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जैसे चीन भारतीय क्षेत्र में घुसा उसी तरह कर्नाटक में घुसेंगे : संजय राउत

बेलगावी को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बयानों के स्तर पर तकरार लगातार बढ़ रही है. महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद और शिवसेना नेता संजय राउत ने ताजा बयान में कहा है कि जिस तरह चीन भारतीय क्षेत्र में 'घुसा', उसी तरह वे भी इस पड़ोसी दक्षिणी राज्य में घुसेंगे. इधर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने महाराष्ट्र में विपक्षी नेताओं द्वारा विधानसभा के अंदर और बाहर दिए जा रहे बयानों से ऐसा आभास होता है कि उन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है.

Sanjay Raut
संजय राउत फाइल फोटो.
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Published : Dec 22, 2022, 8:43 AM IST

नागपुर/बेलगावी (महाराष्ट्र/कर्नाटक) : महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद बढ़ने पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने बुधवार को यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया कि जिस तरह चीन भारतीय क्षेत्र में 'घुसा', उसी तरह वे भी इस पड़ोसी दक्षिणी राज्य में घुसेंगे. दोनों राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में तनाव के बीच, महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा है कि अगर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई गैर-जिम्मेदाराना बयान देना बंद नहीं करते, तो महाराष्ट्र को अपने बांधों से पड़ोसी राज्य को पानी मुहैया करने के बारे में फिर से विचार करना होगा.

पढ़ें: कांग्रेस पर बरसे भाजपा नेता सीटी रवि, पूरे भाषण में किया डॉग शब्द का इस्तेमाल

एक दिन पहले, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता जयंत पाटिल ने कहा था कि महराष्ट्र को कर्नाटक पर नकेल कसने के लिए अपने बांधों की ऊंचाई बढ़ानी चाहिए. राउत ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि जिस तरह से चीन घुसा (भारतीय क्षेत्र में) हम वैसा ही कर्नाटक में करेंगे. हमें ऐसा करने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि हम वार्ता के जरिये मुद्दे का हल करना चाहते हैं, लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री (अपने बयानों से) हर चीज को निशाना बना रहे हैं. महाराष्ट्र में एक कमजोर सरकार है और इसलिए वह उस राज्य (कर्नाटक) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है.

देसाई ने नागपुर में विधान भवन परिसर में दिन में संवाददाताओं से बातचीत में कर्नाटक सरकार द्वारा महाराष्ट्र को एक इंच भी जमीन नहीं देने के रुख पर सवाल उठाए. महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने कर्नाटक के साथ राज्य के सीमा विवाद पर अदालत में लंबित एक मामले के लिए कानूनी टीम के साथ समन्वय के लिए कैबिनेट सदस्यों चंद्रकांत पाटिल और शंभूराज देसाई को नोडल मंत्री नियुक्त किया था. कर्नाटक विधानमंडल ने राज्य के रुख को दोहराते हुए कहा है कि सीमा का मुद्दा सुलझा हुआ है और पड़ोसी राज्य को एक इंच भी जमीन नहीं दी जाएगी.

पढ़ें: कर्नाटक: बेलगावी में एमईएस महामेलवा पर प्रतिबंध: धारा 144 लागू, संगठन के 5 सदस्य हिरासत में

कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार को सीमा विवाद पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री बोम्मई ने राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करने का सुझाव दिया, जिसमें अपने रुख को दोहराया जाए. देसाई ने कहा कि वह ऐसी टिप्पणियों की निंदा करते हैं. संवैधानिक पद पर रहते हुए ऐसे बयान देना बोम्मई को शोभा नहीं देता. उन्होंने कहा कि जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तो एक मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह की 'उकसाने वाली भाषा' का इस्तेमाल करना सही नहीं है और उन्हें इसे रोकना चाहिए.

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र धैर्य बनाए हुए है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री को ध्यान में रखना चाहिए कि दक्षिणी राज्य मार्च तथा अप्रैल महीने के शुष्क मौसम के दौरान कोयना और कृष्णा बांधों (महाराष्ट्र में) से पानी की आपूर्ति पर बहुत अधिक निर्भर रहता है. देसाई ने कहा कि अगर कर्नाटक नहीं रुकता है, तो महाराष्ट्र को पड़ोसी राज्य को पानी की आपूर्ति को लेकर पुनर्विचार करना होगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मराठी भाषी लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है.

पढ़ें: महाराष्ट्र के सांसद को बेलगावी सीमा में प्रवेश की इजाजत नहीं, डीसी ने जारी किया आदेश

दोनों राज्यों के 1957 में भाषाई आधार पर पुनर्गठन के बाद से सीमा विवाद जारी है. महाराष्ट्र बेलगावी पर अपना दावा करता है, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, क्योंकि मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा वहां रहता है. वह उन 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं. वहीं, कर्नाटक का कहना है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 की महाजन आयोग की रिपोर्ट के तहत भाषाई आधार पर किया गया सीमांकन अंतिम है.

