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आखिर 'हठ योगी' बनने पर क्यों आमादा हैं योगी ?

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Published : Jul 16, 2021, 8:32 PM IST

कांवड़ यात्रा को लेकर पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ आमने-सामने हैं. दरअसल कांवड़ यात्रा को लेकर केंद्र और यूपी सरकार का रुख अलग-अलग है. जिसपर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट फैसला करेगा लेकिन सवाल है कि कोरोना की लहर के बीच योगी आदित्यनाथ हठ योगी बनने पर क्यों आमादा हैं?

योगी
योगी

हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार) योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार को इस साल कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है भले ही वो सांकेतिक यात्रा क्यों न हो. न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि यह देखते हुए कि "भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है" सुप्रीमकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को सोमवार तक कि मोहलत दी है ताकि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार कर अपने फैसले से कोर्ट को अवगत कराए.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?

देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हम पहली नजर में मानते हैं कि यह हर नागरिक से जुड़ा मामला है और धार्मिक सहित अन्य सभी भावनाएं नागरिकों के जीवन के अधिकार के अधीन हैं". कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है. अन्य सभी भावनाएँ चाहे धार्मिक होना इस मूल मौलिक अधिकार के अधीन है.

सुप्रीम कोर्ट करेगा कांवड़ यात्रा पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट करेगा कांवड़ यात्रा पर फैसला

क्या इस बार होगी कांवड़ यात्रा ?

कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के कारण पिछले साल भी कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई थी लेकिन इस साल संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए भी योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा को स्थगित रखने के बजाय यात्रा को हरी झंडी दे दी. उसके बाद ही ये शोर शुरू हो गया कि कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुए भी योगी सरकार ने कैसे इसकी इजाज़त दे दी ?. जबकि इसके उलट पड़ोसी राज्य उत्तराखंड ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया था.

योगी सरकार के इस फैसले ने उत्तराखंड सरकार को भी उलझन में डाल दिया क्योंकि सभी कांवड़ियों को गंगा जल लेने के लिए उत्तराखण्ड में प्रवेश करना ही है. इससे निजात पाने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने बकायदा मीटिंग कर इन सारे हालात से निपटने के लिए अपनी योजना तैयार कर ली थी. 24 जुलाई से हरिद्वार बॉर्डर को कांवड़ियों के लिए सील करने का फैसला कर लिया.

क्या इस साल मुमकिन है कांवड़ यात्रा ?
क्या इस साल मुमकिन है कांवड़ यात्रा ?

कांवड़ यात्रा और सियासी फल

हर साल श्रावण मास में कांवड़ यात्रा शुरू होती है. इस यात्रा के जरिये धार्मिक अनुयायी सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर गंगा नदी के पवित्र जल को कांवड़ में रखकर लाते हैं. फिर उसी जल से अपने गांव, घर के शिवालयों का जलाभिषेक करते हैं. यात्रा में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित देश के सभी राज्यों से लाखों शिव भक्त गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार जाते हैं. हर साल तकरीबन तीन से चार करोड़ कांवड़िये पद यात्रा करते है. एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में क़रीब 3.5 करोड़ लोगों ने धार्मिक यात्रा की थी. पिछले साल सभी राज्यों ने कोरोना संक्रमण की वजह से रद्द कर दी थी. इस साल भी उत्तराखण्ड के साथ-साथ ओडिशा ने भी कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. चूकि उत्तरप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है तो धार्मिक मुद्दें परवान चढ़ना लाज़मी है.
सवाल ये नहीं कि धार्मिक यात्रा को लेकर सर्वोच्च अदालत ने खुद ही सरकारों को कटघरे में खड़ा कर दिया है बल्कि सवाल ये है कि चुनाव संभावित राज्यों में सरकारों की प्राथमिकताएं कैसे बदल जाती हैं ? योगी सरकार के ही बात करें तो बीते साल ही सरकार ने कांवड़ यात्रा के लिए खुद ही मना कर दिया था. कहीं कोई हो- हल्ला नहीं हुआ, ना सरकार ने ही दिलचस्पी दिखाए और ना ही किसी धार्मिक संगठन ने कोई ज़िद की.

