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रेप का आरोप लगने पर मजबूरन की थी शादी, DNA जांच से पांच साल बाद बेदाग साबित हुआ युवक

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Published : Dec 2, 2022, 6:31 PM IST

पश्चिम बंगाल में रेप केस में कोर्ट के आदेश पर डीएनए टेस्ट कराया गया (Fake rape case). डीएनए जांच में सामने आया है कि जिस युवती ने रेप का आरोप लगाया था, आरोपी उसके बच्चे का पिता नहीं है (false rape charge for 5 years given respite after DNA test).

Youth carrying false rape charge
डीएनए जांच में सामने आया सच

केशपुर : मिदनापुर के एक युवक की कहानी समाज को शर्मसार करने वाली है. यहां केशपुर के युवक को पांच साल तक दुष्कर्म के झूठे आरोप में बदनामी झेलनी पड़ी. यहां तक कि उसे आरोप लगाने वाली गर्भवती नाबालिग से शादी भी करनी पड़ी. अब पांच साल बाद आखिरकार अदालत के आदेश पर डीएनए जांच के बाद वह बेगुनाह साबित हुआ. डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक बच्चा उसका नहीं (false rape charge for 5 years given respite after DNA test).

इस घटना की शुरुआत 2017 में हुई जब केशपुर के आनंदपुर इलाके की रहने वाली लड़की जो तब 13 साल की थी, गर्भवती हो गई. युवती के परिजनों ने 22 वर्षीय पड़ोसी युवक पर शादी का झूठा वादा कर उसे गर्भवती करने का आरोप लगाया. युवक ने तुरंत सभी आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन पंचायत ने युवक को जबरन शादी करने के लिए मजबूर किया.

बदनामी के दाग को मिटाने के लिए युवक घर से भाग गया और झूठे आरोप में फंसाने के लिए अपनी नाबालिग पत्नी और उसके परिवार पर मिदनापुर अदालत में मुकदमा दायर किया. मामले की सुनवाई अभी जारी है, लेकिन कोर्ट के डीएनए टेस्ट के आदेश के बाद युवक को राहत दे दी गई है.

पीड़िता जिसने आरोप लगाया था वह अब 18 साल की है. कोर्ट ने डीएनए टेस्ट कराया, जिसकी रिपोर्ट के मुताबिक युवक उस युवती के बच्चे का पिता नहीं है. इस खुलासे के बाद अदालत ने महिला और उसकी मां को गिरफ्तार करने का आदेश दिया. साथ ही पुलिस को बच्चे के असली पिता का पता लगाने को कहा. लेकिन अदालत के आदेश का स्थानीय पुलिस पर कोई खास असर नहीं पड़ा. पुलिस गिरफ्तार करने से बचती रही.

गिरफ्तारी के लिए खटखटाया कोर्ट का दरवाजा : कोई अन्य विकल्प न देख युवक ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वहीं, सूत्रों के मुताबिक, 18 वर्षीय महिला को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन फिलहाल वह सशर्त जमानत पर है.

युवक के वकील शमिक बनर्जी ने जांच में लापरवाही बरतने के लिए पुलिस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 'डीएनए परीक्षण से साबित होता है कि युवती ने मेरे मुवक्किल के साथ धोखा किया. पुलिस ने अदालत के आदेश पर उसे गिरफ्तार किया. हालांकि, अदालत ने कई कारणों से उसे सशर्त जमानत दे दी. आनंदपुर थाने की पुलिस ने कई गलतियां कीं.'

अधिवक्ता शमिक बनर्जी ने कहा कि 'अभी तक बच्ची का असली पिता सामने नहीं आया है. इसके अलावा, किसकी सलाह पर मेरे मुवक्किल को इस तरह फंसाया गया, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है. घटना की उचित जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी.'

पढ़ें- पॉक्सो मामले में गलत गिरफ्तारी के लिए पुलिस पर लगाया गया 5 लाख रुपये का जुर्माना

केशपुर : मिदनापुर के एक युवक की कहानी समाज को शर्मसार करने वाली है. यहां केशपुर के युवक को पांच साल तक दुष्कर्म के झूठे आरोप में बदनामी झेलनी पड़ी. यहां तक कि उसे आरोप लगाने वाली गर्भवती नाबालिग से शादी भी करनी पड़ी. अब पांच साल बाद आखिरकार अदालत के आदेश पर डीएनए जांच के बाद वह बेगुनाह साबित हुआ. डीएनए रिपोर्ट के मुताबिक बच्चा उसका नहीं (false rape charge for 5 years given respite after DNA test).

इस घटना की शुरुआत 2017 में हुई जब केशपुर के आनंदपुर इलाके की रहने वाली लड़की जो तब 13 साल की थी, गर्भवती हो गई. युवती के परिजनों ने 22 वर्षीय पड़ोसी युवक पर शादी का झूठा वादा कर उसे गर्भवती करने का आरोप लगाया. युवक ने तुरंत सभी आरोपों को खारिज कर दिया, लेकिन पंचायत ने युवक को जबरन शादी करने के लिए मजबूर किया.

बदनामी के दाग को मिटाने के लिए युवक घर से भाग गया और झूठे आरोप में फंसाने के लिए अपनी नाबालिग पत्नी और उसके परिवार पर मिदनापुर अदालत में मुकदमा दायर किया. मामले की सुनवाई अभी जारी है, लेकिन कोर्ट के डीएनए टेस्ट के आदेश के बाद युवक को राहत दे दी गई है.

पीड़िता जिसने आरोप लगाया था वह अब 18 साल की है. कोर्ट ने डीएनए टेस्ट कराया, जिसकी रिपोर्ट के मुताबिक युवक उस युवती के बच्चे का पिता नहीं है. इस खुलासे के बाद अदालत ने महिला और उसकी मां को गिरफ्तार करने का आदेश दिया. साथ ही पुलिस को बच्चे के असली पिता का पता लगाने को कहा. लेकिन अदालत के आदेश का स्थानीय पुलिस पर कोई खास असर नहीं पड़ा. पुलिस गिरफ्तार करने से बचती रही.

गिरफ्तारी के लिए खटखटाया कोर्ट का दरवाजा : कोई अन्य विकल्प न देख युवक ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. वहीं, सूत्रों के मुताबिक, 18 वर्षीय महिला को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन फिलहाल वह सशर्त जमानत पर है.

युवक के वकील शमिक बनर्जी ने जांच में लापरवाही बरतने के लिए पुलिस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 'डीएनए परीक्षण से साबित होता है कि युवती ने मेरे मुवक्किल के साथ धोखा किया. पुलिस ने अदालत के आदेश पर उसे गिरफ्तार किया. हालांकि, अदालत ने कई कारणों से उसे सशर्त जमानत दे दी. आनंदपुर थाने की पुलिस ने कई गलतियां कीं.'

अधिवक्ता शमिक बनर्जी ने कहा कि 'अभी तक बच्ची का असली पिता सामने नहीं आया है. इसके अलावा, किसकी सलाह पर मेरे मुवक्किल को इस तरह फंसाया गया, यह अभी भी स्पष्ट नहीं है. घटना की उचित जांच के बाद ही सच्चाई सामने आएगी.'

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