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TMC MP ON KLO : राज्य से जुड़े सभी मुद्दों पर पश्चिम बंगाल सरकार से सलाह ली जानी चाहिए -सुखेंदु

टीएमसी के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा है कि उग्रवादी कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (KLO) से गृह मंत्रालय को बात करते समय पश्चिम बंगाल को भी शामिल किया जाना चाहिए. क्योंकि केएलओ उत्तरी बंगाल, असम और बिहार के क्षेत्रों को मिलाकर एक अलग कामतापुर राज्य की मांग कर रहा है.

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Published : Jan 21, 2023, 8:42 PM IST

mp sukhendu sekhar roy
सांसद सुखेंदु शेखर रॉय

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) उग्रवादी संगठन कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (KLO) के साथ संभावित शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए जमीन तैयार कर रहा है. इसको लेकर केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल सरकार से चर्चा करनी चाहिए. उक्त बातें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि गृह मंत्रालय या किसी अन्य मंत्रालय के स्तर पर जब भी पश्चिम बंगाल से संबंधित किसी भी मुद्दे पर बातचीत की जाती है तो राज्य सरकार से भी परामर्श किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सहकारी संघवाद की भावना है.

सांसद रॉय ने केंद्र सरकार और केएलओ के बीच चल रही शांति पहल का जिक्र करते हुए कहा कि विद्रोही संगठन के नेताओं ने हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा पर असम राइफल्स के समक्ष आत्मसमर्पण किया है. बता दें कि असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के लगातार अनुरोध के बाद केएलओ नेता जीबन सिंघा कोच और कुछ अन्य नेताओं के जंगल से निकलकर मुख्यधारा में शामिल होने के बाद बातचीत की प्रक्रिया शुरू की है.

बता दें कि उत्तर बंगाल में 1995 में गठित कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (केएलओ) उत्तरी बंगाल, असम और बिहार के क्षेत्रों को मिलाकर एक अलग कामतापुर राज्य की मांग कर रहा है. हालांकि जब पिछले साल केएलओ के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू की गई थी, तब टीएमसी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकार केएलओ के साथ बातचीत करने के मूड में नहीं है. इसके अलावा राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि आगे बंगाल का विभाजन मंजूर नहीं है. हालांकि केएलओ प्रमुख जीबन सिंघा के खिलाफ बंगाल में यूएपीए के तहत कई गंभीर मामले दर्ज हैं.

इस संबंध में गृह मंत्रालय के पूर्व अधिकारी ने कहा कि केएलओ की प्रमुख मांग उत्तर बंगाल के अलावा बंगाल, असम और बिहार के एक प्रमुख क्षेत्र को शामिल करना है लेकिन यदि राज्य सरकार वार्ता की प्रक्रिया में शामिल नहीं होती है तो कोई स्थानीय समाधान नहीं हो सकता है. उन्होंने मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि अगर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के मुद्दे पर भी बात होती है तो संबंधित राज्य सरकारों को बातचीत की प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए. इससे पहले असम के सीएम सरमा ने वार्ता के लिए केएलओ नेतृत्व के आगे आने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि वे केएलओ के साथ बात करेंगे.

सरमा ने कहा, यह बड़ी खबर है कि वे बातचीत के लिए आए हैं. उन्हें प्रक्रिया शुरू करने दीजिए. इस बीच, खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी केएलओ विद्रोहियों को खुफिया ब्यूरो (आईबी) की निगरानी में सुरक्षित स्थान पर रखा गया है.

ये भी पढ़ें - Home secretary Meet Assam CM: गृह सचिव, आईबी प्रमुख ने दिल्ली में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा से की मुलाकात

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) उग्रवादी संगठन कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (KLO) के साथ संभावित शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए जमीन तैयार कर रहा है. इसको लेकर केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल सरकार से चर्चा करनी चाहिए. उक्त बातें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहीं. उन्होंने कहा कि हमें लगता है कि गृह मंत्रालय या किसी अन्य मंत्रालय के स्तर पर जब भी पश्चिम बंगाल से संबंधित किसी भी मुद्दे पर बातचीत की जाती है तो राज्य सरकार से भी परामर्श किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सहकारी संघवाद की भावना है.

सांसद रॉय ने केंद्र सरकार और केएलओ के बीच चल रही शांति पहल का जिक्र करते हुए कहा कि विद्रोही संगठन के नेताओं ने हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा पर असम राइफल्स के समक्ष आत्मसमर्पण किया है. बता दें कि असम मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के लगातार अनुरोध के बाद केएलओ नेता जीबन सिंघा कोच और कुछ अन्य नेताओं के जंगल से निकलकर मुख्यधारा में शामिल होने के बाद बातचीत की प्रक्रिया शुरू की है.

बता दें कि उत्तर बंगाल में 1995 में गठित कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (केएलओ) उत्तरी बंगाल, असम और बिहार के क्षेत्रों को मिलाकर एक अलग कामतापुर राज्य की मांग कर रहा है. हालांकि जब पिछले साल केएलओ के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू की गई थी, तब टीएमसी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि राज्य सरकार केएलओ के साथ बातचीत करने के मूड में नहीं है. इसके अलावा राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि आगे बंगाल का विभाजन मंजूर नहीं है. हालांकि केएलओ प्रमुख जीबन सिंघा के खिलाफ बंगाल में यूएपीए के तहत कई गंभीर मामले दर्ज हैं.

इस संबंध में गृह मंत्रालय के पूर्व अधिकारी ने कहा कि केएलओ की प्रमुख मांग उत्तर बंगाल के अलावा बंगाल, असम और बिहार के एक प्रमुख क्षेत्र को शामिल करना है लेकिन यदि राज्य सरकार वार्ता की प्रक्रिया में शामिल नहीं होती है तो कोई स्थानीय समाधान नहीं हो सकता है. उन्होंने मामले को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि अगर केंद्र शासित प्रदेश बनाने के मुद्दे पर भी बात होती है तो संबंधित राज्य सरकारों को बातचीत की प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए. इससे पहले असम के सीएम सरमा ने वार्ता के लिए केएलओ नेतृत्व के आगे आने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा था कि वे केएलओ के साथ बात करेंगे.

सरमा ने कहा, यह बड़ी खबर है कि वे बातचीत के लिए आए हैं. उन्हें प्रक्रिया शुरू करने दीजिए. इस बीच, खुफिया एजेंसियों के सूत्रों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले सभी केएलओ विद्रोहियों को खुफिया ब्यूरो (आईबी) की निगरानी में सुरक्षित स्थान पर रखा गया है.

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