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गठबंधन किसके साथ है से ज्यादा मायने रखता है बिहार के लिए काम क्या हो रहा है : प्रशांत किशोर - नीतीश कुमार नया मंत्रिमंडल

नीतीश कुमार के नेतृत्व में सात दलों के महागठबंधन की सरकार बुधवार को बिहार की सत्ता संभालेगी. नीतीश ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने की घोषणा की थी.

गठबंधन किसके साथ है से ज्यादा मायने रखता है बिहार के लिए काम क्या हो रहा है : प्रशांत किशोर
गठबंधन किसके साथ है से ज्यादा मायने रखता है बिहार के लिए काम क्या हो रहा है : प्रशांत किशोर
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Published : Aug 10, 2022, 1:35 PM IST

Updated : Aug 10, 2022, 2:44 PM IST

पटना : नीतीश कुमार के नेतृत्व में सात दलों के महागठबंधन की सरकार बुधवार को बिहार की सत्ता संभालेगी. नीतीश ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने की घोषणा की थी. इस संबंध में प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं देख रहा हूं कि बिहार में 2013-14 के बाद से राजनीतिक अस्थिरता का दौर चल रहा है यह घटना क्रम भी उसी संदर्भ में एक और घटना है. 2013-14 के बाद से बिहार में सरकार बनाने का यह छठा प्रयास है. जब किसी की राजनीतिक या प्रशासनिक अपेक्षाएं पूरी नहीं होती हैं तो संरचनाएं बदल जाती हैं. प्रशांत किशोर कहते हैं कि बिहार के लिए पिछले 12-13 साल का दौर राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा है.

साल 2012-2013 से बिहार में जो राजनीतिक अस्थिरता शुरू हुई है, वह थमने का नाम नहीं ले रही है. पिछले 10 साल में यह बिहार में यह छठवीं सरकार है, जो शपथ लेने जा रही है. उन्होंने कहा कि इस राजनीतिक बदहाली के दौर में बिहार में केवल दो चीजें ही स्थिर रही हैं, उनमें से एक हैं नीतीश कुमार, जो किसी भी तरह की सरकार रही हो ,उसमें वो मुख्यमंत्री रहे हैं. दूसरी चीज है बिहार की बदहाली, इसमें कोई परिवर्तन नहीं आया है. इसके लिए हम सब लोग दोषी हैं. क्योंकि कुछ दिन तक मैं भी इसमें भागिदार रहा हूं. उन्होंने कहा कि वो पिछले तीन महीने से बिहार में हैं. रोज लोगों से मिलते-जुलते हैं, यात्राएं करते हैं. लेकिन इस दौरान पिछली सरकार को लेकर सुशासन वाली बात उन्हें कहीं नहीं सुनाई दी.

पढ़ें: Bihar Politics : पांच साल में कितना बदले तेजस्वी और नीतीश, महागठबंधन की क्या होगी दिशा

प्रशांत किशोर ने कहा कि अब जो सरकार बनने जा रही है, इस सरकार का एजेंडा क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी. पिछली सरकार में एक जो बड़ी समस्या नजर आई, वह थी शराबबंदी, देखने वाली बात होगी कि नई सरकार की शराबबंदी पर क्या नीति रहती है. क्या उसको लेकर कोई नई बात होगी. उन्होंने कहा कि किसानों को खाद पहले भी नहीं मिलती थी और आगे आज भी नहीं मिलने वाली है. उन्होंने कहा कि क्या ऐसा कोई बदलाव होता है, जो जनता को नजर आए, यह देखने वाली बात होगी. उन्होंने कहा कि जो सरकार बनने जा रही है, इस सरकार के पास भी कोई एजेंडा होगा ही. हमें देखना होगा कि यह सरकार किस घोषणापत्र को लेकर आती है.

