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हेमंत के करीबियों पर कसता जा रहा शिकंजा, 10 प्वाइंट में समझिए पूरा मामला

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Published : May 25, 2022, 7:00 PM IST

Updated : May 25, 2022, 7:12 PM IST

झारखंड में ईडी की कार्रवाई पिछले 20 दिनों से चल रही है. 6 मई से दर्जनों ठिकानों पर छापेमारी और पूछताछ का सिलसिला जारी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के करीबियों पर ईडी के माध्यम से शिकंजा कसता जा रहा है. आखिर क्यों ऐसा कहा जा रहा है इन 10 प्वाइंट से समझिए.

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रांची: प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की जांच से झारखंड के सियासी गलियारे में हड़कंप मचा हुआ है. एजेंसी की जांच का दायरा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. इसकी शुरूआत 6 मई को आईएएस अफसर पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी के साथ हुई थी. मामला था खूंटी में मनरेगा वित्तीय गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ. लेकिन बीस दिनों के भीतर ईडी की जांच का दायरा पूजा सिंघल के पति द्वारा संचालित सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल 'पल्स' से आगे बढ़ते हुए खनन विभाग तक पहुंच चुका है. अबतक दुमका, साहिबगंज, रांची और पलामू के जिला खनन पदाधिकारी पूछताछ के लिए तलब किए जा चुके हैं. इसी दरम्यान ईडी की ओर से कोलकाता में अभिजीता कंस्ट्रक्शन और रांची में पंचवटी बिल्डर्स के ठिकानों पर दबिश दे चुका है.

ये भी पढ़ें- 8 जून तक न्यायिक हिरासत में पूजा सिंघल, भेजी गई होटवार जेल

लेकिन 24 मई को रांची और मुजफ्फरपुर में विशाल चौधरी और निशित केसरी के ठिकानों पर ईडी के दबिश ने पूरे मामले को फिर से गरमा दिया है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि निशित केसरी सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरूण एक्का के बहनोई हैं. निशित एक रियल स्टेट की कंपनी एनके कंस्ट्रक्शन में साझेदार हैं. उनके एक भाजपा विधायक से भी अच्छे ताल्लुकात हैं जो उनकी कंपनी में पार्टनर भी बताए जाते हैं. दूसरी तरफ विशाल चौधरी मूल रूप से मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं. रांची में ठेका-पट्टा के साथ जमीन का धंधा और फ्रंट ग्लोबल सर्विसेज चलाते हैं. कहा जाता है कि विशाल की ब्यूरोक्रेसी में जबदस्त पैठ है. ईडी ने दोनों के ठिकानों से कुछ दस्तावेज भी जब्त किए हैं. विशाल से तो करीब साढ़े चार घंटे तक पूछताछ भी की जा चुकी है.

दूसरी तरफ ईडी की कार्रवाई राजनीतिक गलियारे के साथ-साथ सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रही है. इसको लेकर भाजपा लगातार सरकार को घेर रही है. वहीं झामुमो की दलील कुछ और है. झामुमो की ओर से कई बार कहा जा चुका है कि भाजपा के इशारे पर ईडी और चुनाव आयोग एक मोहरे की तरह काम कर रहा है. झामुमो का यह भी सवाल है कि कैसे गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ट्वीट कर बताते हैं कि एजेंसी और चुनाव आयोग क्या करने वाला है. इसको लेकर झामुमो सड़क पर भी उतर चुका है. अब सवाल है कि झामुमो के आरोपों में कितना दम है. इसको दस बिंदुओं के जरिए समझा जा सकता है

