हैदराबाद : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के एयरपोर्ट (Kabul Airport) के पास गुरुवार को सीरियल ब्लास्ट (Serial Blasts) हुए. इस हमले में कम से कम 103 लोगों की मौत हो गई जबकि कई अन्य के घायल होने की खबर है. एक अफगान अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि हवाई अड्डे पर हुए हमले में कम से कम 60 अफगान मारे गए तथा 143 अन्य घायल हुए . इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट खुरासान (ISIS-K) ने ली है.
आर्ईएसआईएस खुरासान (ISIS-K) आतंकी अपने आत्मघाती हमलों के लिए कुख्यात रहे हैं. इस संगठन ने 2016 में अमेरिकी और नाटो सैनिकों को निशाना बनाते हुए काबुल समेत कई अफगानी शहरों में फिदायीन हमले किए थे. यह तालिबान के हक्कानी नेटवर्क और पाकिस्तान के दूसरे आतंकी संगठनों का क्षेत्रीय सहयोगी भी है. हालांकि इसके तालिबान से मतभेद हैं.
खुद को ग्लोबल जिहादी मानता है ISIS : आईएसआईएस का पता पहली बार 2006 में चला, बगदादी ने इसकी नींव रखी थी. यह संगठन खुद को कट्टर जिहादी मानता है, जिसके निशाने पर पूरी दुनिया है. वह ग्लोबल जिहाद की वकालत करता है. दुनिया भर में इस्लामिक राज कायम करना इसका एजेंडा है. इसके नेता तालिबान को सिर्फ अफगान में शासन करने का इरादा रखने वाला समूह मानते हैं. आईएसआईएस से जुड़ने वालों में सुन्नी इस्लाम के वहाबी और सलफी ब्रांच के लड़ाके हैं, तालिबान के ज्यादातर आतंकी इस्लाम के हनफी संप्रदाय को मानने वाले हैं.
तालिबान को बताया अमेरिका का पिट्ठू : इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया यानी आईएसआईएस तालिबान को अमेरिका का पिट्ठू बताता है. आईएसआईएस का दावा है कि तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के लिए अमेरिका के हित में समझौते किए हैं. वह यह मानने को तैयार नहीं है कि तालिबान ने अफगानिस्तान में जीत हासिल की है बल्कि उसका कहना है कि अमेरिका ने अपनी शर्तों पर अफगान का शासन तालिबान को सौंपा है. वह अमेरिकी को सबसे बड़ा दुश्मन मानता है, इसलिए उसने अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों और नागरिकों पर आत्मघाती हमले किए.
पाकिस्तानी आंतकी भी है ISIS-K में शामिल : अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों को इतिहास में खुरासान के नाम से जाना जाता है. फिलहाल अफगानिस्तान और सीरिया के बीच का हिस्सा खुरासान है, जहां आईएसआईएस खुरासान के आतंकी पलते हैं. इराक़ और सीरिया में जब इस्लामिक स्टेट की तूती बोलती थी, तब उसके साथ कई जिहादी संगठन जुड़े. जनवरी 2015 में खुरासान के जिहादियों ने आईएस-के (ISIS-K) की स्थापना की. उन्होंने बगदादी को अपने नेता माना. अमेरिका से नफरत करने वाले तालिबान में एक्टिव रहे पाकिस्तानी और अफगानी आतंकी इसके हिस्सा बने. इसके अलावा तुर्कमेनिस्तान और सीरिया के लड़ाके भी इसका हिस्सा हैं.
शिया समुदाय भी हैं आतंकियों के निशाने पर : आईएसआईएस- खुरसान (ISIS-K) ने पहले भी अफगानिस्तान में कई आतंकी हमले किए हैं. इस आतंकी संगठन ने मई में काबुल में लड़कियों के एक स्कूल में आत्मघाती हमला किया था. इस हमले में 68 लोग मारे और 165 घायल हो गए थे. आईएसआईएस- खुरसान ने जून में ब्रिटिश-अमेरिकी हालो (HALO) ट्रस्ट पर भी हमला किया था. इसने काबुल समेत विश्व के कई देशों में स्लीपर सेल बना रखे हैं. इसके टारगेट पर शिया समुदाय भी है.
भारत में पकड़े जा चुके हैं आईएस के आतंकी : आईएस- के आतंकी संगठन की पहुंच जम्मू-कश्मीर के अलावा भारत में भी है. 2020 में एनआईए ने लखनऊ, कानपुर समेत कुछ शहरों और केरल से इस आतंकी संगठन के 15 लोगों को गिरफ्तार किया था. जुनेद उल खलीफा नाम के संगठन के जरिए वह भारत में अपने नेटवर्क को ऑपरेट कर रहे थे. इनका काम युवकों को गुमराह कर सोशल मीडिया वेबसाइट के जरिए आतंकी बनाना था. इनके बहकावे में कई भारतीय आईएसआईएस में शामिल होने के लिए मिडिल ईस्ट पहुंच गए थे, जिन्हें बाद में एनआईए ने गिरफ्तार किया था. शिहाब अल-मुहाजिर इस आतंकी संगठन का लीडर है, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका और मध्य एशिया में इसे ऑपरेट करता है.