फरीदाबाद : भारत में व्हीकल स्क्रैपेज पॉलिसी (vehicle scrappage policy India) की घोषणा की जा चुकी है. इस पॉलिसी को भारत में लागू करने का सबसे बड़ा मकसद प्रदूषण पर लगाम लगाना है. देशभर में 1 अक्टूबर 2021 से लागू होने वाली नई स्क्रैप पॉलिसी को लेकर लोगों के जहन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. वहीं हरियाणा सरकार (vehicle scrappage policy haryana) के सामने भी पुराने वाहनों को सड़क से हटाने की बड़ी चुनौती होगी. बहरहाल सबसे पहले जान लेते हैं कि आखिर व्हीकल स्क्रैप पॉलिसी है क्या?
क्या है स्क्रैप पॉलिसी?
इस नई स्क्रैप पॉलिसी के मुताबिक 15 और 20 साल पुरानी गाड़ियों को स्क्रैप (कबाड़) कर दिया जाएगा. कमर्शियल गाड़ी जहां 15 साल बाद कबाड़ घोषित हो सकेगी, वहीं निजी गाड़ी के लिए यह समय 20 साल है. अगर सीधे शब्दों में कहें तो आपकी 20 साल पुरानी निजी कार को रद्दी के माल की तरह कबाड़ी में बेच दिया जाएगा. वाहन मालिकों को तय समय बाद वाहन को ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर ले जाना होगा. सरकार का दावा है कि स्क्रैपिंग पॉलिसी से वाहन मालिकों का न केवल आर्थिक नुकसान कम होगा, बल्कि उनके जीवन की सुरक्षा हो सकेगी. सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी होगी.
पुराने वाहनों का होगा फिटनेस टेस्ट
20 साल से ज्यादा पुराने निजी वाहनों और 15 साल से ज्यादा पुराने कमर्शियल वाहनों को सरकार के साथ रजिस्टर्ड 'ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर' पर एक फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा. जो वाहन वहां टेस्ट पास नहीं कर पाएंगे. उन्हें 'एंड-ऑफ-लाइफ व्हीकल' घोषित कर दिया जाएगा. जिसका मतलब होगा कि उन वाहनों को रिसाइकल करना होगा. अगर वाहन टेस्ट पास कर लेता है तो मालिकों को दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए मोटी फीस चुकानी होगी.
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क्या कहा परिवहन मंत्री ने?
हरियाणा सरकार के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के पॉलिसी के तहत पुराने वाहनों को हटाने का काम किया जाएगा और इसकी रूपरेखा मुख्यमंत्री के साथ बैठक करने के बाद देखी जाएगी. परिवहन मंत्री ने साफ कर दिया है कि ये नियम केवल निजी क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सरकारी विभागों में भी लागू होंगे. जो गाड़ियां अपना निर्धारित समय पूरा कर चुकी हैं उनको सरकारी विभागों से हटाया जाएगा. मुख्यमंत्री और कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया जाएगा कि इन गाड़ियों को किस प्लानिंग के साथ हटाना है क्योंकि एक साथ सभी गाड़ियों को रोड से हटाना संभव नहीं है. ऐसे में परिवहन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करके रणनीति पर चर्चा की जाएगी.
आम जनता सरकार के फैसले से नाखुश
इस पॉलिसी के चलते आम आदमी भी ज्यादा खुश नहीं है. उनका मानना है क्या केवल गाड़ियां ही प्रदूषण कर रही हैं. कंपनियों से भी तो प्रदूषण किया जाता है. वाहन चालक अमित ने कहा कि उन्होंने कुछ ही समय पहले एक डीजल की गाड़ी खरीदी है और अब उनके पास केवल 4 साल का समय इस पॉलिसी के तहत रह गया है. ऐसे में 4 साल बाद वह नई गाड़ी कहां से खरीदेंगे क्योंकि मिडिल क्लास परिवार मुश्किल से ही गाड़ी खरीद पाता है. पुरानी गाड़ी खरीद कर वह काम चला रहे हैं. इस पॉलिसी का सबसे ज्यादा असर मिडिल क्लास फैमिली पर ही पड़ने वाला है.
कार डीलर को काम धंधा बंद होने का डर
वहीं इस पॉलिसी का सबसे ज्यादा असर पुरानी गाड़ियों की खरीद बेच करने वाले कार डीलरों पर पड़ेगा. कार डीलर संदीप की मानें तो इस पॉलिसी के आने के बाद से ही डीजल की गाड़ियों के भाव कौड़ियों के दाम नीचे गिर गए हैं और अब उनका धंधा पूरी तरह से समाप्त होने की तरफ जा रहा है. क्योंकि वह जो गाड़ियां खरीदते हैं उनकी निर्धारित सीमा पहले ही कम होती है और उनको बेचे जाने में भी कई-कई महीने लग जाते हैं. ऐसे में उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह गाड़ियों को किस तरह से जल्दी से जल्दी बेच पाएं. कम समय रहने के चलते गाड़ियों की कीमत आधी से भी कम हो जाएगी. जिसका सीधा असर आर्थिक तौर पर कार डीलरों के ऊपर पड़ेगा.
गुरुग्राम में कार्रवाई शुरू, फरीदाबाद में भी जल्द होगी शुरुआत
बहरहाल, इस पॉलिसी को लेकर गुरुग्राम में जागरूकता अभियान के साथ-साथ सख्ती भी शुरू कर दी गई है. गुरुग्राम पुलिस सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ अब सख्त कार्रवाई करेगी. वहीं ऐसा ही कुछ अब फरीदाबाद और बाकी एनसीआर क्षेत्र में आने वाले हरियाणा के जिलों में देखने को मिलने वाला है.
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