नई दिल्ली: भारत के द्वारा अफगानिस्तान को भेजे जाने वाले गेहूं के लिए पाकिस्तान अपने यहां से ले जाने के लिए तैयार हो गया है. अफगानिस्तान के लिए भारत के द्वारा 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं को अटारी-वाघा सीमा से गुजरने वाले भूमि मार्ग से भेजा जाएगा. इस गेहूं को फरवरी की शुरुआत में हजारों ट्रकों से भेजे जाने की उम्मीद है.अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा करने के बाद से वहां के लोगों को भूख की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
भारत के साथ पाकिस्तान के संबंध अच्छे नहीं होने के बावजूद नई दिल्ली के प्रयासों से मिली इस सफलता को रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. वहीं पाकिस्तान ने पिछले साल भी अफगानिस्तान को भारतीय सहायता पहुंचाने के लिए अपने यहां से मार्ग मुहैया कराने से मना कर दिया था. इतना ही नहीं 2002 में भी उसने भारत के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जब अफगानिस्तान संकट के दौर से गुजर रहा था.
इस संबंध में ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी (ex-Ambassador Jitendra Tripathi) ने कहा, अफगानिस्तान को मानवीय सहायता भेजना भारत द्वारा एक अच्छा इशारा है और अगर पाकिस्तान सहमत हो गया है तो यह बेहतर है.लेकिन इस समझौते के नियम और शर्तें क्या हैं जिन्हें सुचारू करने की आवश्यकता है.उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान भारतीय ट्रकों को अफगानिस्तान में अटारी-वाघा सीमा पार करने की अनुमति देता है तो यह हमारे लिए सबसे अच्छा परिदृश्य है. लेकिन अगर पाकिस्तान अभी भी इस बात पर कायम है कि पाकिस्तानी ट्रकों का इस्तेमाल किया जाएगा और हम इसके लिए सहमत हैं, तब भी यह बेहतर होगा लेकिन नई दिल्ली को उससे कोई फायदा नहीं होगा जो वह उससे लेना चाहता था. क्योंकि पाकिस्तान इसका सारा श्रेय चाहता है.
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उन्होंने कहा कि जहां तक तालिबान तक पहुंचने का सवाल है, भारत मानवीय संकट से निपटने के लिए अफगानिस्तान को सहायता भेजता रहा है. उन्होंने कहा कि भारत तालिबान शासन की मान्यता को जोड़ते हुए देश की स्वास्थ्य सेवा में सुधार करने में मदद कर रहा है और लोगों की मदद करना दो अलग-अलग पहलू हैं. हम लोगों की मदद कर रहे हैं और तालिबान सरकार को पहचानना है या नहीं यह उस समय की सरकार पर निर्भर करता है. मान्यता हमेशा एक कूटनीतिक चीज होती है जिसकी घोषणा बहुत ही अनिश्चित शब्दों में की जाती है.
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में और सुधार पर त्रिपाठी ने कहा कि सार्वजनिक बयानों और रिपोर्टों के विपरीत इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के शुभारंभ पर कहा है कि देश 100 वर्षों तक भारत के साथ लड़ाई जारी नहीं रख सकता है और यह होगा कि नई दिल्ली के साथ शांति कायम करनी है. इन सबके बावजूद उन्होंने कभी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के एक भी प्रावधान का जिक्र नहीं किया. बल्कि उनका बयान भारत के प्रति अधिक आक्रामक और पक्षपाती था. इसलिए, मुझे नहीं लगता कि निकट भविष्य में संबंधों में कोई सुधार होगा.
सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत चलने वाले ट्रक भारत-पाकिस्तान सीमा से अफगानिस्तान तक गेहूं पहुंचाएंगे. इसके बाद खेप को सूखाग्रस्त काबुल में वितरण के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों को सौंप दिया जाएगा. हालांकि, लॉजिस्टिक जैसे कई मुद्दों को अभी भी सुलझाए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान को गेहूं की आपूर्ति शुरू करने का समझौता पर पाकिस्तान द्वारा इस महीने की शुरुआत में कहा गया था कि वह अभी भी पहली खेप की डिलीवरी की तारीख पर नई दिल्ली से प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहा था.
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता असीम इफ्तिखार अहमद ने कहा कि हमने भारत को पाकिस्तान द्वारा की गई व्यवस्थाओं के बारे में आवश्यक विवरण से अवगत करा दिया है, और अब लगभग तीन सप्ताह के लिए प्रेषण की तारीख और पहली खेप के बारे में अन्य जानकारी पर भारत से आगे की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण संबंध हैं और संबंध बेहतर नहीं हो रहे हैं. दरअसल, हाल के वर्षों में 2019 में सीमा पार से हुए हमलों के बाद से रिश्ते में खटास आ गई है.
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अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल करने वाले तालिबान को पाकिस्तान के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जाता है, जिसने कई वर्षों तक अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंक फैलाने और भारत के लिए अपने राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के लिए एक खतरे के रूप में किया है. लेकिन तमाम भू-राजनीतिक बाधाओं के बावजूद भारत युद्ध से तबाह देश को हर संभव मदद मुहैया कराने में अडिग रहा है. नई दिल्ली ने हाल ही में जीवन रक्षक दवाओं सहित मानवीय सहायता के अपने तीसरे बैच को अफगानिस्तान भेजा है.
इसी सिलसिले में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदन बागची ने कहा, हम अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता के तौर पर 50 हजार टन गेहूं और अन्य मेडिकल सामग्रियां भेजने के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों से सम्पर्क में हैं. यह बहुत ही जटिल अभियान है और मैं आप लोगों से भी धैर्य बनाये रखने का अनुरोध करुंगा. उन्होंने दोहराया कि मानवीय सहायता सशर्त होनी चाहिए.
विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत ने 7 अक्टूबर 2020 को पाकिस्तान को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें अफगानिस्तान को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने के लिए पारगमन सुविधा की मांग की गई है और नई दिल्ली को 20 नवंबर, 2020 को प्रतिक्रिया मिली. गौरतलब है कि भारत ने 20 अक्टूबर, 2020 को अफगान मुद्दों पर मास्को प्रारूप से इतर एक बैठक के दौरान तालिबान को गेहूं की पेशकश भी की थी.