प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार की कल तक जो सरकार थी, वह सात निश्चिय पार्ट-2 के घोषणा पत्र पर चल रही थी. अब यह देखने वाली बात होगी कि नई सरकार किस घोषणा पत्र पर चलती है, सात निश्चिय पार्ट-2 के आधार पर या 2015 में महागठबंधन के समय बने 'सात निश्चिय' के आधार पर या कोई नया घोषणा पत्र आएगा, जिसमें पिछले चुनाव में आरजेडी के 10 लाख नौकरियों और शिक्षकों को लेकर की गई घोषणाओं और जदयू के घोषणापत्र को इसमें शामिल किया जाता है या नहीं. उन्होंने कहा कि बिहार के लोग उम्मीद करेंगे कि यह नया गठन (जद (यू) और राजद) कायम रहे, और इसकी प्राथमिकताएं लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप होनी चाहिए.

पढ़ें: Bihar Political Crisis : क्या लोकसभा चुनाव की आहट आते ही नीतीश बदल लेते हैं पार्टनर !

यह देखने की जरूरत है कि नई सरकार पिछली सरकार से बेहतर काम करेगी या नहीं. चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने कहा कि तेजस्वी यादव बिहार में सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं और संभवत: वे इस नए गठबंधन को चलाने में अहम भूमिका निभाएंगे. जनता देख सकेगी कि वह इस नई सरकार में कैसे काम करते हैं. प्रशांत किशोर ने कहा कि आप किसी भी पॉलिटिकल फॉरमेशन में रहें, उससे ज्यादा जरूरी बात यह है कि आप काम क्या करते हैं. मेरी उम्मीद है कि आप किसी भी पॉलिटिकल फॉरमेशन में रहें आप अच्छा काम करें. लोगों को स्थिति बेहतर हो यह ज्यादा जरूरी होगा.

प्रशांत किशोर ने कहा कि अभी कि वो यह नहीं देख रहे हैं कि नीतीश कुमार पीएम की रेस में शामिल हो रहे हैं और उसकी शुरूआत बिहार से कर रहे हैं. वो कहते हैं कि अभी तो सरकार बनी है, इस सरकार ने कोई चुनाव तो जीता नहीं है.इसलिए अभी ऐसा नहीं कहा जा सकता. इस तरह की संभावनाओं पर बहुत आगे बढ़कर बोलना मुझे नहीं लगता है कि सही होगा. उन्होंने कहा कि सरकार का जो कार्यकाल बाकी है, उसमें अगर नीतीश कुमार की सरकार जमीन पर कुछ काम करती है, जैसे शिक्षा, रोजागार, शराबबंदी, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार रोकने के क्षेत्र में तो यह अच्छा होगा. इसके बाद बार-बार पाला बदलने से विश्वसनीयता में बट्टा भी लग जाए तो कोई बात नहीं है.

पटना : नीतीश कुमार के नेतृत्व में सात दलों के महागठबंधन की सरकार बुधवार को बिहार की सत्ता संभालेगी. नीतीश ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से अलग होने की घोषणा की थी. इस संबंध में प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं देख रहा हूं कि बिहार में 2013-14 के बाद से राजनीतिक अस्थिरता का दौर चल रहा है यह घटना क्रम भी उसी संदर्भ में एक और घटना है. 2013-14 के बाद से बिहार में सरकार बनाने का यह छठा प्रयास है. जब किसी की राजनीतिक या प्रशासनिक अपेक्षाएं पूरी नहीं होती हैं तो संरचनाएं बदल जाती हैं. प्रशांत किशोर कहते हैं कि बिहार के लिए पिछले 12-13 साल का दौर राजनीतिक अस्थिरता का दौर रहा है.

साल 2012-2013 से बिहार में जो राजनीतिक अस्थिरता शुरू हुई है, वह थमने का नाम नहीं ले रही है. पिछले 10 साल में यह बिहार में यह छठवीं सरकार है, जो शपथ लेने जा रही है. उन्होंने कहा कि इस राजनीतिक बदहाली के दौर में बिहार में केवल दो चीजें ही स्थिर रही हैं, उनमें से एक हैं नीतीश कुमार, जो किसी भी तरह की सरकार रही हो ,उसमें वो मुख्यमंत्री रहे हैं. दूसरी चीज है बिहार की बदहाली, इसमें कोई परिवर्तन नहीं आया है. इसके लिए हम सब लोग दोषी हैं. क्योंकि कुछ दिन तक मैं भी इसमें भागिदार रहा हूं. उन्होंने कहा कि वो पिछले तीन महीने से बिहार में हैं. रोज लोगों से मिलते-जुलते हैं, यात्राएं करते हैं. लेकिन इस दौरान पिछली सरकार को लेकर सुशासन वाली बात उन्हें कहीं नहीं सुनाई दी.

