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भाजपा का दामन थामेंगे या नई पार्टी बनाएंगे अमरिंदर, जानिए कैप्टन के पास कितने विकल्प

पंजाब की राजनीति में पिछले एक हफ्ते में बहुत कुछ बदलाव देखने को मिला. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री इस्तीफा दिया और कांग्रेस आलाकमान ने चरणजीत सिंह चन्नी को राज्य का नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया. इस्तीफा देने के बाद कैप्टन ने कहा कि उनका अपमान हुआ है. हालांकि उन्होंने अब तक कांग्रेस छोड़ने के संबंध में कुछ नहीं कहा, लेकिन अमरिंदर सिंह पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धू पर जमकर हमला बोला. अमरिंदर सिंह ने कहा था कि मैं अगले सीएम चेहरे के लिए उनके नाम का विरोध करूंगा. उसका संबंध पाकिस्तान से है. यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होगा. आइए जानते हैं कि अमरिंदर सिंह के पास कितने विकल्प मौजूद हैं.

कैप्टन
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Published : Sep 22, 2021, 8:33 PM IST

Updated : Sep 22, 2021, 9:22 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब में पिछले एक हफ्ते में सरकार में काफी बदलाव देखने को मिले, मुख्यमंत्री भी नए चुने गए. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दिया. अमरिंदर के इस्तीफे के बाद पांच नामों पर मोहर लगते-लगते अंत में चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के नए मुख्यमंत्री बने. पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से ही जिस अंदाज में कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार पाकिस्तान और राष्ट्रीय सुरक्षा का राग अलाप रहे हैं, उसे देखते हुए उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं. अब सवाल उठ रहे हैं कि अमरिंदर सिंह अब क्या करेंगे, उनके पास अब क्या विकल्प है. क्या वह पार्टी में ही बने रहेंगे या फिर किसी और राजनीतिक दल का दामन थामेंगे.

2017 में ही शुरू हुई थी सिद्धू और कैप्टन में खटपट
2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थामा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, मगर बीजेपी ने अरुण जेटली को उम्मीदवार बना दिया. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी तो सिद्धू राहुल और प्रियंका के करीबियों में शुमार हो गए. वह अमरिंदर की सरकार में पर्यटन और नगर निकाय के मंत्री बने. यही से अमरिंदर और सिद्धू में खटपट शुरू हुई.

टीवी शोज और बाजवा के मुद्दे पर हुई थी सिद्धू की किरकिरी
बतौर मुख्यमंत्री कैप्टन अपने मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के कामकाज के तरीके से नाखुश थे. उधर, सिद्धू भी वादे के मुताबिक डिप्टी सीएम नहीं बनाने से नाराज हो गए. टीवी शोज में सिद्धू की खिंचाई शुरू हुई तो कैप्टन ने उनका विभाग बदल दिया. इसके बाद तो सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को चुनौती देना शुरू कर दिया. जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा से मुलाकात के बाद सिद्धू की आलोचना शुरू हुई तो अमरिंदर समर्थकों ने भी सिद्धू की घेराबंदी कर दी. 20 जुलाई 2019 को सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद तो हमेशा वह अपनी ही सरकार की आलोचना करते रहे.

नवजोत सिंह सिद्धू का कहना था कि मुख्यमंत्री ने पिछले साढे़ चार सालों में कुछ नहीं किया, जिसका खामियाजा पंजाब कांग्रेस को आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ सकता है. हाईकमान पर सिद्धू के दबाव के आगे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आखिरकार अपना इस्तीफा दे दिया. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह ने कहा था कि कुछ महीनों में तीन बार विधायकों की बैठक बुलाने के बाद उन्होंने खुद को अपमानित महसूस किया, जिसके बाद उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया.

राष्ट्रवाद, सीमा सुरक्षा, आतंकवाद और पाकिस्तान जैसे तमाम मुद्दों को भाजपा लगातार उठाती रहती है. इसलिए अब यह कहा जाने लगा है कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं? जिस अंदाज में इस्तीफा देने के बाद उन्होने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाने से पंजाब और देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है और यह बात वो कई बार कांग्रेस आलाकमान को बता चुके हैं, उससे इन कयासों को बल मिल रहा है कि वो धीरे-धीरे भाजपा के पिच पर आते जा रहे हैं.

