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कृषि कानूनों को लागू न करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई टली

उच्चतम न्यायालय ने सीएए और कृषि कानूनों जैसे केंद्रीय संकल्पों को राज्य सरकारों द्वारा न अपनाने खिलाफ राज्य विधानसभाओं के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई को चार हफतों के लिए टाल दिया है.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Mar 19, 2021, 6:09 PM IST

Updated : Mar 19, 2021, 6:37 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने संविधान की 7वीं शेड्यूल में आने वाली यूनियन लिस्ट के तहत सीएए और कृषि कानूनों जैसे केंद्रीय संकल्पों को राज्य सरकारों द्वारा न अपनाने के खिलाफ राज्य विधानसभाओं के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की.

सुनवाई के दौरान CJI एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि हम समाधान के बडाय और अधिक समस्याएं पैदा नहीं करना चाहते हैं.

याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा था कि राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल की विधानसभाओं ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है.

CJI ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन्होंने लोगों को कानून की अवहेलना करने के लिए नहीं कहा है, उन्होंने केवल संसद से कानून को निरस्त करने का अनुरोध किया है, यह केरल विधानसभा द्वारा व्यक्त की गई एक राय है, इस पर कोई बल नहीं हैं.

पढ़ें - पश्चिम बंगाल : भाजपा में 'बागियों' को तरजीह, सांसदों-सितारों पर भी लगे दांव

उन्होंने आगे कहा कि अदालत याचिकाकर्ता के साथ हो सकती है, राज्य विधानसभाओं ने अपने लोगों की कानून को नहीं मानने को कहा, लेकिन उन्होंने सिर्फ एक राय व्यक्त की है.

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले को चार सप्ताह बाद फिर से सुना जाएगा.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने संविधान की 7वीं शेड्यूल में आने वाली यूनियन लिस्ट के तहत सीएए और कृषि कानूनों जैसे केंद्रीय संकल्पों को राज्य सरकारों द्वारा न अपनाने के खिलाफ राज्य विधानसभाओं के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की.

सुनवाई के दौरान CJI एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने कहा कि हम समाधान के बडाय और अधिक समस्याएं पैदा नहीं करना चाहते हैं.

याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा था कि राजस्थान, पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल की विधानसभाओं ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है.

CJI ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन्होंने लोगों को कानून की अवहेलना करने के लिए नहीं कहा है, उन्होंने केवल संसद से कानून को निरस्त करने का अनुरोध किया है, यह केरल विधानसभा द्वारा व्यक्त की गई एक राय है, इस पर कोई बल नहीं हैं.

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उन्होंने आगे कहा कि अदालत याचिकाकर्ता के साथ हो सकती है, राज्य विधानसभाओं ने अपने लोगों की कानून को नहीं मानने को कहा, लेकिन उन्होंने सिर्फ एक राय व्यक्त की है.

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि इस मामले को चार सप्ताह बाद फिर से सुना जाएगा.

Last Updated : Mar 19, 2021, 6:37 PM IST
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