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क्या सर्वदलीय बैठक में जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दल अपनी बात रख पाएंगे? - पीपुल्स कॉन्फ्रेंस

जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए बैठक बुलाई है. हालांकि इस हफ्ते की 24 तारीख को होने वाली सर्वदलीय बैठक को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र की मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा फैसला करने की तैयारी कर रही है.

24 जून को जम्मू कश्मीर की पार्टियों की सर्वदलीय बैठक
24 जून को जम्मू कश्मीर की पार्टियों की सर्वदलीय बैठक
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Published : Jun 21, 2021, 8:33 PM IST

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने 24 जून को जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) की पार्टियों की सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस बैठक के बाद एक बार फिर से राज्य में सियासी घमासान तेज हो गया है. वहीं, इस बैठक को लेकर आम जनता के अलावा क्षेत्र के राजनीतिक दल समेत विश्लेषक भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

बता दें, यह बैठक केंद्र द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद से इस तरह की पहली कवायद होगी. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं के भाग लेने की संभावना जताई जा रही है.

जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए बैठक बुलाई है. हालांकि इस हफ्ते की 24 तारीख को होने वाली सर्वदलीय बैठक को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र की मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा फैसला करने की तैयारी कर रही है.

राजनीतिक विश्लेषक रशीद राहिल ने इस मसले पर कहा कि 1947 से ही बीजेपी नेता काफी दूरदर्शी रहे हैं जिसमें उन्होंने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का आह्वान किया था. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अलावा जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में भी उन्होंने कुछ सफलता हासिल की है. बता दें, बैठक में सदस्यों द्वारा धारा 370 की बहाली के बारे में कुछ खास कहने की संभावना नहीं है क्योंकि यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है. हां, विधानसभा चुनाव पर बातचीत और लोकतांत्रिक सरकार बनाने के लिए नए परिसीमन की प्रबल संभावना है. उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से चुनी हुई सरकार नहीं होने के कारण विकास की कमी और लोगों की समस्याओं पर चर्चा हो सकती है.

इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता अरशद अहमद डार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र द्वारा ठप पड़ी राजनीतिक गतिविधियों को बहाल किया जा रहा है. अगर इतिहास पर नजर डालें तो जम्मू-कश्मीर में जब भी कोई राजनीतिक बदलाव हुआ है, उसे एक खास योजना के तहत लागू किया गया है. बैठक में शामिल होने के लिए क्षेत्रीय दलों का आमंत्रण पाकर उन्होंने कहा कि पीडी और पीडीपी लोगों की हमदर्दी जीतने के लिए धारा 370 की बहाली से कम कुछ भी टाल रही है, लेकिन पिछले दो महीने से पीडीपी अध्यक्ष महबूबा के बयान मुफ्ती नरम पड़ गए हैं. बता दें, केंद्र के साथ बातचीत का पहला निमंत्रण मिलने की पुष्टि और कुछ ही घंटों बाद महबूबा मुफ्ती के चाचा सरताज मदनी और वरिष्ठ नेता नईम अख्तर की रिहाई कुछ गुल खिला सकती है. इस तरह के घटनाक्रम और पीडीपी के लचीलेपन में बदलाव जनता के मन में कई सवाल पैदा कर रहे हैं.

वहीं, इस बैठकल को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शौकत साहिल का कहना है कि यह देखा जाना बाकी है कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अन्य राजनीतिक दलों सहित क्षेत्रीय दल अपने अलावा अन्य राजनीतिक दल नए परिसीमन और विधानसभा की मांग करेंगे. क्या वे चुनाव कराने पर सहमत होंगे या नहीं? उन्होंने कहा कि जिस तरह यहां के राजनीतिक दलों को दिल्ली बुलाया गया है उनके लिए यह स्पष्ट है कि केंद्र अब जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द जनता की लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करने के पक्ष में है और यहां के राजनीतिक दलों को भी इसके लिए स्टैंड लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि पीडीपी के नरम रुख के कारण अपने दो वरिष्ठ नेताओं की रिहाई इस बात का संकेत है कि केंद्र यहां के हर क्षेत्रीय राजनीतिक दल से बात कर चुनाव की तुरही फूंकना चाहता है.

इससे इतर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (Peoples Conderence) ने भी इस सर्वदलीय बैठक को लेकर बयान दिया है. पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने सोमवार को इस बैठक के संदर्भ में पार्टी नेताओं की एक बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने कहा कि दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एक नया सामाजिक अनुबंध लिखने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करने की आवश्यकता है.

जानकारी के मुताबिक बैठक में जम्मू-कश्मीर में समग्र राजनीतिक परिदृश्य और जमीनी स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई. इसके अलावा राजनीतिक वर्ग को मौजूदा गतिरोध को समाप्त करने और सभी चुनौतियों का सामना करने वाले टिकाऊ और लोकतांत्रिक समाधान खोजने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया. पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रवक्ता अदनान अशरफ मीर ने कहा कि प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री की पहल के लिए प्रशंसा व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि यह जुड़ाव कुछ और बड़ा होगा और लोकतंत्र में वापसी और जम्मू-कश्मीर के लोगों के सशक्तिकरण की सुविधा प्रदान करेगा.

पढ़ें: पीएम मोदी का प्रमुख कश्मीरी नेताओं को आमंत्रण, सियासी सरगर्मियां तेज

बैठक में वरिष्ठ नेता बशारत बुखारी, मंसूर हुसैन सोहरवर्दी, अधिवक्ता बशीर अहमद डार, आबिद अंसारी, मोहम्मद खुर्शीद आलम, राजा एजाज अली, मोहम्मद अब्बास वानी, मोहम्मद अशरफ मीर, इरफान पंडितपोरी और राशिद महमूद ने भाग लिया.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने 24 जून को जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) की पार्टियों की सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस बैठक के बाद एक बार फिर से राज्य में सियासी घमासान तेज हो गया है. वहीं, इस बैठक को लेकर आम जनता के अलावा क्षेत्र के राजनीतिक दल समेत विश्लेषक भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं.