  1. खूंटी से जुड़े मनरेगा वित्तीय गड़बड़ी और मनी लांड्रिंग मामले में पूजा सिंघल के ठिकानों पर हुई छापेमारी के बाद जांच के बढ़ते दायरे को सरकार पर हाथ डालने से जोड़कर देखा जा रहा है.
  2. मनरेगा स्कैम की जांच करते-करते ईडी माइंस सेक्टर में घुस गई. इसी का नतीजा है कि दुमका, साहिबगंज, पलामू और रांची के डीएमओ से पूछताछ चल रही है. खास बात है कि यह विभाग सीएम के पास है.
  3. सीएम पर खनन पट्टा लेने और शेल कंपनियों में उनके और उनके रिश्तेदारों की भागादारी से जुड़ी याचिका पर सुनाई के दौरान ईडी ने सिलबंद लिफाफा पेश कर दावा किया कि मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान कई ऐसे तथ्य मिले हैं जो खनन पट्टा और शेल कंपनी मामले में अहम साबित हो सकते हैं. हालाकि इस दलील के मेंटेनेबिलिटी पर 1 जून को सुनवाई होनी है.
  4. कभी सीएम के करीबी और झामुमो के कोषाध्यक्ष रहे रवि केजरीवाल से ईडी की पूछताछ ने कई कयासों को हवा दी है.
  5. 24 मई को सीएम के प्रधान सचिव के रिश्तेदार निशित केसरी के यहां ईडी की दबिश के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
  6. ईडी की कार्रवाई की शुरूआत 6 मई को हुई थी. लेकिन अबतक ईडी की ओर से एक भी ऑफिशियल जानकारी किसी भी प्लेटफॉर्म पर साझा नहीं की गई है. इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
  7. एक ओर जहां खनन पट्टा मामले में पीआईएल दायर है, वहीं दूसरी तरफ उसी मामले में चुनाव आयोग में अलग से शिकायत दर्ज करायी गई है. आखिर ऐसा क्यों?
  8. पूरा मामला चुनाव आयोग और हाईकोर्ट में हैं. इस बीच भाजपा का सीएम की पत्नी के नाम इंडस्ट्रियल एरिया में आवंटित 11 एकड़ जमीन का मामला उठाना सीधे-सीधे सीएम को कटघरे में खड़ा करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है. खास बात यह है कि उद्योग विभाग भी मुख्यमंत्री के पास है.
  9. भाजपा नेता लगातार कह रहे हैं कि इस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. भाजपा नेताओं के इस बयान को लोग राजनीतिक चश्में से भी देख रहे हैं.
  10. सीएम के मामले को कोर्ट में ले जाने के बाद उनके भाई, एक मंत्री और एक झामुमो विधायक की सदस्यता रद्द करने की चुनाव आयोग से मांग को सरकार को अस्थिर करने के रूप में देखा जा रहा है.

इस बीच रिमांड अवधि खत्म होने के बाद 25 मई को पूजा सिंघल को 8 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है. अब देखना है कि इतने दिनों से चल रही ईडी की जांच की सूई अब किस तरफ मुड़ती है. फिलहाल, सत्ता के गलियारे में एक अलग तरह की खामोशी है. फिलहाल, सबकी नजर 31 मई को सीएम की तरफ से चुनाव आयोग में पेश की जाने वाली सफाई और 1 जून को झारखंड हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी है. वहीं ईडी की कार्रवाई राजनीति के केंद्र में आ चुकी है.

रांची: प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की जांच से झारखंड के सियासी गलियारे में हड़कंप मचा हुआ है. एजेंसी की जांच का दायरा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. इसकी शुरूआत 6 मई को आईएएस अफसर पूजा सिंघल के ठिकानों पर छापेमारी के साथ हुई थी. मामला था खूंटी में मनरेगा वित्तीय गड़बड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ. लेकिन बीस दिनों के भीतर ईडी की जांच का दायरा पूजा सिंघल के पति द्वारा संचालित सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल 'पल्स' से आगे बढ़ते हुए खनन विभाग तक पहुंच चुका है. अबतक दुमका, साहिबगंज, रांची और पलामू के जिला खनन पदाधिकारी पूछताछ के लिए तलब किए जा चुके हैं. इसी दरम्यान ईडी की ओर से कोलकाता में अभिजीता कंस्ट्रक्शन और रांची में पंचवटी बिल्डर्स के ठिकानों पर दबिश दे चुका है.

ये भी पढ़ें- 8 जून तक न्यायिक हिरासत में पूजा सिंघल, भेजी गई होटवार जेल

लेकिन 24 मई को रांची और मुजफ्फरपुर में विशाल चौधरी और निशित केसरी के ठिकानों पर ईडी के दबिश ने पूरे मामले को फिर से गरमा दिया है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि निशित केसरी सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरूण एक्का के बहनोई हैं. निशित एक रियल स्टेट की कंपनी एनके कंस्ट्रक्शन में साझेदार हैं. उनके एक भाजपा विधायक से भी अच्छे ताल्लुकात हैं जो उनकी कंपनी में पार्टनर भी बताए जाते हैं. दूसरी तरफ विशाल चौधरी मूल रूप से मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं. रांची में ठेका-पट्टा के साथ जमीन का धंधा और फ्रंट ग्लोबल सर्विसेज चलाते हैं. कहा जाता है कि विशाल की ब्यूरोक्रेसी में जबदस्त पैठ है. ईडी ने दोनों के ठिकानों से कुछ दस्तावेज भी जब्त किए हैं. विशाल से तो करीब साढ़े चार घंटे तक पूछताछ भी की जा चुकी है.