सवाल ये भी है कि जनता के हितों की रखवाली करना सरकारों की ज़िम्मेदारी है लेकिन बार-बार यही अदालतों को हस्तक्षेप कर सरकारों को रास्ता दिखाना पड़ता है. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में भी सरकारें इस तरह के फैसले ले रही हैं. और अदालत को अपने अधिकारों का प्रयोग कर आवश्यक कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ा.

कांवड़ यात्रा पर योगी बनाम मोदी
कांवड़ यात्रा पर योगी बनाम मोदी

कांवड़ पर योगी बनाम मोदी

इस साल ऐसा क्या बदल गया कि योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा को मंजूरी भी दे दी और सर्वोच्च अदालत में भी अपने फैसले पर अडिग रहने को तत्पर है. आज के रुख से तो साफ़ ज़ाहिर है कि योगी जी, मोदी जी (केंद्र सरकार) की मंशा के खिलाफ जाकर भी हठ योगी बनने पर आमादा हैं. हालांकि अंतिम रुख सोमवार को ही पता चलेगा जब सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.

उत्तर प्रदेश सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले का बचाव करते हुए जो कहा है उससे तो ये नहीं लगता कि योगी सरकार कांवड़ यात्रा रोकने के मूड में है. क्योंकि इस यात्रा के जरिये योगी सरकार को दोनों ओर से सियासी लाभ मिलता नज़र आ रहा है. एक तो यात्रा की अनुमति देकर पहले ही सरकार ने सियासी रुख अपनी ओर मोड़ लिया है ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट यात्रा पर रोक लगाती है तो इसका सियासी लाभ भी योगी सरकार के पक्ष में जाएगा. जिसका परोक्ष फायदा चुनाव में मिलना तय है.

ये भी पढ़ें: कांवड़ यात्रा मामले में पीएम मोदी और सीएम योगी आमने-सामने

हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट ने आज (शुक्रवार) योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार को इस साल कांवड़ यात्रा की अनुमति देने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है भले ही वो सांकेतिक यात्रा क्यों न हो. न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने कहा कि यह देखते हुए कि "भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है" सुप्रीमकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को सोमवार तक कि मोहलत दी है ताकि वो अपने फैसले पर पुनर्विचार कर अपने फैसले से कोर्ट को अवगत कराए.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?

देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हम पहली नजर में मानते हैं कि यह हर नागरिक से जुड़ा मामला है और धार्मिक सहित अन्य सभी भावनाएं नागरिकों के जीवन के अधिकार के अधीन हैं". कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि भारत के नागरिकों का स्वास्थ्य और जीवन का अधिकार सर्वोपरि है. अन्य सभी भावनाएँ चाहे धार्मिक होना इस मूल मौलिक अधिकार के अधीन है.

सुप्रीम कोर्ट करेगा कांवड़ यात्रा पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट करेगा कांवड़ यात्रा पर फैसला

क्या इस बार होगी कांवड़ यात्रा ?

कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी के कारण पिछले साल भी कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई थी लेकिन इस साल संक्रमण की संभावित तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए भी योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा को स्थगित रखने के बजाय यात्रा को हरी झंडी दे दी. उसके बाद ही ये शोर शुरू हो गया कि कोरोना महामारी की भयावहता को देखते हुए भी योगी सरकार ने कैसे इसकी इजाज़त दे दी ?. जबकि इसके उलट पड़ोसी राज्य उत्तराखंड ने कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने का ऐलान कर दिया था.

योगी सरकार के इस फैसले ने उत्तराखंड सरकार को भी उलझन में डाल दिया क्योंकि सभी कांवड़ियों को गंगा जल लेने के लिए उत्तराखण्ड में प्रवेश करना ही है. इससे निजात पाने के लिए उत्तराखंड पुलिस ने बकायदा मीटिंग कर इन सारे हालात से निपटने के लिए अपनी योजना तैयार कर ली थी. 24 जुलाई से हरिद्वार बॉर्डर को कांवड़ियों के लिए सील करने का फैसला कर लिया.

