नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को श्रीनगर के जवाहर नगर स्थित सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल में राजनीति विज्ञान के लेक्चरर जहूर अहमद भट के निलंबन के संबंध में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल से बात करने के लिए कहा. वह शीर्ष अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए थे और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ दलीलें दी थी.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने शीर्ष अदालत के समक्ष जहूर अहमद भट के निलंबन के मुद्दे का उल्लेख किया. सिब्बल ने कहा कि वह हाल ही में अदालत में पेश हुए था और अनुच्छेद 370 के पक्ष में दलीलें पेश की थीं और उनका निलंबन उचित नहीं है. लोकतंत्र इस तरह काम नहीं करता है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. इस पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं. यह पीठ अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर कुछ और है तो बात अलग है लेकिन उनके सामने पेश होने और फिर निलंबित होने का इतना सिलसिला क्यों जारी है. न्यायमूर्ति कौल ने मेहता को दलीलों और आदेश के बीच की निकटता के बारे में बताया. पीठ ने एजी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि अनुच्छेद 370 मामले और निलंबन में अदालत के समक्ष उनकी उपस्थिति की निकटता कुछ ऐसी है जो चिंता पैदा कर रही है. मेहता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अधिकारी इस पर गौर करेंगे, साथ ही उन्होंने स्वीकार किया कि निलंबन का समय उचित नहीं लगता है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर कुछ और है तो यह अलग बात है और एजी से जम्मू-कश्मीर के एलजी से बात करने और देखने को कहा कि क्या किया जा सकता है. मेहता ने कहा कि अन्य कारण भी हैं क्योंकि वह शिक्षण कार्य से छुट्टी लेकर विभिन्न मामलों में अदालत में पेश होते रहते हैं. पीठ ने निलंबन के समय पर मेहता से सवाल किया और कहा, 'इतनी आजादी का क्या होगा?' मेहता ने कहा कि हर किसी को अदालत के सामने पेश होने का अधिकार है और यह कभी भी प्रतिशोध के तौर पर नहीं हो सकता और अधिकारी इस चिंता का ध्यान रखेंगे.
पिछले हफ्ते जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक सरकारी लेक्चरर को निलंबित कर दिया था. लेक्चरर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 के पक्ष में दलीलें दी थी. भट्ट को सुप्रीम कोर्ट में उनकी उपस्थिति के लिए निलंबित कर दिया गया था, जहां उन्होंने अनुच्छेद 370 और उससे जुड़े अनुच्छेद 35-ए को निरस्त करने के खिलाफ वकालत की थी.
एक आधिकारिक बयान में सरकार ने भट के निलंबन को उनके आचरण की जांच लंबित रहने तक घोषित किया. निलंबन जम्मू -कश्मीर सिविल सेवा विनियम (सीएसआर), जम्मू और कश्मीर सरकारी कर्मचारी (आचरण) नियम 1971 और जम्मू - कश्मीर अवकाश नियमों में उल्लिखित प्रावधानों के उल्लंघन पर आधारित है. निलंबन आदेश में भट्ट को निलंबन की अवधि के दौरान जम्मू में स्कूल शिक्षा निदेशक के कार्यालय में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है.