नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में रविवार को प्रधानमंत्री ने नेताओं और अपने कार्यकर्ताओं को आम आदमी के साथ मानवता भरे और संवेदनशीलता के साथ पेश आने का मंत्र दिया. सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री ने नेताओं को जमीन से जुड़े रहने और जनता के बीच पार्टी और सरकार के प्रति और विश्वास जगाने का भी निर्देश दिया.
हालांकि नेताओं ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने तेलंगाना और हरियाणा में वोट शेयर बढ़ने पर सराहना भी की, लेकिन इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताओं को सहृदयता से पेश आने के कड़े निर्देश दिए हैं.
रविवार को पूरे दिन चली कार्यसमिति की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आखिरकार कार्यकर्ताओं और नेताओं को लोगों के साथ सहृदयता के साथ पेश आने और आमजन में विश्वास बढ़ाने की हिदायत देने की जरूरत क्यों पड़ी.
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रधानमंत्री ने नेताओं को साफ-साफ यह निर्देश दिए कि चाहे वह किसी भी स्तर पर पार्टी में मौजूद हो, मगर उन्हें जमीन से जुड़े ही रहना होगा और अपने क्षेत्र और कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास बढ़ाने के लिए हर हाल में कार्य करना होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताओं के बगैर नाम लिए हाल में हुई पार्टी के नेताओं से जुड़ी घटनाओं पर भी एक तरह से अपनी नाराजगी जताई. विश्वस्त सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने यहां तक कहा कि नेता इस बात की गलतफहमी में ना रहे कि हम हैं तो पार्टी है, उन्होंने कहा कि यह पार्टी सभी के मेहनत और विश्वास की वजह से आज दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है और किसी भी नेता के द्वारा किए गए सार्वजनिक व्यवहार से पार्टी को यदि कोई नुकसान होता है, तो पार्टी उसे किसी हाल में भी बर्दाश्त नहीं करेगी. चाहे वह नेता पार्टी के कितने भी महत्वपूर्ण पद पर बैठा हो.
उन्होंने कहा कि पार्टी हमारी मां के समान है और यदि इसका सम्मान करते हुए हम कार्यकर्ताओं और जन भावनाओं का सम्मान नहीं करेंगे, तो जिस विश्वास से लोगों ने आज हमें यहां तक पहुंचाया है उनके विश्वास को ठेस लग सकती है.
हाल ही में हुई लखीमपुर खीरी घटना और कुछ अन्य घटनाओं की वजह से जिनमें पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं के आचरण की वजह से पार्टी को इन राज्यों में खासा नुकसान उठाना पड़ा है, जिसका पार्टी अभी तक डैमेज कंट्रोल कर रही है और इस बात का असर प्रधानमंत्री की तरफ से दी गई हिदायत में साफ कर दिया गया.
वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री ने तलंगाना हरियाणा और आंध्र प्रदेश में बड़े वोट शेयर को लेकर भी पार्टी के नेताओं के बीच उत्साह बढ़ाया और कहा कि भले हम यह सीटें जीत ना पाए हैं. मगर यह आने वाले दिनों के लिए एक अच्छा सूचक माना जा सकता है.
हाल में हुई विधानसभा उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कई जगह पर खाशा नुकसान भी हुआ है और इन उपचुनाव के रिजल्ट में यह भी संदेश दिया है कि कांग्रेस फिर से कई राज्यों में उभर सकती है और यह कहीं ना कहीं पार्टी के लिए एक चिंता का सबब है, उपचुनाव के रिजल्ट के बाद से ही पार्टी में इस बात को लेकर मंथन चल रहा है और चुनाव के रिजल्ट के बाद भी मंत्री अमित शाह ने उन राज्यों के पदाधिकारियों के साथ डिजिटल माध्यम के द्वारा बातचीत कर उपचुनाव के रिजल्ट पर विश्लेषण भी किया था.
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इसके बाद से ही पार्टी आगामी पांच राज्यों के चुनाव को लेकर काफी सजग हो चुकी है, क्योंकि यह उपचुनाव के रिजल्ट पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं दे रहे हैं और यही वजह है कि उपचुनाव के रिजल्ट के बाद ही दिवाली के मौके पर केंद्र सरकार ने आनन-फानन में पेट्रोलियम पदार्थों की बेतहाशा हो रही वृद्धि को नियंत्रण में करने के लिए कीमत में कुछ कटौती की भी घोषणा की.
इससे पहले पार्टी और सरकार दोनों ही आम जनों के मुद्दे से धीरे-धीरे दूर होती जा रही थी, जबकि विपक्ष बेतहाशा बढ़ती महंगाई और पेट्रोल डीजल के दामों को लेकर लगातार सरकार पर हमला बोल रहा था. मगर सरकार और सत्ताधारी पार्टी ,बिजेपी, लगातार अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों ने मात्र हिंदुत्व, कश्मीर से धारा 370 हटाना,आतंकवाद को खत्म करना, राम मंदिर बनवाना, किसान आंदोलन की भर्त्सना करना जैसे, तमाम मुद्दों का जी सिर्फ जिक्र कर रही थी, जबकि आम जनता महंगाई, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती क़ीमत और कोरोना के बाद बढ़ती महंगाई को लेकर जूझ रही है.
सूत्रों की माने तो बीजेपी की इस बैठक में कहीं न कहीं पार्टी ने इस बात पर तरजीह जरूर दी है कि सरकार और पार्टी दोनों को ही आम जनता के इन बेसिक मुद्दों की अनदेखी करना भविष्य में नुकसानदायक हो सकता है.