अमरिंदर सिंह ने कहा था कि अपने देश की खातिर, मैं पंजाब के सीएम के लिए उनके (नवजोत सिंह सिद्धू) नाम का विरोध करूंगा. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान उनके दोस्त हैं. सिद्धू का संबंध सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से है.

हालांकि कैप्टन के इस्तीफे के बाद ही बीजेपी का यह कहना था कि कैप्टन को बीजेपी में शामिल हो जाना चाहिए, लेकिन अभी तक कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से कोई बयान नहीं जारी किया गया है. हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा था कि वह अपने समर्थकों के साथ विचार-विमर्श करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे.

पंजाब कांग्रेस का कार्यक्रता बहुत खुश : जी एस बाली
कांग्रेस के प्रवक्ता जी एस बाली ने कहा कि पंजाब कांग्रेस का कार्यक्रता बहुत खुश है, क्योंकि उन्हें एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला है जो डाउन टू अर्थ है और अब लगता है कि पंजाब में फिर से कांग्रेस सरकार बनेगी. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का क्या विकल्प होगा, यह सोचना पार्टी हाईकमान का काम है, लेकिन यदि उनकी जरूरत पड़ती है तो मार्गदर्शन जरूर लेंगे.

सुखबीर सिंह बादल ने अमरिंदर पर तंज कसा
शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल से जब पूछा गया कि क्या कैप्टन अब कुछ करेंगे, तो इसको लेकर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने सिसवां में अपना फार्म हाउस बना लिया है और अब वह चीकू और सीताफल ही खाएंगे.

सुखबीर सिंह बादल का बयान.

कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन के साथ डबल रोल प्ले किया : भाजपा
बीजेपी के जनरल सचिव राजेश बग्गा ने कहा कि कैप्टन क्या करेंगे, इसको लेकर वो फैसला करेंगे. कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन के साथ डबल रोल प्ले किया है, जबकि वह पंजाब के काफी बड़े लीडर रहे है, उनके साथ जो बर्ताव किया है वो बेहद ही जलील करने वाला था.

अमरिंदर सिंह का सियासी सफर खत्म : हरपाल चीमा
पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि अमरिंदर सिंह का सियासी सफर खत्म हो चुका है, जिन मुद्दों को लेकर सत्ता में आये थे. वो अब तक पूरा नहीं हुए. अमरिंदर कौन सी पार्टी में जाना चाहते हैं यह उन पर निर्भर करता है.

हरपाल सिंह चीमा का बयान.

कैप्टन के पास विकल्प-

1. कांग्रेस का हाथ छोड़ना

अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनका अपमान हुआ है तो सवाल है कि क्या कैप्टन उस कांग्रेस का हाथ छोड़ देंगे जिसने उन्हें साढे नौ सा तक पंजाब का मुख्यमंत्री बनाए रखा. उनकी जुबां से भविष्य की राजनीति के विकल्प की बात सुनकर आलाकमान के भी कान खड़े जरूर हो गए होंगे.

2. अलग पार्टी बनाना

कैप्टन के मौजूदा तेवर, घटनाक्रम और सूबे में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए अलग पार्टी से भी इनकार नहीं किया जा सकता. जानकार मानते हैं कि अलग-अलग दलों के बागी मिलकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ एक मंच पर आ सकते हैं.

3 . बीजेपी का दामन थामना

मौजूदा सियासी घटनाक्रम के बीच कुछ लोग इस बात की संभावना भी जता रहे हैं. कैप्टन का चेहरा, फौजी इतिहास और बीजेपी का राष्ट्रवाद इस लिहाज से परफेक्ट कॉम्बिनेशन भी है. लेकिन कई सियासी जानकार इसे बहुत दूर की कौड़ी मानते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर बीजेपी और कैप्टन दोनों को कई मोर्चों पर समझौते करने होंगे.

हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बेहतर संबंध है. पर एक सीज़नल राजनीतिक होने के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह जो भी फैसला लेंगे वह सोच समझ कर ही लेंगे. उनके फैसले पर कांग्रेस हाईकमान की नजरें टिकी हुई है कि वह किसी भी तरह से उन्हें नाराज नहीं करना चाहते.

