कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कोलकाता के पास बैरकपुर में नदी पार करने के नियमित अभ्यास के दौरान भारतीय सेना के दो जवान शहीद हो गए. पूर्वी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल आर.पी. कलिता ने अन्य रैंक के अधिकारियों के साथ नाइक लेंगखोलाल और सिपाही एल्ड्रिन हेमिंगथांजवाला को श्रद्धांजलि अर्पित की. यह घटना बुधवार को हुई, जिसके बाद इसकी जांच के लिए सेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (सीओआई) का गठन किया है.
कोलकाता से लगभग 40 किमी उत्तर में बैरकपुर छावनी के भीतर सरोवर झील में यह दुखद घटना घटी. पूर्वी कमान के एक अधिकारी के अनुसार, झील में नियमित रूप से नदी पार करने का अभ्यास किया जाता है. सैनिकों से अपेक्षा की जाती है कि वे झील के पार फैली रस्सी की मदद से जल निकाय को पार करें. बुधवार सुबह छह सैनिक अभ्यास में हिस्सा ले रहे थे. जहां पहले तीन जवानों ने इसे सुरक्षित रूप से पार कर लिया था, वहीं बाकी 3 लोगों के पार करने के दौरान रस्सी टूट गई.
जहां एक सैनिक को बचा लिया गया, वहीं अन्य दो जवान डूब गए. इस तरह के अभ्यास आम तौर पर हादसे से बचने के सामानों के साथ आयोजित किए जाते हैं, जिसमें 'दुश्मन पोस्ट' निगरानी बनाए रखना शामिल है. इसका मतलब है कि युद्धाभ्यास में भाग लेने वाले सैनिक पूरी तरह युद्ध की तैयारी में रहते हैं. यह 'टच एंड गो' स्थिति है, यदि कोई सैनिक रस्सी पर अपनी पकड़ खो देता है, जब तक कि वह एक विशेषज्ञ तैराक न हो.
एक सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार, दुर्भाग्य से, यह ऐसा ही है. सेना को अपने कर्मियों को सभी स्थितियों के लिए प्रशिक्षित करने की आवश्यकता होती है. हम इस तरह के अभ्यास में हिस्सा रहे हैं. एक सैनिक के वजन को देखते हुए लाइफ जैकेट एक विकल्प नहीं है. ऐसी घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं, लेकिन दुर्लभ हैं. यह जानने के लिए निश्चित रूप से जांच की आवश्यकता है कि रस्सी क्यों टूटी. अगर कोई जिम्मेदार है तो उसे सजा मिलनी चाहिए.
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हादसे में शहीद हुए जवान नाइक लेंगखोलाल नागालैंड से थे, जबकि सिपाही हमिंगथांजवाला मिजोरम के थे. दोनों असम रेजीमेंट से थे. मौत के कारणों का पता लगाने के लिए ऑटोप्सी सहित आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उनके शवों को उनके घरों को भेजा जा रहा है.
(आईएएनएस)