दूसरी तरफ ईडी की कार्रवाई राजनीतिक गलियारे के साथ-साथ सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रही है. इसको लेकर भाजपा लगातार सरकार को घेर रही है. वहीं झामुमो की दलील कुछ और है. झामुमो की ओर से कई बार कहा जा चुका है कि भाजपा के इशारे पर ईडी और चुनाव आयोग एक मोहरे की तरह काम कर रहा है. झामुमो का यह भी सवाल है कि कैसे गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ट्वीट कर बताते हैं कि एजेंसी और चुनाव आयोग क्या करने वाला है. इसको लेकर झामुमो सड़क पर भी उतर चुका है. अब सवाल है कि झामुमो के आरोपों में कितना दम है. इसको दस बिंदुओं के जरिए समझा जा सकता है

  1. खूंटी से जुड़े मनरेगा वित्तीय गड़बड़ी और मनी लांड्रिंग मामले में पूजा सिंघल के ठिकानों पर हुई छापेमारी के बाद जांच के बढ़ते दायरे को सरकार पर हाथ डालने से जोड़कर देखा जा रहा है.
  2. मनरेगा स्कैम की जांच करते-करते ईडी माइंस सेक्टर में घुस गई. इसी का नतीजा है कि दुमका, साहिबगंज, पलामू और रांची के डीएमओ से पूछताछ चल रही है. खास बात है कि यह विभाग सीएम के पास है.
  3. सीएम पर खनन पट्टा लेने और शेल कंपनियों में उनके और उनके रिश्तेदारों की भागादारी से जुड़ी याचिका पर सुनाई के दौरान ईडी ने सिलबंद लिफाफा पेश कर दावा किया कि मनी लॉन्ड्रिंग जांच के दौरान कई ऐसे तथ्य मिले हैं जो खनन पट्टा और शेल कंपनी मामले में अहम साबित हो सकते हैं. हालाकि इस दलील के मेंटेनेबिलिटी पर 1 जून को सुनवाई होनी है.
  4. कभी सीएम के करीबी और झामुमो के कोषाध्यक्ष रहे रवि केजरीवाल से ईडी की पूछताछ ने कई कयासों को हवा दी है.
  5. 24 मई को सीएम के प्रधान सचिव के रिश्तेदार निशित केसरी के यहां ईडी की दबिश के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
  6. ईडी की कार्रवाई की शुरूआत 6 मई को हुई थी. लेकिन अबतक ईडी की ओर से एक भी ऑफिशियल जानकारी किसी भी प्लेटफॉर्म पर साझा नहीं की गई है. इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं.
  7. एक ओर जहां खनन पट्टा मामले में पीआईएल दायर है, वहीं दूसरी तरफ उसी मामले में चुनाव आयोग में अलग से शिकायत दर्ज करायी गई है. आखिर ऐसा क्यों?
  8. पूरा मामला चुनाव आयोग और हाईकोर्ट में हैं. इस बीच भाजपा का सीएम की पत्नी के नाम इंडस्ट्रियल एरिया में आवंटित 11 एकड़ जमीन का मामला उठाना सीधे-सीधे सीएम को कटघरे में खड़ा करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है. खास बात यह है कि उद्योग विभाग भी मुख्यमंत्री के पास है.
  9. भाजपा नेता लगातार कह रहे हैं कि इस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. भाजपा नेताओं के इस बयान को लोग राजनीतिक चश्में से भी देख रहे हैं.
  10. सीएम के मामले को कोर्ट में ले जाने के बाद उनके भाई, एक मंत्री और एक झामुमो विधायक की सदस्यता रद्द करने की चुनाव आयोग से मांग को सरकार को अस्थिर करने के रूप में देखा जा रहा है.

इस बीच रिमांड अवधि खत्म होने के बाद 25 मई को पूजा सिंघल को 8 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है. अब देखना है कि इतने दिनों से चल रही ईडी की जांच की सूई अब किस तरफ मुड़ती है. फिलहाल, सत्ता के गलियारे में एक अलग तरह की खामोशी है. फिलहाल, सबकी नजर 31 मई को सीएम की तरफ से चुनाव आयोग में पेश की जाने वाली सफाई और 1 जून को झारखंड हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी है. वहीं ईडी की कार्रवाई राजनीति के केंद्र में आ चुकी है.

Last Updated : May 25, 2022, 7:12 PM IST
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