जिनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के कोविड-19 टीके को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी प्रदान की है. इसके साथ ही महामारी से निपटने के लिए डब्ल्यूएचओ की सहायता से दुनियाभर के देशों में लाखों खुराकें पहुंच सकेंगी.
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने सोमवार को एक बयान में कहा कि उसने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और दक्षिण कोरिया की एस्ट्राजेनेका-एसकेबायो द्वारा बनाए जा रहे एस्ट्रोजेनेका टीके को आपातकालीन मंजूरी प्रदान की है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख टेड्रोस एडहानॉम ने कहा कि कोवैक्स प्रोग्राम के तहत दुनिया के कई देशों में इस वैक्सीन को दिया जाएगा. ऐसे में कोवैक्स प्रोग्राम के तहत दुनिया के गरीब देशों को डब्ल्यूएचओ द्वारा कोरोना वैक्सीन पहुंचाई जाएगी.
डब्ल्यूएचओ द्वारा एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीके को हरी झंडी मिलने के साथ ही गरीब देशों में भी इसकी खुराक पहुंचना सुनिश्चित हो पाएगा. संयुक्त राष्ट्र की इस स्वास्थ्य एजेंसी ने पिछले साल दिसंबर में फाइजर-बायोएनटेक के टीके को मंजूरी दी थी, जिसके बाद इसने अब एस्ट्राजेनेका के टीके को हरी झंडी दिखा दी है.
इस घोषणा की वजह से अब उन देशों में टीके की लाखों खुराक पहुंचाने के काम को गति मिल जानी चाहिए, जो संयुक्त राष्ट्र समर्थित कोवैक्स प्रयास में शामिल हैं. इसके तहत दुनिया के सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों और लोगों तक टीके पहुंचाए जाएंगे.
दवा और चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच के लिए डब्ल्यूएचओ की सहायक महानिदेशक डॉक्टर मारियांजेला सिमाओ ने कहा कि अब तक जिन देशों तक टीके की पहुंच नहीं हो पाई थी, अब वहां भी स्वास्थ्य कर्मियों और संक्रमण के बेहद खतरे का सामना कर रहे लोगों को टीके लग सकेंगे.