कर्नाटक के सीएम बोले : महाराष्ट्र के विपक्ष के नेता मानसिक संतुलन खो चुके हैं

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में विपक्षी नेताओं द्वारा विधानसभा के अंदर और बाहर दिए जा रहे बयानों से ऐसा आभास होता है कि उन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है. बोम्मई ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए महाराष्ट्र में विपक्षी दलों पर कर्नाटक के साथ सीमा विवाद का राजनीतिकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. बोम्मई ने कहा कि पहले एनसीपी नेताओं ने सीमा मुद्दे से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की लेकिन वे अपने प्रयास में विफल रहे.

पढ़ें: सीमा विवाद पर बोम्मई ने कहा, महाराष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल की शाह से मुलाकात का कोई फर्क नहीं पड़ेगा

बोम्मई ने कहा कि ऐसे समय में जब दोनों राज्यों के लोग सौहार्द बनाए हुए हैं, ये नेता बड़े पैमाने पर कर्नाटक में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं. बोम्मई ने कहा कि लोगों का समर्थन नहीं होने के बावजूद राजनीतिक दलों के झंडों से पता चलता है कि विरोध मार्च में केवल विपक्षी दलों के सदस्य और उसके पदाधिकारी शामिल थे. यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि यह मार्च राजनीति से प्रेरित था. सीएम ने कर्नाटक के कांग्रेस नेताओं से अपने महाराष्ट्र समकक्षों से बात करने का भी आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि यह सड़कों पर हल करने का मुद्दा नहीं है और यही बात केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी कही थी. उन्होंने कहा कि इसी महाराष्ट्र ने सीमा रेखा को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन वह समझ गया है कि उसका मामला बहुत कमजोर है. अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए महाराष्ट्र ऐसी स्थिति बना रह है और इसका लाभ उठाना चाहता है. लेकिन वह सफल नहीं होगा. बोम्मई की टिप्पणी शिवसेना-यूबीटी सांसद संजय राउत द्वारा बुधवार को कर्नाटक में घुसने की धमकी देने के बाद आई है.

पढ़ें: सीमा विवाद : बेलगावी में कड़ी सुरक्षा के बीच शांति कायम

उन्होंने कहा कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया है, इसलिए उन्हें कर्नाटक में प्रवेश के लिए किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है. उनके इस बयान के बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद पर नए सिरे से वाकयुद्ध छिड़ गया है. बोम्मई ने कहा कि विपक्षी नेता का चीन की तरह कर्नाटक पर हमला करने की कोशिश का बयान उनकी अपरिपक्वता को दर्शाता है. लेकिन उस नेता को इस तथ्य की जानकारी नहीं है कि कर्नाटक भारत में है. बोम्मई ने कहा कि भारतीय सेना की तरह कर्नाटक पुलिस महाराष्ट्र के प्रदर्शनकारियों को वापस खदेड़ देगी. कन्नड़ लोग उन्हें खदेड़ने के लिए काफी मजबूत हैं.

पढ़ें: महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर बेलगावी में प्रदर्शन, हिरासत में लिये गए प्रदर्शनकारी

(इनपुट: पीटीआई-भाषा/आईएनएस)

नागपुर/बेलगावी (महाराष्ट्र/कर्नाटक) : महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद बढ़ने पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने बुधवार को यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया कि जिस तरह चीन भारतीय क्षेत्र में 'घुसा', उसी तरह वे भी इस पड़ोसी दक्षिणी राज्य में घुसेंगे. दोनों राज्यों के सीमावर्ती इलाकों में तनाव के बीच, महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने कहा है कि अगर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई गैर-जिम्मेदाराना बयान देना बंद नहीं करते, तो महाराष्ट्र को अपने बांधों से पड़ोसी राज्य को पानी मुहैया करने के बारे में फिर से विचार करना होगा.

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एक दिन पहले, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता जयंत पाटिल ने कहा था कि महराष्ट्र को कर्नाटक पर नकेल कसने के लिए अपने बांधों की ऊंचाई बढ़ानी चाहिए. राउत ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि जिस तरह से चीन घुसा (भारतीय क्षेत्र में) हम वैसा ही कर्नाटक में करेंगे. हमें ऐसा करने के लिए किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि हम वार्ता के जरिये मुद्दे का हल करना चाहते हैं, लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री (अपने बयानों से) हर चीज को निशाना बना रहे हैं. महाराष्ट्र में एक कमजोर सरकार है और इसलिए वह उस राज्य (कर्नाटक) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है.

देसाई ने नागपुर में विधान भवन परिसर में दिन में संवाददाताओं से बातचीत में कर्नाटक सरकार द्वारा महाराष्ट्र को एक इंच भी जमीन नहीं देने के रुख पर सवाल उठाए. महाराष्ट्र सरकार ने पिछले महीने कर्नाटक के साथ राज्य के सीमा विवाद पर अदालत में लंबित एक मामले के लिए कानूनी टीम के साथ समन्वय के लिए कैबिनेट सदस्यों चंद्रकांत पाटिल और शंभूराज देसाई को नोडल मंत्री नियुक्त किया था. कर्नाटक विधानमंडल ने राज्य के रुख को दोहराते हुए कहा है कि सीमा का मुद्दा सुलझा हुआ है और पड़ोसी राज्य को एक इंच भी जमीन नहीं दी जाएगी.

