हैदराबाद : हिंदू त्योहारों में प्रत्येक का अपना महत्व और इतिहास है. उनमें से दिवाली साल का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है. यह दिन हर साल अश्वयुजा अमावस्या को आता है. इसके अगले दिन आध्यात्मिक कार्तिक मास शुरू होता है. यह समृद्धि का उत्सव है.
यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश की आध्यात्मिक जीत, अज्ञान पर ज्ञान और बुराई पर अच्छाई की आध्यात्मिक जीत का प्रतीक है. इस दिन लोग विशेष रूप से महिलाएं लक्ष्मी पूजा करती हैं, शाम को दीया जलाती हैं, पटाखे जलाती हैं, मिठाई और उपहार बांटती हैं.
नराका चतुर्थी के बाद दिवाली मनाई जाती है. इस दिन के पीछे एक कहानी है. दरअसल, नरकासुरुडु नाम के राक्षस ने लोगों और देवी और देवताओं को परेशान कर रखा था. जिसके बाद उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की पत्नी सत्यभामा से उसे मारने का अनुरोध किया. जिसके बाद उन्होंने नरकासुरुडु को मार डाला. लोग बुराई को मारने की खुशी में दिवाली मनाते हैं.
इसके अलावा इस दिन सभी लोग देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं. उनका मानना है कि अगर हम इस दिन देवी की पूजा करते हैं, तो वह काम में धन, खुशी और जीत देती है.
एक बार की बात है, दुर्वासा महर्षि ने भगवान इनरुदु को एक बहुमूल्य माला दी, लेकिन उन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई. उसने उसे अपने हाथी के गले में डाल दिया. यह माला गिर गई औऱ दुर्वासन को यह बुरा लगा और उसने इन्द्रुदु को श्राप दे दिया. तभी से इंद्रुदु को मुसीबतों का सामना करना पड़ा.
इसके बाद वह देवेंद्र विष्णुमूर्ति के पास गए और समाधान मांगा. इसके साथ ही विष्णु ने उन्हें समुद्र से दूध निकालने का निर्देश दिया. उस समय अश्वयुज अमावस्या को कमल के फूल पर विराजमान होकर लक्ष्मी देवी प्रकट हुईं. इसलिए लोग उस दिन दीपक जलाते हैं. अंधेरे को दूर भगाने के लिए शाम को दीप जलाते हैं और बुराई पर जीत का जश्न मनाने के लिए हर कोई पटाखे जलाते हैं.
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कुछ राज्यों में दिवाली 2 दिन, 3 दिन और 5 दिन में मनाई जाती है. तेलंगाना में दिवाली 2 दिनों तक मनाई जाती है. त्योहार के दिन लक्ष्मी पूजा मनाने के अलावा. शाम में दीप प्रज्वलित करके तथा युवा व वृद्धजनों के साथ-साथ बच्चों सहित पटाखों को जलाया जाता है. तेलंगाना के लोगों का मानना है कि दिवाली उनके राज्य में बुराई पर अच्छाई के लिए मनाई जाती है.
त्योहार से पहले युवाओं ने पटाखों की खरीदारी करते हैं. महिलाएं अपने घरों और पूजा कक्षों की सफाई करती हैं. नोमुलु का पालन करने वाली विवाहित महिलाएं अपनी मां के घर जाएंगी और त्योहार पूरा करके वापस आ जाएंगी.