बता दें, यह बैठक केंद्र द्वारा अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने की घोषणा के बाद से इस तरह की पहली कवायद होगी. इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय नेताओं के भाग लेने की संभावना जताई जा रही है.

जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिए बैठक बुलाई है. हालांकि इस हफ्ते की 24 तारीख को होने वाली सर्वदलीय बैठक को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि केंद्र की मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई बड़ा फैसला करने की तैयारी कर रही है.

राजनीतिक विश्लेषक रशीद राहिल ने इस मसले पर कहा कि 1947 से ही बीजेपी नेता काफी दूरदर्शी रहे हैं जिसमें उन्होंने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का आह्वान किया था. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अलावा जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने में भी उन्होंने कुछ सफलता हासिल की है. बता दें, बैठक में सदस्यों द्वारा धारा 370 की बहाली के बारे में कुछ खास कहने की संभावना नहीं है क्योंकि यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष है. हां, विधानसभा चुनाव पर बातचीत और लोकतांत्रिक सरकार बनाने के लिए नए परिसीमन की प्रबल संभावना है. उन्होंने कहा कि पिछले दो साल से चुनी हुई सरकार नहीं होने के कारण विकास की कमी और लोगों की समस्याओं पर चर्चा हो सकती है.

इस बीच सामाजिक कार्यकर्ता अरशद अहमद डार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र द्वारा ठप पड़ी राजनीतिक गतिविधियों को बहाल किया जा रहा है. अगर इतिहास पर नजर डालें तो जम्मू-कश्मीर में जब भी कोई राजनीतिक बदलाव हुआ है, उसे एक खास योजना के तहत लागू किया गया है. बैठक में शामिल होने के लिए क्षेत्रीय दलों का आमंत्रण पाकर उन्होंने कहा कि पीडी और पीडीपी लोगों की हमदर्दी जीतने के लिए धारा 370 की बहाली से कम कुछ भी टाल रही है, लेकिन पिछले दो महीने से पीडीपी अध्यक्ष महबूबा के बयान मुफ्ती नरम पड़ गए हैं. बता दें, केंद्र के साथ बातचीत का पहला निमंत्रण मिलने की पुष्टि और कुछ ही घंटों बाद महबूबा मुफ्ती के चाचा सरताज मदनी और वरिष्ठ नेता नईम अख्तर की रिहाई कुछ गुल खिला सकती है. इस तरह के घटनाक्रम और पीडीपी के लचीलेपन में बदलाव जनता के मन में कई सवाल पैदा कर रहे हैं.

वहीं, इस बैठकल को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शौकत साहिल का कहना है कि यह देखा जाना बाकी है कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और अन्य राजनीतिक दलों सहित क्षेत्रीय दल अपने अलावा अन्य राजनीतिक दल नए परिसीमन और विधानसभा की मांग करेंगे. क्या वे चुनाव कराने पर सहमत होंगे या नहीं? उन्होंने कहा कि जिस तरह यहां के राजनीतिक दलों को दिल्ली बुलाया गया है उनके लिए यह स्पष्ट है कि केंद्र अब जम्मू-कश्मीर में जल्द से जल्द जनता की लोकतांत्रिक सरकार स्थापित करने के पक्ष में है और यहां के राजनीतिक दलों को भी इसके लिए स्टैंड लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि पीडीपी के नरम रुख के कारण अपने दो वरिष्ठ नेताओं की रिहाई इस बात का संकेत है कि केंद्र यहां के हर क्षेत्रीय राजनीतिक दल से बात कर चुनाव की तुरही फूंकना चाहता है.

इससे इतर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (Peoples Conderence) ने भी इस सर्वदलीय बैठक को लेकर बयान दिया है. पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने सोमवार को इस बैठक के संदर्भ में पार्टी नेताओं की एक बैठक की अध्यक्षता की. उन्होंने कहा कि दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एक नया सामाजिक अनुबंध लिखने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करने की आवश्यकता है.

जानकारी के मुताबिक बैठक में जम्मू-कश्मीर में समग्र राजनीतिक परिदृश्य और जमीनी स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई. इसके अलावा राजनीतिक वर्ग को मौजूदा गतिरोध को समाप्त करने और सभी चुनौतियों का सामना करने वाले टिकाऊ और लोकतांत्रिक समाधान खोजने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया. पीपुल्स कांफ्रेंस के प्रवक्ता अदनान अशरफ मीर ने कहा कि प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री की पहल के लिए प्रशंसा व्यक्त की और आशा व्यक्त की कि यह जुड़ाव कुछ और बड़ा होगा और लोकतंत्र में वापसी और जम्मू-कश्मीर के लोगों के सशक्तिकरण की सुविधा प्रदान करेगा.

पढ़ें: पीएम मोदी का प्रमुख कश्मीरी नेताओं को आमंत्रण, सियासी सरगर्मियां तेज

बैठक में वरिष्ठ नेता बशारत बुखारी, मंसूर हुसैन सोहरवर्दी, अधिवक्ता बशीर अहमद डार, आबिद अंसारी, मोहम्मद खुर्शीद आलम, राजा एजाज अली, मोहम्मद अब्बास वानी, मोहम्मद अशरफ मीर, इरफान पंडितपोरी और राशिद महमूद ने भाग लिया.

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