देहरादून: देश में मौजूद हाथियों की हर छोटी से छोटी जानकारी अब भारतीय वन्य जीव संस्थान (Wildlife Institute of India) के पास मौजूद रहेगी. यह सब हाथियों की गणना के लिए प्रयोग में लाये गए नए प्रयोग से मुमकिन हुआ है. डब्ल्यूआईआई यानी Indian Wildlife Institute ने भारत सरकार के निर्देशों के क्रम में पहली बार देशभर में हाथियों की डीएनए आधारित गणना की है, जो न केवल हाथियों की संख्या बल्कि दूसरे कई मामलों में भी हाथियों के अध्ययन को लेकर काम आएगी.
डीएनए आधारित गणना: जंगल के सबसे बड़े जानवर की गणना के लिए पहली बार देश में डीएनए आधारित प्रयोग को किया गया है. भारत सरकार के सामने हाथियों की गिनती के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले विभिन्न तरीकों को रखे जाने के बाद वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया ने डीएनए आधारित गणना को लगभग पूरा कर लिया है.
केंद्र सरकार ने दी मंजूरी: दरअसल, भारत सरकार ने हाथियों की डीएनए आधारित गणना को लेकर मंजूरी दी थी, जिसके बाद ही WII ने इस महत्वपूर्ण काम को पूरा किया है. बता दें कि अब तक हाथियों की गणना ब्लॉक काउंट के जरिए की जाती थी, जो पूरी तरह से साइंटिफिक नहीं होने के कारण सटीक गणना पर संशय बना रहता था. इस दौरान एक ही हाथी को दो बार गिने जाने की भी संभावना रहती थी. लिहाजा भारत सरकार ने हाथियों की साइंटिफिक गणना किए जाने का फैसला लिया और इसकी जिम्मेदारी भारतीय वन्य जीव संस्थान ने उठाई.
हाथी के गोबर से लिया जाता है डीएनए: भारतीय वन्यजीव संस्थान की तरफ से देश भर के 20 क्षेत्रों से हाथियों के डीएनए लिए जाने हैं, जिसमें से अब तक 18 साइट पर डीएनए लिए जा चुके हैं. दरअसल डब्ल्यूआईआई हाथियों के गोबर से डीएनए कलेक्ट करता है और इसका काम करीब करीब संस्थान की तरफ से पूरा किया जा चुका है.
दो साइट से सैंपल लेने बाकी: खास बात यह है कि संस्थान दिसंबर तक हाथियों की डीएनए आधारित रिपोर्ट को भारत सरकार को भेज देगा. यानी भारतीय वन्यजीव संस्थान ने डीएनए लेने का काम करीब पूरा कर ही लिया है और दो साइट से सैंपल लेने के बाद रिपोर्ट को जल्द से जल्द तैयार कर दिया जाएगा.
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2017 की रिपोर्ट में हाथियों की संख्या 29,964 थी: हालांकि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की तरफ से हाथियों की गणना को लेकर इस नए तरीके का उपयोग करने की तैयारी काफी लंबे समय से की जा रही थी. साल 2022 से संस्थान इसकी तैयारी में जुटा हुआ है. फिलहाल देखा जाए तो साल 2017 में मिली रिपोर्ट के अनुसार देश में हाथियों की संख्या 29,964 थी.
डीएनए टेस्ट से हाथियों की सटीक जानकारी मिलेगी: डीएनए टेस्ट न केवल हाथियों की गणना के लिए मददगार साबित होने वाला है, बल्कि ऐसे हाथियों की हैबिटेट की भी जानकारी मिल पाएगी. डीएनए के माध्यम से हाथियों की प्रजाति और उनकी उम्र का भी आसानी से पता लगाया जा सकेगा.
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कैमरा ट्रैप से भी हो रही हाथियों की गणना: बड़ी बात यह है कि डीएनए प्रोफाइलिंग के अलावा Wildlife Institute of India कैमरा ट्रैप के जरिए भी हाथियों की एक साथ गणना करने का काम कर रहा है. इतना ही नहीं देशभर के हाथियों की डीएनए रिपोर्ट आने के बाद इस पर कई तरह के शोध भी किये जे सकेंगे, जो कि हाथियों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा.