नई दिल्ली : भाजपा के पूर्व मंत्री एमजे अकबर (MJ Akbar) ने कहा, 'हमें मुसलमानों के पापों के लिए कुरान को कभी दोष नहीं देना चाहिए.' उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि औरंगजेब ने अपने क्रूर शासन के दौरान ऐसी नीतियां थोपीं जो भारतीय नैतिकता, सभ्यता और धर्मनिरपेक्षता के बिल्कुल विपरीत थीं. एमजे अकबर ने मी-टू (MeToo) कांड में फंसने के बाद 2018 में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था.
नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में 'औरंगजेब: द एम्परर ऑफ काउंटर रिफॉर्मेशन' पर एक सार्वजनिक व्याख्यान के दौरान बोलते हुए अकबर ने विदेशी संस्कृतियों और धर्मों को स्वीकार करने के लिए भारतीय संस्कृति और इसकी समग्र प्रकृति की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा कि 'औरंगज़ेब ने एक उत्कृष्ट सैन्य रणनीतिकार और एक असाधारण राजनीतिज्ञ होने के बावजूद कठोर और क्रूर रणनीति लागू की और एक तरह से सम्राट अकबर द्वारा शुरू की गई चीजों को पूर्ववत करना शुरू कर दिया.' औरंगज़ेब के गलत कामों को गिनाते हुए उन्होंने कहा, 'उसने मंदिरों को नष्ट कर दिया, जजिया लगाया (सख्त इस्लामी कानून द्वारा शासित एक राज्य में गैर-मुस्लिमों पर कर लगाया जाता है), संगीत, चित्रों पर प्रतिबंध लगा दिया लेकिन इसके बावजूद वह हासिल करने में विफल रहा जो चाहता था.
उन्होंने कहा कि पेंटिंग्स, संगीत भारतीय संस्कृति के विरासत रूप थे और हैं जो हमारे जीवन के तरीके और स्वरूप का प्रतिनिधित्व करते हैं. औरंगजेब ने यह कहते हुए इन पर प्रतिबंध लगा दिया कि ये इस्लामिक कानून के लिए बाधा थे. अकबर ने कहा कि 'हमारी भारतीय सभ्यता हमेशा समृद्ध रही है और यदि आप इसकी एक झलक देखना चाहते हैं, तो चंडी चौक और पुरानी दिल्ली की यात्रा करनी चाहिए.'
अकबर ने कहा, सुबह 'अजान' की आवाज के साथ हनुमान मंदिर में घंटी बजती है और फिर गुरुद्वारे में कीर्तन होता है और इससे पता चलता है कि भारत कितना समृद्ध है. अकबर ने कहा कि विभिन्न इस्लामी सम्राटों के शासनकाल में धर्म हालांकि जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, लेकिन यह कभी भी सार्वजनिक क्षेत्र पर हावी नहीं हुआ, जबकि ब्रिटिश, जो हमारे बारे में कुछ नहीं जानते उन्होंने ऐसी नीतियां लागू कीं जिन्होंने इस्लाम के प्रभुत्व को बढ़ावा दिया. सार्वजनिक क्षेत्र में धर्म और जिसका प्रभाव अभी भी देश और दुनिया भर में महसूस किया जा सकता है.
उन्होंने यह भी कहा कि प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश और उनके सहयोगियों का मुलिम राष्ट्रों पर नियंत्रण था. तो ऐसा क्यों है कि उन्होंने भारतीय मुसलमानों के दिलो-दिमाग में नफरत और चिंता के बीज बोए. ब्रिटिश और उनके सहयोगियों ने भारतीय मुसलमानों में भय और चिंता का माहौल बनाया कि वे खतरे में हैं. उन्होंने अलगाववाद के बीज बोए. उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक सिंड्रोम ब्रिटिश और उसके सहयोगियों द्वारा किया गया था.
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