पढ़ें: Bihar Politics : पांच साल में कितना बदले तेजस्वी और नीतीश, महागठबंधन की क्या होगी दिशा

प्रशांत किशोर ने कहा कि अब जो सरकार बनने जा रही है, इस सरकार का एजेंडा क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी. पिछली सरकार में एक जो बड़ी समस्या नजर आई, वह थी शराबबंदी, देखने वाली बात होगी कि नई सरकार की शराबबंदी पर क्या नीति रहती है. क्या उसको लेकर कोई नई बात होगी. उन्होंने कहा कि किसानों को खाद पहले भी नहीं मिलती थी और आगे आज भी नहीं मिलने वाली है. उन्होंने कहा कि क्या ऐसा कोई बदलाव होता है, जो जनता को नजर आए, यह देखने वाली बात होगी. उन्होंने कहा कि जो सरकार बनने जा रही है, इस सरकार के पास भी कोई एजेंडा होगा ही. हमें देखना होगा कि यह सरकार किस घोषणापत्र को लेकर आती है.

प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार की कल तक जो सरकार थी, वह सात निश्चिय पार्ट-2 के घोषणा पत्र पर चल रही थी. अब यह देखने वाली बात होगी कि नई सरकार किस घोषणा पत्र पर चलती है, सात निश्चिय पार्ट-2 के आधार पर या 2015 में महागठबंधन के समय बने 'सात निश्चिय' के आधार पर या कोई नया घोषणा पत्र आएगा, जिसमें पिछले चुनाव में आरजेडी के 10 लाख नौकरियों और शिक्षकों को लेकर की गई घोषणाओं और जदयू के घोषणापत्र को इसमें शामिल किया जाता है या नहीं. उन्होंने कहा कि बिहार के लोग उम्मीद करेंगे कि यह नया गठन (जद (यू) और राजद) कायम रहे, और इसकी प्राथमिकताएं लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप होनी चाहिए.

पढ़ें: Bihar Political Crisis : क्या लोकसभा चुनाव की आहट आते ही नीतीश बदल लेते हैं पार्टनर !

यह देखने की जरूरत है कि नई सरकार पिछली सरकार से बेहतर काम करेगी या नहीं. चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्रशांत किशोर ने कहा कि तेजस्वी यादव बिहार में सबसे बड़ी पार्टी के नेता हैं और संभवत: वे इस नए गठबंधन को चलाने में अहम भूमिका निभाएंगे. जनता देख सकेगी कि वह इस नई सरकार में कैसे काम करते हैं. प्रशांत किशोर ने कहा कि आप किसी भी पॉलिटिकल फॉरमेशन में रहें, उससे ज्यादा जरूरी बात यह है कि आप काम क्या करते हैं. मेरी उम्मीद है कि आप किसी भी पॉलिटिकल फॉरमेशन में रहें आप अच्छा काम करें. लोगों को स्थिति बेहतर हो यह ज्यादा जरूरी होगा.

प्रशांत किशोर ने कहा कि अभी कि वो यह नहीं देख रहे हैं कि नीतीश कुमार पीएम की रेस में शामिल हो रहे हैं और उसकी शुरूआत बिहार से कर रहे हैं. वो कहते हैं कि अभी तो सरकार बनी है, इस सरकार ने कोई चुनाव तो जीता नहीं है.इसलिए अभी ऐसा नहीं कहा जा सकता. इस तरह की संभावनाओं पर बहुत आगे बढ़कर बोलना मुझे नहीं लगता है कि सही होगा. उन्होंने कहा कि सरकार का जो कार्यकाल बाकी है, उसमें अगर नीतीश कुमार की सरकार जमीन पर कुछ काम करती है, जैसे शिक्षा, रोजागार, शराबबंदी, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार रोकने के क्षेत्र में तो यह अच्छा होगा. इसके बाद बार-बार पाला बदलने से विश्वसनीयता में बट्टा भी लग जाए तो कोई बात नहीं है.

Last Updated : Aug 10, 2022, 2:44 PM IST
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