नई दिल्ली : एअर इंडिया फ्लाइट नंबर आईसी 814 को 1999 में तालिबान ने हाईजैक कर लिया था. विमान के पायलट कैप्टन देवी शरण ने सोमवार को उस भयावह घटना को याद करते हुए कहा कि '1999 के अपहरण के बाद हवाई अड्डे के संदर्भ में बड़े बदलाव हुए हैं. पिछले 24 वर्षों में हवाई क्षेत्र बेहद 'सुरक्षित' हो गया है.
उन्होंने यह भी कहा कि 'पहले स्थानीय/राज्य पुलिस हवाईअड्डे की सुरक्षा करती थी जो सुसंगत नहीं थी और इसीलिए सीआईएसएफ की शुरुआत की गई. अगर एएसएफ (हवाईअड्डा सुरक्षा बल) उस समय वहां होती, तो इस अपहरण को रोका जा सकता था.'
कैप्टन देवी शरण (Captain Devi Sharan) ने कहा, हालांकि इस तरह के बल (एएसएफ) के संबंध में प्रस्ताव 1999 की घटना के बाद लाए गए थे, लेकिन यह कभी अमल में नहीं आया. नई दिल्ली में ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए पूर्व पायलट कैप्टन देवी शरण ने कहा कि 'आज दुनिया के कई देशों में हवाई अड्डों की सुरक्षा के लिए एक विशेष सुरक्षा बल एएसएफ है. उस समय, अमृतसर हवाई अड्डे की सुरक्षा बनाए रखने की ज़िम्मेदारी पंजाब पुलिस की थी. यदि हमारे पास उस समय एएसएफ होता तो कंधार की घटना को रोका जा सकता था.'
आतंकियाें से विमान सकुशल छुड़ाए जाने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल ने कैप्टन देवी शरण को सम्मानित किया था.
गौरतलब है कि विमानन सुरक्षा नियामक बीसीएएस देश में पहली बार 31 जुलाई से 5 अगस्त तक विमानन सुरक्षा संस्कृति सप्ताह का आयोजन कर रहा है. भारतीय विमानन के सभी हितधारकों ने इसके लिए 'इसे देखें, इसे कहें, इसे सुरक्षित करें' थीम दी है.
बीसीएएस के डीजी जुल्फिकार हसन ने बताया कि सभी विमानन हितधारक जैसे भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण, एयरलाइंस, सीआईएसएफ और यात्री इस सुरक्षा संस्कृति सप्ताह में भाग लेंगे.
अपने संबोधन में डीजी बीसीएएस ने हवाईअड्डे की सुरक्षा पर मीडियाकर्मियों के कई सवालों का जवाब देते हुए कहा कि इस समय में एआई और अन्य प्रौद्योगिकी के आने के साथ 'हवाईअड्डे और विमानन सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती ड्रोन और साइबर हमले हैं.'
फ्लाइट में यात्रियों के उपद्रव की ताजा घटनाओं पर उन्होंने कहा, 'विमान के अंदर हंगामा करने वाले यात्रियों के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए, ताकि पूरे इकोसिस्टम को अन्य सभी यात्रियों के लिए सुरक्षित रखा जा सके.'
फुल बॉडी स्कैनर लगाए जाने की योजना पर ये बोले डीजी : हवाईअड्डों पर आगामी वर्षों में फुल बॉडी स्कैनर लगाए जाने की योजना है. इस पर उन्होंने कहा कि 'इन बॉडी स्कैनर्स को इंस्टॉल करने की प्रक्रिया पर काम चल रहा है. दुनिया भर में 2-3 विक्रेता हैं, इसलिए खरीद के संदर्भ में कुछ मुद्दे हैं लेकिन हम समय सीमा को पूरा करेंगे.'
महानिदेशक ने कहा, कुछ प्रमुख हवाई अड्डे हैं जहां पहले से ही ये बॉडी स्कैनर मशीनें स्थापित की गई हैं जैसे कि दिल्ली हवाई अड्डा, मुंबई और बेंगलुरु हवाई अड्डा.
हवाई अड्डे पर जब्त की गई वस्तुओं के बारे में बात करते हुए, डीजी हसन ने अपनी टिप्पणी में कहा कि 'भारत में प्रतिदिन हवाई यात्रियों से लगभग 25,000 प्रतिबंधित वस्तुएं जब्त की जाती हैं. यह यात्रियों में जागरूकता की कमी के कारण होता है और इसके परिणामस्वरूप हवाई अड्डे की सुरक्षा जांच के दौरान बहुत देरी होती है.'
इन 25,000 जब्त वस्तुओं में से हैंडबैग में सबसे बड़ी जब्ती लाइटर की है. डीजी ने कहा कि 'रोजाना 4.8 लाख हवाई यात्रियों के बीच हाथ के सामान में पाई जाने वाली प्रतिबंधित वस्तुओं में लाइटर की हिस्सेदारी सबसे बड़ी है. प्रतिबंधित वस्तुओं में जहां लाइटर की हिस्सेदारी 26 फीसदी है, वहीं कैंची और चाकू की हिस्सेदारी क्रमश: 22 फीसदी और 16 फीसदी है.'
प्रति दिन लगभग 3,300 उड़ानों के बैग स्क्रीनिंग में से, चेक-इन सामान के भीतर पाए जाने वाले निषिद्ध वस्तुओं में से लगभग आधे पावर बैंक के कारण होते हैं. डीजी ने कहा कि लाइटर की संख्या 19 प्रतिशत है जबकि लूज बैटरियों की संख्या 17 प्रतिशत है.