मेरठः बीते दिनों एसडीएम ज्योति मौर्या का मामला जब सोशल मीडिया पर आया था तो उसके बाद कई ऐसे मामले सामने आने लगे थे. इसे लेकर समाज में न केवल चिंता बढ़ी बल्कि सवाल भी उठे कि क्या जीवनसाथी को आगे बढ़ाना गलत फैसला साबित हो सकता है. ऐसे में मेरठ का एक जोड़ा इस सवाल का जवाब बनकर सामने आया है. यह जोड़ा 37 साल से साथ रह रहा है. दोनों का प्रेम और समर्पण मिसाल के काबिल है. पति सरकारी मुलाजिम रह चुके हैं तो वहीं पत्नी स्कूल में प्रिंसिपल हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई शादी के बाद ही पूरी की. दोनों के विचार और प्यार से समाज के लोग बेहद प्रभावित हैं.
नीरा तोमर ने बताया कि उनकी शादी 1986 में रामपाल सिंह से हुई थी. शादी के बाद पति ने उन्हें आगे पढ़ाने का फैसला किया. पति ने उन्हें ग्रेजुएशन कराने के साथ ही बीएड, एमएड और पीएचडी तक करवाई. पति के प्रयासों की बदौलत उनकी नौकरी सरकारी स्कूल में लग गई. ये उनके प्रयास का ही नतीजा है कि आज वह उस स्कूल में प्रिंसिपल हैं. उन्होंने बताया कि पति रामपाल सिंह रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं.
नीरा बताती हैं कि वह बागपत के ऐसे क्षेत्र से थीं, जो काफी पिछड़ा माना जाता है. यहां पर महिलाओं को दूसरी ही नजर से देखा जाता था. वह बतातीं हैं कि पढाई लिखाई तो दूर की बात थी. महिलाओं, बेटियों का घर के बाहर पैर रखने पर भी लोग उस घर के मुखिया से सवाल जवाब तक करते थे. बचपन से मन में एक ही हसरत थी कि वह एक बड़ा मुकाम हासिल करें. इस दौरान उनकी शादी हो गई तो पढ़ाई का सपना टूट गया. बाद में पता चला कि पति पढ़ाई को काफी महत्व देते हैं. उन्होंने कहा कि क्या तुम पढ़ना चाहती हो तो पढ़ो. इसके बाद उन्होंने फिर पढ़ाई शुरू की.
आज भी याद है जब उनका बीएड का जब इंट्रेंस था तब बेटी नौ दिन की थी. घरवालों ने कहा कि कैसे इंट्रेंस दोगी. हालांकि इस दौरान पति ने साथ दिया और उनकी हिम्मत नहीं टूटने दी. बीएडी पूरा होने के बाद उन्होंने एमएड, एमफिल और पीएचडी किया. वह अपनी सफलता का पूरा श्रेय पति को देतीं हैं. मेरी योग्यता को पहचानने वाले मेरे पति ही थे. उन्होंने बताया कि दोनों के बीच उम्र में 15 साल का अंतर है लेकिन दोनों को एक दूसरे से बेहद प्रेम है. उन्होंने कहा कि पति ने गहने नहीं दिलवाए लेकिन शिक्षा जरूर दिलवाई. इससे उन्होंने हमेशा खुद को स्वतंत्र महसूस किया.
नीरा ने बताया कि उनके पति ने शुरूआत में ही कहा था कि अगर तुम समाज की सुन सको तो ही घर से निकलना नहीं तो अगर सुनने की क्षमता न हो तो घर पर ही रहो, दोनों का गुजारा हो जाएाग. नीरा तोमर कहती हैं कि उन्होंने सदैव याद रखी कि समाज तो कुछ न कुछ कहेगा. उन्होंने कहा कि जिसने धैर्य रख लिया उसे सफलता मिलना तय है. साथ ही समाज में उसकी प्रतिष्ठा भी बढ़ने लगती है. नीरा ने बताया कि अध्यापन के अलावा वह बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए भी सामाजिक कार्य कर रहीं हैं. ज्योति मौर्या के मामले को लेकर उन्होंने कहा कि किसी के निजी जीवन में ताक-झांक और तर्क वितर्क नहीं होने चाहिए. ऐसे मसलों पर लोग अपनी राय न ही दें.
वहीं, रामपाल बताते हैं अगर एक दूसरे के प्रति समर्पण भाव नहीं है एक दूसरे का आदर सम्मान नहीं है तो ऐसे में सात जन्मों का नाता कैसे टिक पाएगा. इसी जन्म में मुश्किल हो जा रही है तो आगे कैसे चलेगा. जो पति-पत्नी हर परिस्थिति में साथ निभाते हैं उनका साथ भगवान भी देता है और अपनी दया और करुणा लुटा देता है. ऐसे घर में अगर गरीबी है तो धीरे-धीरे वह खत्म हो जाती है और घर में संपन्नता आ जाती है. वह कहते हैं कि जिस घर में नारी की पूजा होगी उस घर में देवताओं का वास होगा और सम्पन्नता आएगी. एक दूसरे के प्रति समर्पण और प्रेम का भाव होना बेहद ही जरूरी है.
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