नई दिल्ली : गृह मंत्री अमित शाह 28 अगस्त को गुजरात के गांधीनगर में पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 26वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे. पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद में गुजरात, गोवा, महाराष्ट्र और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव शामिल हैं. बैठक का आयोजन गुजरात सरकार के सहयोग से गृह मंत्रालय के तहत अंतर राज्य परिषद सचिवालय द्वारा किया जा रहा है. बैठक में सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक सहित प्रत्येक राज्य के दो वरिष्ठ मंत्री भाग लेंगे.
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ''राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव, सलाहकार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित केंद्रीय गृह सचिव, सचिव अंतर राज्य परिषद और केंद्र सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में भाग लेंगे.'' राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 की धारा 15-22 के तहत वर्ष 1957 में पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी.
केंद्रीय गृह मंत्री इन पांच क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष हैं, जबकि संबंधित क्षेत्रीय परिषद में शामिल राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक/उपराज्यपाल इसके सदस्य हैं. प्रत्येक राज्य से दो और मंत्रियों को राज्यपाल द्वारा परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया जाता है. प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का भी गठन किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सर्वांगीण विकास के लिए सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद का लाभ उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है.
प्रवक्ता ने आगे कहा, "गृह मंत्री ने राज्यों को सशक्त बनाने और केंद्र और राज्यों के बीच नीतिगत ढांचे पर बेहतर समझ को बढ़ावा देने के लिए सहकारी संघवाद दृष्टिकोण पर जोर दिया है. उन्होंने विवादों को सुलझाने और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय परिषदों का उपयोग करने की वकालत की है. गृह मंत्री की अध्यक्षता में पिछले वर्ष पांचों क्षेत्रीय परिषदों की बैठकें आयोजित की गई थीं. इस वर्ष संबंधित स्थायी समितियों की सभी बैठकें क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों से पहले आयोजित की गई हैं.''
क्षेत्रीय परिषदें बुनियादी ढांचे के खनन, जल आपूर्ति, पर्यावरण, वन और राज्य-पुनर्गठन के साथ-साथ प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) दूरसंचार के व्यापक विस्तार, इंटरनेट और सामान्य क्षेत्रीय हितों के मुद्दों सहित कई मुद्दों पर चर्चा करती हैं. प्रवक्ता ने कहा, “क्षेत्रीय परिषदों की प्रत्येक बैठक में राष्ट्रीय महत्व के कई मुद्दों पर भी चर्चा की जाती है। इनमें यौन अपराध, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बलात्कार के मामलों की त्वरित जांच, बलात्कार और पॉक्सो अधिनियम के मामलों के शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों (एफटीएससी) की योजना का कार्यान्वयन, पांच किलोमीटर के भीतर बैंकों/इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक शाखाओं की सुविधा शामिल है.
वहीं प्रत्येक गांव में, पोषण अभियान के माध्यम से बच्चों के बीच कुपोषण को संबोधित करना, स्कूली बच्चों की ड्रॉप-आउट दर को कम करना, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में सरकारी अस्पतालों की भागीदारी और राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य हित के मुद्दे शामिल है.
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(आईएएनएस)