिए तथा सीबीआई द्वारा बेहतर तालमेल के लिए सीबीआई में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया गया है ताकि अपील दायर करने के प्रस्तावों में निगरानी एवं तालमेल बना रहे.'

सीबीआई के हलफनामे में आठ राज्यों का जिक्र
यह हलफनामा तीन सितंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब में दाखिल किया गया है. सीबीआई ने कहा कि फिलहाल आठ राज्यों पश्चिम बगाल, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा छह के तहत सीबीआई को दी गयी आम मंजूरी वापस ले ली है जिससे मामले दर मामले पर इन राज्यों से सहमति प्राप्त करने में वक्त बहुत लग जाता है और यह त्वरित जांच के रास्ते में रुकावट है.

शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता मोहम्मद अलताफ मोहंद और शेख मुबारक के मामले में जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी. यह अपील 542 दिन के विलंब से दायर की गयी थी.

पढ़ें- CBI डायरेक्टर की नियुक्ति पर सभी को प्रभावित करने वाला आदेश जारी नहीं किया जा सकता : SC

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अपने हाथ में लिये गये मामलों में (दोष सिद्धि की) 'सफलता दर' नीचे चले जाने की धारणा संबंधी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के कुछ दिन बाद एजेंसी ने उसे सूचित किया है कि उसने दोषसिद्धि दर करीब 65-70 फीसद हासिल कर ली है जिसे वह अगस्त 2022 तक 75 फीसद तक ले जाएगी.

शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में सीबीआई निदेशक एस के जायसवाल (CBI director S K Jaiswal) ने कहा कि सीबीआई ने दोषियों की दोषसिद्धि में 2020 में 69.83 और 2019 में 69.19 फीसद सफलता हासिल की थी.

जायसवाल ने हलफनामे में कहा, 'सीबीआई निदेशक का पदभार ग्रहण करने के बाद अन्य बातों के अलावा जो मुख्य कदम उठाये गये उनमें एक कदम अक्टूबर, 2021 में मुख्य कार्यकारियों अधिकारियों के साथ साथ सहायक जन अभियोजक के स्तर और उनसे ऊपर के सभी अधिकारियों की बैठक कर अभियोजन निदेशालय में सुधार लाने के लिए था.'

उन्होंने कहा, 'वर्तमान दोषसिद्धि दर को अगस्त, 2022 तक 75 फीसद तक ले जाने का सीबीआई का प्रयास है.'

सीबीआई ने शीर्ष अदालत को बताया कि 2020 और 2021 में सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सघन चर्चा के बाद व्यवस्था की समग्र समीक्षा की गयी क्योंकि ऐसा करना जरूरी था.

उसने कहा कि पुराने दिशानिर्देशों के स्थानों पर नये दिशानिर्देश जारी किये गये जिसमें सीबीआई के लिए ऊपरी अदालतों में अपील दायर करने एवं उनपर नजर रखने से संबंधित विषयों पर निगरानी पर जोर दिया गया.

जांच एजेंसी ने कहा कि किसी दिये गये अभियोजन मामले में अपील/पुनरीक्षण दायर की जाए या नहीं. इस विषय पर सीबीआई का प्रयास अंतर-विभागीय निर्णय शीघ्र (कोशिश हो कि 30 दिन के अंदर) लेना है ताकि देरी के आधार पर माफी की संभावना को टाला जा सके.

सीबीआई ने कहा, 'यह बताया जाता है कि सीबीआई द्वारा अपील/विशेष अनुमति याचिका दायर करने में अन्य कार्मिक विभाग, केंद्रीय एजेंसी खंड, विधि एवं न्याय मंत्रालय समेत एजेंसियों/विभाग की भूमिका भी होती है. अन्य एजेंसियों / विभागों द्वारा ऐसे मामलों के निस्तारण में तेजी लाने के लिए तथा सीबीआई द्वारा बेहतर तालमेल के लिए सीबीआई में एक विशेष प्रकोष्ठ बनाया गया है ताकि अपील दायर करने के प्रस्तावों में निगरानी एवं तालमेल बना रहे.'

सीबीआई के हलफनामे में आठ राज्यों का जिक्र
यह हलफनामा तीन सितंबर को उच्चतम न्यायालय द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब में दाखिल किया गया है. सीबीआई ने कहा कि फिलहाल आठ राज्यों पश्चिम बगाल, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम ने दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम की धारा छह के तहत सीबीआई को दी गयी आम मंजूरी वापस ले ली है जिससे मामले दर मामले पर इन राज्यों से सहमति प्राप्त करने में वक्त बहुत लग जाता है और यह त्वरित जांच के रास्ते में रुकावट है.

शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता मोहम्मद अलताफ मोहंद और शेख मुबारक के मामले में जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी. यह अपील 542 दिन के विलंब से दायर की गयी थी.

पढ़ें- CBI डायरेक्टर की नियुक्ति पर सभी को प्रभावित करने वाला आदेश जारी नहीं किया जा सकता : SC

(पीटीआई-भाषा)

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