दरअसल , भाजपा पहली बार अकाली दल से अलग होकर पंजाब में अपने दम पर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है. भाजपा के पास राज्य में फिलहाल मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर कोई कद्दावर चेहरा नहीं है. राजनीतिक जानकार भी यह मानते हैं कि कैप्टन जैसे बड़े नेता के साथ जुड़ने का फायदा भाजपा को राज्य में हो सकता है जैसा असम में हुआ था.

चंडीगढ़ : पंजाब में पिछले एक हफ्ते में सरकार में काफी बदलाव देखने को मिले, मुख्यमंत्री भी नए चुने गए. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा दिया. अमरिंदर के इस्तीफे के बाद पांच नामों पर मोहर लगते-लगते अंत में चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के नए मुख्यमंत्री बने. पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से ही जिस अंदाज में कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार पाकिस्तान और राष्ट्रीय सुरक्षा का राग अलाप रहे हैं, उसे देखते हुए उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं. अब सवाल उठ रहे हैं कि अमरिंदर सिंह अब क्या करेंगे, उनके पास अब क्या विकल्प है. क्या वह पार्टी में ही बने रहेंगे या फिर किसी और राजनीतिक दल का दामन थामेंगे.

2017 में ही शुरू हुई थी सिद्धू और कैप्टन में खटपट
2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थामा था. 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, मगर बीजेपी ने अरुण जेटली को उम्मीदवार बना दिया. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी तो सिद्धू राहुल और प्रियंका के करीबियों में शुमार हो गए. वह अमरिंदर की सरकार में पर्यटन और नगर निकाय के मंत्री बने. यही से अमरिंदर और सिद्धू में खटपट शुरू हुई.

टीवी शोज और बाजवा के मुद्दे पर हुई थी सिद्धू की किरकिरी
बतौर मुख्यमंत्री कैप्टन अपने मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के कामकाज के तरीके से नाखुश थे. उधर, सिद्धू भी वादे के मुताबिक डिप्टी सीएम नहीं बनाने से नाराज हो गए. टीवी शोज में सिद्धू की खिंचाई शुरू हुई तो कैप्टन ने उनका विभाग बदल दिया. इसके बाद तो सिद्धू ने अमरिंदर सिंह को चुनौती देना शुरू कर दिया. जब पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा से मुलाकात के बाद सिद्धू की आलोचना शुरू हुई तो अमरिंदर समर्थकों ने भी सिद्धू की घेराबंदी कर दी. 20 जुलाई 2019 को सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद तो हमेशा वह अपनी ही सरकार की आलोचना करते रहे.

नवजोत सिंह सिद्धू का कहना था कि मुख्यमंत्री ने पिछले साढे़ चार सालों में कुछ नहीं किया, जिसका खामियाजा पंजाब कांग्रेस को आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ सकता है. हाईकमान पर सिद्धू के दबाव के आगे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आखिरकार अपना इस्तीफा दे दिया. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह ने कहा था कि कुछ महीनों में तीन बार विधायकों की बैठक बुलाने के बाद उन्होंने खुद को अपमानित महसूस किया, जिसके बाद उन्होंने पद छोड़ने का फैसला किया.

राष्ट्रवाद, सीमा सुरक्षा, आतंकवाद और पाकिस्तान जैसे तमाम मुद्दों को भाजपा लगातार उठाती रहती है. इसलिए अब यह कहा जाने लगा है कि क्या कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं? जिस अंदाज में इस्तीफा देने के बाद उन्होने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री बनाने से पंजाब और देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है और यह बात वो कई बार कांग्रेस आलाकमान को बता चुके हैं, उससे इन कयासों को बल मिल रहा है कि वो धीरे-धीरे भाजपा के पिच पर आते जा रहे हैं.

अमरिंदर सिंह ने कहा था कि अपने देश की खातिर, मैं पंजाब के सीएम के लिए उनके (नवजोत सिंह सिद्धू) नाम का विरोध करूंगा. यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है. पाकिस्तान के पीएम इमरान खान उनके दोस्त हैं. सिद्धू का संबंध सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा से है.

हालांकि कैप्टन के इस्तीफे के बाद ही बीजेपी का यह कहना था कि कैप्टन को बीजेपी में शामिल हो जाना चाहिए, लेकिन अभी तक कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ से कोई बयान नहीं जारी किया गया है. हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा था कि वह अपने समर्थकों के साथ विचार-विमर्श करेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे.

