हैदराबाद : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडियन बैंक असोसिएशन की सालाना आम बैठक में देश की इकोनॉमी में आने वाली चुनौतियों की चर्चा की थी. उन्होंने कहा था कि भारत को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के आकार के चार या पांच अन्य बैंकों की जरूरत है. इकोनॉमी और इंडस्ट्री में हाल में आए बदलावों के कारण हमें बैंकिंग के विस्तार करने की जरूरत है.
सबसे बड़ा सवाल, 4-5 बड़े बैंक क्यों ?
एक तर्क यह है कि बड़े बैंकों को बड़े लोन की लेन-देन के लिए अधिक वित्तीय ताकत मिलेगी और वह अधिक लोगों को बड़े लोन दे भी सकते हैं. इससे नीचे के स्तर पर लोन का फ्लो बनेगा. मगर भारत में पिछले साल बैंकों के मर्जर के बाद भी ऋण लेने वालों की तादाद में कोई बड़ा उछाल नहीं आया क्योंकि धरातल पर लोन की डिमांड नहीं हैं. मगर हम आने वाले दशक की बात करें तो लोन लेने वालों की तादाद बढ़ सकती है.
न्यू डेवलपमेंट बैंक के पूर्व अध्यक्ष के वी कामथ ने कहा था कि अगर भारत को पहले 5 ट्रिलियन डॉलर और 10 वर्षों में 10 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का ख्वाब पूरा करना है तो उसे बड़े वित्तीय संस्थानों की जरूरत होगी. ऐसे बैंक न सिर्फ घरेलू बाजार की आवश्यकता पूरी करेंगे बल्कि वैश्विक व्यापार की जरूरतों में फिट होंगे.
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले वर्षों में एमएसएमई और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को फाइनैंस के लिए बड़े फंड की जरूरत होगी. इसके अलावा जब उपभोक्ता या खुदरा बैंकिंग का अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से विस्तार होगा तो मनी फ्लो की जरूरत होगी. ऐसे हालात में फाइनैंस करने वाले बैंक की जरूरत होगी. इन जरूरतों को पूरा करने के लिए आरबीआई के इंटरनल वर्किंग ग्रुप ने भी बड़े कॉरपोरेट और औद्योगिक घरानों को बैंक स्थापित करने की अनुमति देने की सिफारिश की थी.
चीन से मुकाबला करना है तो बदलाव करने होंगे
अभी विश्व के टॉप 100 में शामिल होने वाला SBI एकमात्र भारतीय बैंक है. एसबीआई 638.49 अरब डॉलर (48.5 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति के साथ 57वें स्थान पर है, जो पिछले साल 55वें स्थान पर था.
चीन का औद्योगिक और वाणिज्यिक बैंक नंबर वन की पोजिशन पर है, जिसके पास $ 5107.54 बिलियन की संपत्ति है. चीन के चार टॉप बैंक इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना, चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक कॉर्प, एग्रीकल्चर बैंक ऑफ चाइना और बैंक ऑफ चाइना के पास कुल मिलाकर17 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति है.
चीन की बैंकिंग प्रणाली उसकी जीडीपी का 1.7 गुना है और भारत में यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7 गुना है. चीनी बैंकिंग प्रणाली अपने सकल घरेलू उत्पाद के आकार से लगभग दोगुनी है, जबकि भारतीय बैंकिंग प्रणाली बहुत छोटी है. ग्लोबल चैलेंज के बीच भागीदारी बढ़ाने के लिए भारत को बड़ी पूंजीवाले बैंकों की जरूरत होगी.
अभी क्या है भारत के बैंकिंग सेक्टर का हाल
खुद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि भारत के कई जिलों में आर्थिक गतिविधियों का स्तर काफी ऊंचा है, लेकिन बैंकिंग सुविधाएं काफी कम हैं. बड़े पैमाने पर हुए विलय के बाद, भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) की कुल संख्या 12 रह गई है, जबकि 21 प्राइवेट बैंक हैं. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 48.5 लाख करोड़ रुपये की परिसंपति के साथ देश का नंबर वन बैंक है. रेवेन्यू हासिल करने में पिछले साल एसबीआई पहले पायदान पर रहा. बैंक ने 2021 में 3.85 लाख करोड़ रुपये (US$54 billion) कमाए. एसबीआई का निकटतम प्रतिद्वंद्वी एचडीएफसी बैंक है, जिसकी कुल संपत्ति 17.4 लाख करोड़ रुपये है. एचडीएफसी ने 1.56 लाख करोड़ रुपये (US$22 billion) का रेवेन्यू हासिल किया. रेवेन्यू जेनरेट करने में तीसरे नंबर पर प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई और चौथे नंबर पर बैंक ऑफ इंडिया रहा.
अब जानें एसबीआई के बारे में
एसबीआई के पास देश की बैंकिंग का एक चौथाई मार्केट शेयर है. इसके 45 करोड़ उपभोक्ता हैं, जो बैंक के 28738 हजार ब्रांच से जुड़े हैं. पूरे देश में एसबीआई के 62617 एटीएम और 71,968 बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट आउटलेट (BC outlets) हैं . इस बैंक में 245,652 कर्मचारी काम करते हैं. अगस्त 2014 में बैंक ने प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत करीब एक महीने में 3.5 मिलियन से अधिक बैंक अकाउंट खोला था.
SBI भारत का सबसे बड़ा ऋणदाता है. लेकिन यह वास्तव में वैश्विक बैंकिंग उद्योग में 'बड़ी लीग' में नहीं है. अगर भारत को वर्ल्ड इकोनॉमी का प्लेयर बनना है तो मजबूत बैंकिंग सिस्टम और बड़े बैंक की आवश्यकता तो होगी ही .