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West Bengal News: कुस्तौर में प्रदर्शनकारी कुर्मियों ने रेल पटरियों पर दिया धरना, ट्रेन यातायात हुआ बाधित

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Published : Apr 9, 2023, 6:00 PM IST

पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जनजाति की विभिन्न मांगों को लेकर कुर्मी समाज आंदोलनरत है. इस आंदोलन के पांचवें दिन पुरूलिया जिले में प्रदर्शनकारियों ने कुस्तौर रेलवे स्टेशन के पास रेलपटरियों पर प्रदर्शन किया, जिसके चलते ट्रेनों का यातायात रुक गया.

kurmis protesting on railway tracks in west bengal
कुर्मियों ने रेल पटरियों पर दिया धरना

कोलकाता: अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत कुर्मी समाज ने इस आंदोलन के पांचवें दिन रविवार को पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले में कुस्तौर रेलवे स्टेशन के पास रेलपटरियों पर से अपना धरना-प्रदर्शन समाप्त कर दिया. हालांकि, पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खेमाशुलि में रेलमार्ग अब भी बाधित है. पांच अप्रैल से चल रहे इस आंदोलन के चलते सैंकड़ों एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन रद्द कर दी गयी हैं.

कुर्मी नेता अजीत महतो ने कहा कि फिलहाल किस्तौर में आंदोलन वापस लिया जा रहा है लेकिन नेतृत्व के बीच चर्चा के बाद भविष्य में उसे तेज किया जा सकता है. कुस्तौर में अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ रेलमार्ग पर बैठे महतो ने कहा कि अबतक हमारी मांगें नहीं मानी गयी हैं लेकिन हम फिलहाल आंदोलन वापस ले रहे हैं.

दक्षिण-पूर्वी रेलवे ने कहा है कि पांच अप्रैल से दो रेलवे स्टेशनों पर पटरी बाधित किए जाने की वजह से करीब पांच सौ एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन रद्द की गयी हैं, जिससे हजारों यात्रियों को बहुत परेशानी हुई. खेमाशुली में प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे आंदोलन को जारी रखने के संबंध में अपने नेतृत्व के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड से देश में विभिन्न स्थानों पर जाने वाली कई सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेन पिछले पांच दिनों में रद्द कर दी गयीं.

जिन ट्रेनों को रद्द किया गया है, उनमें नयी दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस, हावड़ा-पुणे-हावड़ा दुरूंतो एक्सप्रेस, हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस, हावड़ा-मुंबई-हावड़ा मेल और अलप्पुझा-धनबाद एक्सप्रेस शामिल हैं. कुर्मी समुदाय के लोग अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने, सरना धर्म को मान्यता देने, कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने समेत कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

पढ़ें: Bengal News: बंगाल के सरकारी अस्पताल ने जीवित नवजात का जारी कर दिया मृत्यु प्रमाण पत्र

कुर्मी समुदाय मूलत: झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के छोटानागपुर पठार में केंद्रित हैं, उनके संगठनों ने अपनी ऐसी ही मांगों को लेकर सितंबर 2022 में भी इन दो स्टेशनों पर रेलमार्ग पांच दिनों तक बाधित किया था.

(पीटीआई-भाषा)

कोलकाता: अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत कुर्मी समाज ने इस आंदोलन के पांचवें दिन रविवार को पश्चिम बंगाल के पुरूलिया जिले में कुस्तौर रेलवे स्टेशन के पास रेलपटरियों पर से अपना धरना-प्रदर्शन समाप्त कर दिया. हालांकि, पश्चिम मेदिनीपुर जिले के खेमाशुलि में रेलमार्ग अब भी बाधित है. पांच अप्रैल से चल रहे इस आंदोलन के चलते सैंकड़ों एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन रद्द कर दी गयी हैं.

कुर्मी नेता अजीत महतो ने कहा कि फिलहाल किस्तौर में आंदोलन वापस लिया जा रहा है लेकिन नेतृत्व के बीच चर्चा के बाद भविष्य में उसे तेज किया जा सकता है. कुस्तौर में अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ रेलमार्ग पर बैठे महतो ने कहा कि अबतक हमारी मांगें नहीं मानी गयी हैं लेकिन हम फिलहाल आंदोलन वापस ले रहे हैं.

दक्षिण-पूर्वी रेलवे ने कहा है कि पांच अप्रैल से दो रेलवे स्टेशनों पर पटरी बाधित किए जाने की वजह से करीब पांच सौ एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन रद्द की गयी हैं, जिससे हजारों यात्रियों को बहुत परेशानी हुई. खेमाशुली में प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे आंदोलन को जारी रखने के संबंध में अपने नेतृत्व के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड से देश में विभिन्न स्थानों पर जाने वाली कई सुपरफास्ट और एक्सप्रेस ट्रेन पिछले पांच दिनों में रद्द कर दी गयीं.

जिन ट्रेनों को रद्द किया गया है, उनमें नयी दिल्ली-भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस, हावड़ा-पुणे-हावड़ा दुरूंतो एक्सप्रेस, हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस, हावड़ा-मुंबई-हावड़ा मेल और अलप्पुझा-धनबाद एक्सप्रेस शामिल हैं. कुर्मी समुदाय के लोग अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने, सरना धर्म को मान्यता देने, कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने समेत कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.

पढ़ें: Bengal News: बंगाल के सरकारी अस्पताल ने जीवित नवजात का जारी कर दिया मृत्यु प्रमाण पत्र

कुर्मी समुदाय मूलत: झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के छोटानागपुर पठार में केंद्रित हैं, उनके संगठनों ने अपनी ऐसी ही मांगों को लेकर सितंबर 2022 में भी इन दो स्टेशनों पर रेलमार्ग पांच दिनों तक बाधित किया था.

(पीटीआई-भाषा)

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