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Tariq Fatah : जब संसद में तारिक फतेह पर बरस पड़े थे गुलाम नबी आजाद

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Published : Apr 25, 2023, 2:53 PM IST

मशहूर लेखक तारिक फतेह (Tariq Fatah) का सोमवार को निधन हो गया. वह 73 वर्ष के थे. तारिक फतेह अपने बयानों के लेकर हमेशा चर्चा में रहते थे. वह पाकिस्तान के खिलाफ खुलकर बोलते थे.

Former Union Minister Ghulam Nabi Azad Tariq Fateh
पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद तारिक फतेह

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ( Former Union Minister Ghulam Nabi Azad) लेखक तारिक फतेह (Tariq Fatah) के आलोचकों में से एक हैं. एक बार राज्यसभा में आजाद ने तारिक फतेह और तस्लीमा नसरीन, दोनों की खूब आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि इनके जैसे विदेशी लेखकों ने कश्मीर का माहौल खराब कर दिया है.

आजाद ने 2016 में राज्यसभा में कहा था कि तस्लीमा नसरीन को बांग्लादेश से निकाल दिया गया, क्योंकि वह इस्लाम के खिलाफ लिखती थीं. वह कुरान का विरोध करती थीं. इसके बावजूद हमने शरण दिया. लेकिन वह हैं कि बार-बार टीवी पर आती हैं, बहस में भाग लेती हैं, और वह इस्लाम को निशाने पर लेती हैं. आजाद ने कहा कि आपको नहीं लगता है कि इससे मुस्लिमों की भावनाएं आहत होती होंगी.

आजाद ने आगे कहा कि ठीक यही आचरण या व्यवहार तारिक फतेह का है. आजाद ने कहा था कि तारिक फतेह ने इस्लाम के खिलाफ खुलकर पाकिस्तान में अपनी बात रखी और परिस्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें पाकिस्तान छोड़ना पड़ा. लेकिन फतेह ने अपना रुख नहीं बदला. वह भी तस्लीमा की तरह बार-बार टीवी पर आते हैं, बहस करते हैं और इस्लाम को कोसते हैं या फिर उन पर हमले करते हैं. कुछ लोग उन्हें जानबूझकर टीवी पर बार-बार लाते हैं और मुस्लिमों के खिलाफ वह जहर उगलते हैं, इससे भावनाएं आहत होती हैं.

गौरतलब है कि पाकिस्तान में जन्मे लेखक तारिक फतेह अपने बयानों के लिए हमेशा चर्चा में रहते थे. पाकिस्तान के खिलाफ वह खुलकर अपनी आवाज उठाते थे. 2019 में तारिक फतेह ने कहा था कि पाकिस्तान अगले 20-25 साल में खत्म हो जाएगा.

पढ़ें- Tariq Fatah : तारिक फतेह चाहते थे कि उनकी बेटी का नाम देवी लक्ष्मी पर रखा जाए

पढ़ें- Tariq Fatah : क्यों तारिक फतेह अपने आप को बताते थे भारतीय ?

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ( Former Union Minister Ghulam Nabi Azad) लेखक तारिक फतेह (Tariq Fatah) के आलोचकों में से एक हैं. एक बार राज्यसभा में आजाद ने तारिक फतेह और तस्लीमा नसरीन, दोनों की खूब आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि इनके जैसे विदेशी लेखकों ने कश्मीर का माहौल खराब कर दिया है.

आजाद ने 2016 में राज्यसभा में कहा था कि तस्लीमा नसरीन को बांग्लादेश से निकाल दिया गया, क्योंकि वह इस्लाम के खिलाफ लिखती थीं. वह कुरान का विरोध करती थीं. इसके बावजूद हमने शरण दिया. लेकिन वह हैं कि बार-बार टीवी पर आती हैं, बहस में भाग लेती हैं, और वह इस्लाम को निशाने पर लेती हैं. आजाद ने कहा कि आपको नहीं लगता है कि इससे मुस्लिमों की भावनाएं आहत होती होंगी.

आजाद ने आगे कहा कि ठीक यही आचरण या व्यवहार तारिक फतेह का है. आजाद ने कहा था कि तारिक फतेह ने इस्लाम के खिलाफ खुलकर पाकिस्तान में अपनी बात रखी और परिस्थिति ऐसी हो गई है कि उन्हें पाकिस्तान छोड़ना पड़ा. लेकिन फतेह ने अपना रुख नहीं बदला. वह भी तस्लीमा की तरह बार-बार टीवी पर आते हैं, बहस करते हैं और इस्लाम को कोसते हैं या फिर उन पर हमले करते हैं. कुछ लोग उन्हें जानबूझकर टीवी पर बार-बार लाते हैं और मुस्लिमों के खिलाफ वह जहर उगलते हैं, इससे भावनाएं आहत होती हैं.

गौरतलब है कि पाकिस्तान में जन्मे लेखक तारिक फतेह अपने बयानों के लिए हमेशा चर्चा में रहते थे. पाकिस्तान के खिलाफ वह खुलकर अपनी आवाज उठाते थे. 2019 में तारिक फतेह ने कहा था कि पाकिस्तान अगले 20-25 साल में खत्म हो जाएगा.

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