नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (D Y Chandrachud) ने मंगलवार को वकीलों से बात करते हुए याद किया कि कैसे एक युवा वकील के रूप में उन्हें एक मुवक्किल ने कानूनी फीस के बदले साड़ी उपहार में दी थी.
मुख्य न्यायाधीश ने नव पंजीकृत एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) के अभिनंदन समारोह में बोलते हुए याद किया कि वह एक बहुत ही महत्वपूर्ण राजनेता के वकील के रूप में पेश हुए थे. उन्होंने बताया कि 'केस मेरे जैसे जूनियर ने जिस तरह संभाला' उससे वह काफी खुश थे.
चीफ जस्टिस ने वकीलों को आपबीती सुनाते हुए कहा, 'मैं सोम विहार में एक छोटे से फ्लैट में रह रहा था और राजनेता मेरे दरवाजे पर आए. राजनेता ने मेरी मां को एक अच्छी साड़ी भेंट की.'
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जब वह अगली सुबह कार्यालय गए, तो वरिष्ठ ने उन्हें बताया कि यह साड़ी ही उनकी फीस है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'मैं बहुत निराश हुआ. बाद में मुझे पता चला कि वास्तव में यह फीस थी...'
उन्होंने कहा कि एओआर की भूमिका सबसे अधिक जिम्मेदार है, और वह स्थिर भी है, और वे क्लाइंट के साथ पहला इंटरफ़ेस हैं. सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि इस अदालत के भरण-पोषण के लिए एओआर की इस संस्था की आवश्यकता है. मुख्य न्यायाधीश ने एक दूसरी घटना का जिक्र किया जहां एक मुवक्किल ने पैसे के बदले ज्यादा केस दिलाने की पेशकश की थी.
उन्होंने कहा कि 'जब मैं पहली बार एक वकील के रूप में इस अदालत में आया था. मुझे एओआर गनपुले सहायता कर रहे थे...क्लाइंट मुझे निर्देश देने के लिए दिल्ली से आता था. गनपुले ने केस फाइल करने में मदद की...
उन्होंने कहा कि क्लाइंट उनसे कहते थे कि वह उन्हें कई और केस दे सकते हैं. सीजेआई ने कहा कि 'गनपुले ने मुझे बताया कि जब कोई क्लाइंट ऐसा कहता है तो इसका मतलब है कि इस विशेष मामले में कोई शुल्क नहीं देगा.'