पंजाब कांग्रेस का कार्यक्रता बहुत खुश : जी एस बाली
कांग्रेस के प्रवक्ता जी एस बाली ने कहा कि पंजाब कांग्रेस का कार्यक्रता बहुत खुश है, क्योंकि उन्हें एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला है जो डाउन टू अर्थ है और अब लगता है कि पंजाब में फिर से कांग्रेस सरकार बनेगी. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का क्या विकल्प होगा, यह सोचना पार्टी हाईकमान का काम है, लेकिन यदि उनकी जरूरत पड़ती है तो मार्गदर्शन जरूर लेंगे.

सुखबीर सिंह बादल ने अमरिंदर पर तंज कसा
शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल से जब पूछा गया कि क्या कैप्टन अब कुछ करेंगे, तो इसको लेकर उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने सिसवां में अपना फार्म हाउस बना लिया है और अब वह चीकू और सीताफल ही खाएंगे.

सुखबीर सिंह बादल का बयान.

कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन के साथ डबल रोल प्ले किया : भाजपा
बीजेपी के जनरल सचिव राजेश बग्गा ने कहा कि कैप्टन क्या करेंगे, इसको लेकर वो फैसला करेंगे. कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन के साथ डबल रोल प्ले किया है, जबकि वह पंजाब के काफी बड़े लीडर रहे है, उनके साथ जो बर्ताव किया है वो बेहद ही जलील करने वाला था.

अमरिंदर सिंह का सियासी सफर खत्म : हरपाल चीमा
पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि अमरिंदर सिंह का सियासी सफर खत्म हो चुका है, जिन मुद्दों को लेकर सत्ता में आये थे. वो अब तक पूरा नहीं हुए. अमरिंदर कौन सी पार्टी में जाना चाहते हैं यह उन पर निर्भर करता है.

हरपाल सिंह चीमा का बयान.

कैप्टन के पास विकल्प-

1. कांग्रेस का हाथ छोड़ना

अमरिंदर सिंह ने कहा कि उनका अपमान हुआ है तो सवाल है कि क्या कैप्टन उस कांग्रेस का हाथ छोड़ देंगे जिसने उन्हें साढे नौ सा तक पंजाब का मुख्यमंत्री बनाए रखा. उनकी जुबां से भविष्य की राजनीति के विकल्प की बात सुनकर आलाकमान के भी कान खड़े जरूर हो गए होंगे.

2. अलग पार्टी बनाना

कैप्टन के मौजूदा तेवर, घटनाक्रम और सूबे में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए अलग पार्टी से भी इनकार नहीं किया जा सकता. जानकार मानते हैं कि अलग-अलग दलों के बागी मिलकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ एक मंच पर आ सकते हैं.

3 . बीजेपी का दामन थामना

मौजूदा सियासी घटनाक्रम के बीच कुछ लोग इस बात की संभावना भी जता रहे हैं. कैप्टन का चेहरा, फौजी इतिहास और बीजेपी का राष्ट्रवाद इस लिहाज से परफेक्ट कॉम्बिनेशन भी है. लेकिन कई सियासी जानकार इसे बहुत दूर की कौड़ी मानते हैं, क्योंकि ऐसा करने पर बीजेपी और कैप्टन दोनों को कई मोर्चों पर समझौते करने होंगे.

हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि उनके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बेहतर संबंध है. पर एक सीज़नल राजनीतिक होने के चलते कैप्टन अमरिंदर सिंह जो भी फैसला लेंगे वह सोच समझ कर ही लेंगे. उनके फैसले पर कांग्रेस हाईकमान की नजरें टिकी हुई है कि वह किसी भी तरह से उन्हें नाराज नहीं करना चाहते.

दरअसल , भाजपा पहली बार अकाली दल से अलग होकर पंजाब में अपने दम पर अकेले विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है. भाजपा के पास राज्य में फिलहाल मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर कोई कद्दावर चेहरा नहीं है. राजनीतिक जानकार भी यह मानते हैं कि कैप्टन जैसे बड़े नेता के साथ जुड़ने का फायदा भाजपा को राज्य में हो सकता है जैसा असम में हुआ था.

Last Updated : Sep 22, 2021, 9:22 PM IST
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