क्या इस साल मुमकिन है कांवड़ यात्रा ?
क्या इस साल मुमकिन है कांवड़ यात्रा ?

कांवड़ यात्रा और सियासी फल

हर साल श्रावण मास में कांवड़ यात्रा शुरू होती है. इस यात्रा के जरिये धार्मिक अनुयायी सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर गंगा नदी के पवित्र जल को कांवड़ में रखकर लाते हैं. फिर उसी जल से अपने गांव, घर के शिवालयों का जलाभिषेक करते हैं. यात्रा में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित देश के सभी राज्यों से लाखों शिव भक्त गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार जाते हैं. हर साल तकरीबन तीन से चार करोड़ कांवड़िये पद यात्रा करते है. एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में क़रीब 3.5 करोड़ लोगों ने धार्मिक यात्रा की थी. पिछले साल सभी राज्यों ने कोरोना संक्रमण की वजह से रद्द कर दी थी. इस साल भी उत्तराखण्ड के साथ-साथ ओडिशा ने भी कांवड़ यात्रा पर पूरी तरह से रोक लगा दी है. चूकि उत्तरप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है तो धार्मिक मुद्दें परवान चढ़ना लाज़मी है.
सवाल ये नहीं कि धार्मिक यात्रा को लेकर सर्वोच्च अदालत ने खुद ही सरकारों को कटघरे में खड़ा कर दिया है बल्कि सवाल ये है कि चुनाव संभावित राज्यों में सरकारों की प्राथमिकताएं कैसे बदल जाती हैं ? योगी सरकार के ही बात करें तो बीते साल ही सरकार ने कांवड़ यात्रा के लिए खुद ही मना कर दिया था. कहीं कोई हो- हल्ला नहीं हुआ, ना सरकार ने ही दिलचस्पी दिखाए और ना ही किसी धार्मिक संगठन ने कोई ज़िद की.

सवाल ये भी है कि जनता के हितों की रखवाली करना सरकारों की ज़िम्मेदारी है लेकिन बार-बार यही अदालतों को हस्तक्षेप कर सरकारों को रास्ता दिखाना पड़ता है. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में भी सरकारें इस तरह के फैसले ले रही हैं. और अदालत को अपने अधिकारों का प्रयोग कर आवश्यक कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ा.

कांवड़ यात्रा पर योगी बनाम मोदी
कांवड़ यात्रा पर योगी बनाम मोदी

कांवड़ पर योगी बनाम मोदी

इस साल ऐसा क्या बदल गया कि योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा को मंजूरी भी दे दी और सर्वोच्च अदालत में भी अपने फैसले पर अडिग रहने को तत्पर है. आज के रुख से तो साफ़ ज़ाहिर है कि योगी जी, मोदी जी (केंद्र सरकार) की मंशा के खिलाफ जाकर भी हठ योगी बनने पर आमादा हैं. हालांकि अंतिम रुख सोमवार को ही पता चलेगा जब सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.

उत्तर प्रदेश सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में अपने फैसले का बचाव करते हुए जो कहा है उससे तो ये नहीं लगता कि योगी सरकार कांवड़ यात्रा रोकने के मूड में है. क्योंकि इस यात्रा के जरिये योगी सरकार को दोनों ओर से सियासी लाभ मिलता नज़र आ रहा है. एक तो यात्रा की अनुमति देकर पहले ही सरकार ने सियासी रुख अपनी ओर मोड़ लिया है ऐसे में अगर सुप्रीम कोर्ट यात्रा पर रोक लगाती है तो इसका सियासी लाभ भी योगी सरकार के पक्ष में जाएगा. जिसका परोक्ष फायदा चुनाव में मिलना तय है.

ये भी पढ़ें: कांवड़ यात्रा मामले में पीएम मोदी और सीएम योगी आमने-सामने

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