बेंगलुरु: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद आए ज्यादातर एग्जिट पोल में कांग्रेस को बढ़त हासिल करने का अनुमान जताया गया है. हालांकि कुछ में कांटे की टक्कर की बात कही गई है. ऐसा में संकेत मिल रहे हैं कि जेडीएस राज्य में किंगमेकर की भूमिका में होगी.
राज्य विधानसभा चुनाव के नतीजों की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर भी हो रही है. जेडीएस की भूमिका अहम होने वाली है. अगर जेडीएस किंगमेकर बनी तो उसे कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा.
चुनाव खत्म होने के बाद जारी एग्जिट पोल में उतनी सीटें नहीं दिख रही हैं, जितनी 2018 के चुनाव में जेडीएस को मिली थीं. हालांकि, यह भविष्यवाणी की गई है कि राज्य की सबसे मजबूत क्षेत्रीय पार्टी किंगमेकर बन जाएगी.
पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा था, 'इस चुनाव में ये किंगमेकर नहीं, पक्का है कि किंग बनेंगे.' कुमारस्वामी की ये बात सच होगी या नहीं ये कल के नतीजों के बाद पता चलेगा.
एक तरफ जेडीएस नेता पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित हैं, तो दूसरी तरफ उन्हें लगता है कि बीजेपी कांग्रेस से ज्यादा उपयुक्त है. अगर धर्मनिरपेक्ष हथियार के दम पर कांग्रेस के साथ गठबंधन में सरकार बनती भी है तो भविष्य में 'ऑपरेशन' होने का डर रहेगा. 2019 में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के दौरान 'ऑपरेशन लोटस' का मामला छिपा नहीं है. ऐसे में कहा जा रहा है कि जेडीएस नेताओं ने इस बार सतर्क कदम उठाने का फैसला किया है.
कांग्रेस के साथ जाने पर नफा-नुकसान?: धर्मनिरपेक्ष रुख स्पष्ट होगा. कांग्रेस ने जेडीएस पार्टी पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाया है. ऐसे में स्पष्ट संदेश जाएगा कि जेडीएस बीजेपी की बी टीम नहीं है.
जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन के लिए मुश्किलें : कांग्रेस अगर जेडीएस के साथ गठबंधन करती है तो उसे कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. कांग्रेस नेताओं के गठबंधन सरकार की अवज्ञा करने की संभावना है. इसके अलावा, संभावना है कि गठबंधन सरकार को 'बीजेपी ऑपरेशन' के खतरे का सामना करना पड़ेगा.
हो सकता है कि घोषणापत्र में किया गया वादा पूरा न हो. इस बार कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद देने में कांग्रेस नेताओं की अनिच्छा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
जेडीएस ने बीजेपी से हाथ मिलाया तो क्या होगा? : जेडीएस ने बीजेपी से हाथ मिलाया तो उसपर बीजेपी की बी टीम का ठप्पा लगेगा. जद (एस) को मुख्यमंत्री पद नहीं मिलेगा. इसके अलावा ऐसी भी अफवाहें हैं कि उन्हें अल्पसंख्यकों के विरोध का सामना करना पड़ेगा.
कुल मिलाकर, जद (एस) के नेता गणना कर रहे हैं कि कांग्रेस और भाजपा दोनों में से किसके साथ गठबंधन करना फायदेमंद होगा. सब कुछ चुनाव परिणाम के बाद तय होगा.