हैदराबाद : अमेरिकी के सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) के निदेशक विलियम बर्न्स ने एक चौंकाने वाला खुलासा कर भारत की चिंता बढ़ा दी है. सीएनएन और न्यूयार्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बर्न्स ने यह दावा किया कि अगस्त में भारत यात्रा के दौरान सीआईए की टीम रहस्यमयी बीमारी हवाना सिन्ड्रोम (Havana syndrome) का शिकार हो गई. उनका दावा है कि हवाना सिन्ड्रोम से दुनियाभर में अमेरिकी और कैनेडियन राजनयिकों, जासूसों और दूतावास के करीब 200 कर्मचारी पीड़ित हो चुके हैं. 24 अगस्त को अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस कि वियतनाम जाने वाली उड़ान में देरी हुई क्योंकि हनोई में कुछ संदिग्ध मामले सामने आए थे.
हवाना सिंड्रोम के लक्षण, जो पीड़ितों ने महसूस किए : अपनी रिपोर्ट में सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स ने बताया कि हवाना सिंड्रोम (Havana syndrome) के लक्षणों में सिर के अंदर तेज दबाव, एक या दोनों कानों में दर्द, माइग्रेन, उल्टी आना, याददाश्त चले जाना, बैलेंस बिगड़ना, सिर चकराना शामिल है. उन्होंने आशंका जताई है कि यह सिंड्रोम इंसान नियंत्रण में हो और इसके पीछे रूस की चाल हो सकती है. हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि किसी वैज्ञानिक संस्था ने नहीं की है.
क्यूबा से निकली बीमारी कई देशों में पहुंच गई : रिपोर्टस के अनुसार, 2016 में सबसे पहले इस बीमारी के बारे में क्यूबा में पता चला. तब क्यूबा के अमेरिकी दूतावास में मौजूद अधिकारियों में इस बीमारी के लक्षण पाए गए थे. उसके बाद ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, कोलंबिया, रूस और उज्बेकिस्तान में भी हवाना सिंड्रोम (Havana syndrome) के मामले सामने आए. नैशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के अनुसार, कुछ लक्षण अचानक महसूस होते हैं तो कुछ लंबे वक्त तक रहते हैं. चूंकि पहली बार इस बीमारी का पता क्यूबा की राजधानी हवाना में लगा, इसलिए इसे हवाना सिंड्रोम का नाम दिया गया. दिसंबर 2018 में कनाडा के 14 राजनयिक भी हवाना में इस बीमारी के शिकार हुए थे.
अल्ट्रासोनिक हथियारों से हमले का शक : 2018 में चीन ग्वानझोउ (Guangzhou consulate) में तैनात अमेरिकी डिप्लोमैट्स भी हवाना सिंड्रोम के शिकार हुए थे. 2018 में जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, इसके शिकार राजनयिकों के ब्रेन इंजरी पाई गई. मगर यह नहीं पता चला कि यह किन कारणों से ब्रेन के टिश्यूज डेमज हुए हैं. माना गया कि ऐसा अल्ट्रासोनिक हथियारों के हमले से संभव है, जिसमें शरीर के बाहरी हिस्से को क्षति पहुंचाए बिना टिश्यूज को टारगेट किया जा सकता है. दिमाग में टिश्यूज का नुकसान काफी शोर से भी हो सकता है. अमेरिकी रक्षा विभाग का दावा है कि रुस में यूएस कार्यालय में ऐसे हमले कई बार हुए हैं. हालांकि 2019 में वाशिंगटन डीसी में भी वॉइट हाउस के अधिकारी सिंड्रोम से ग्रसित मिले.
हालांकि एक्सपर्ट इसे ऐसी मनोवैज्ञानिक बीमारी भी मानते हैं, जो एक ग्रुप को विशेष परिस्थिति में काफी लंबे वक्त रहने के कारण हो सकता है. क्यूबा में लगातार निगरानी में रहने के दबाव की वजह से राजनयिकों के साथ ऐसा हुआ था. इसको दूर करने के लिए मनोवैज्ञानिक उपाय ही किए जा सकते हैं.मगर भारत में सीआईए की टीम भी ऐसा महसूस किया, यह भी चिंताजनक सवाल है.