पढ़ें: कर्नाटक: बेलगावी में एमईएस महामेलवा पर प्रतिबंध: धारा 144 लागू, संगठन के 5 सदस्य हिरासत में

कर्नाटक विधानसभा में मंगलवार को सीमा विवाद पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री बोम्मई ने राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित करने का सुझाव दिया, जिसमें अपने रुख को दोहराया जाए. देसाई ने कहा कि वह ऐसी टिप्पणियों की निंदा करते हैं. संवैधानिक पद पर रहते हुए ऐसे बयान देना बोम्मई को शोभा नहीं देता. उन्होंने कहा कि जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है, तो एक मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह की 'उकसाने वाली भाषा' का इस्तेमाल करना सही नहीं है और उन्हें इसे रोकना चाहिए.

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र धैर्य बनाए हुए है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री को ध्यान में रखना चाहिए कि दक्षिणी राज्य मार्च तथा अप्रैल महीने के शुष्क मौसम के दौरान कोयना और कृष्णा बांधों (महाराष्ट्र में) से पानी की आपूर्ति पर बहुत अधिक निर्भर रहता है. देसाई ने कहा कि अगर कर्नाटक नहीं रुकता है, तो महाराष्ट्र को पड़ोसी राज्य को पानी की आपूर्ति को लेकर पुनर्विचार करना होगा. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मराठी भाषी लोगों के साथ मजबूती से खड़ा है.

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दोनों राज्यों के 1957 में भाषाई आधार पर पुनर्गठन के बाद से सीमा विवाद जारी है. महाराष्ट्र बेलगावी पर अपना दावा करता है, जो तत्कालीन बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था, क्योंकि मराठी भाषी आबादी का एक बड़ा हिस्सा वहां रहता है. वह उन 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा करता है, जो वर्तमान में कर्नाटक का हिस्सा हैं. वहीं, कर्नाटक का कहना है कि राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 की महाजन आयोग की रिपोर्ट के तहत भाषाई आधार पर किया गया सीमांकन अंतिम है.

कर्नाटक के सीएम बोले : महाराष्ट्र के विपक्ष के नेता मानसिक संतुलन खो चुके हैं

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में विपक्षी नेताओं द्वारा विधानसभा के अंदर और बाहर दिए जा रहे बयानों से ऐसा आभास होता है कि उन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है. बोम्मई ने यहां पत्रकारों से बात करते हुए महाराष्ट्र में विपक्षी दलों पर कर्नाटक के साथ सीमा विवाद का राजनीतिकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया. बोम्मई ने कहा कि पहले एनसीपी नेताओं ने सीमा मुद्दे से राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश की लेकिन वे अपने प्रयास में विफल रहे.

पढ़ें: सीमा विवाद पर बोम्मई ने कहा, महाराष्ट्र के प्रतिनिधिमंडल की शाह से मुलाकात का कोई फर्क नहीं पड़ेगा

बोम्मई ने कहा कि ऐसे समय में जब दोनों राज्यों के लोग सौहार्द बनाए हुए हैं, ये नेता बड़े पैमाने पर कर्नाटक में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं. बोम्मई ने कहा कि लोगों का समर्थन नहीं होने के बावजूद राजनीतिक दलों के झंडों से पता चलता है कि विरोध मार्च में केवल विपक्षी दलों के सदस्य और उसके पदाधिकारी शामिल थे. यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि यह मार्च राजनीति से प्रेरित था. सीएम ने कर्नाटक के कांग्रेस नेताओं से अपने महाराष्ट्र समकक्षों से बात करने का भी आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि यह सड़कों पर हल करने का मुद्दा नहीं है और यही बात केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी कही थी. उन्होंने कहा कि इसी महाराष्ट्र ने सीमा रेखा को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन वह समझ गया है कि उसका मामला बहुत कमजोर है. अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए महाराष्ट्र ऐसी स्थिति बना रह है और इसका लाभ उठाना चाहता है. लेकिन वह सफल नहीं होगा. बोम्मई की टिप्पणी शिवसेना-यूबीटी सांसद संजय राउत द्वारा बुधवार को कर्नाटक में घुसने की धमकी देने के बाद आई है.

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उन्होंने कहा कि चीन ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया है, इसलिए उन्हें कर्नाटक में प्रवेश के लिए किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है. उनके इस बयान के बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा विवाद पर नए सिरे से वाकयुद्ध छिड़ गया है. बोम्मई ने कहा कि विपक्षी नेता का चीन की तरह कर्नाटक पर हमला करने की कोशिश का बयान उनकी अपरिपक्वता को दर्शाता है. लेकिन उस नेता को इस तथ्य की जानकारी नहीं है कि कर्नाटक भारत में है. बोम्मई ने कहा कि भारतीय सेना की तरह कर्नाटक पुलिस महाराष्ट्र के प्रदर्शनकारियों को वापस खदेड़ देगी. कन्नड़ लोग उन्हें खदेड़ने के लिए काफी मजबूत हैं.

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(इनपुट: पीटीआई-भाषा/आईएनएस)

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