नई दिल्ली: अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कई अन्य देशों ने स्टैंड लिया है, लेकिन भारत अपनी विदेश नीति के कारण दूरी बनाए हुए है. उनका कहना है कि जिन लोगों को मदद की जरूरत है भारत उनसे अमेरिका की तरह भाग नहीं सकता.
मीडिया से बात करते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा, 'हम नहीं जानते कि अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति पर भारत सरकार का क्या रुख है. भारत सरकार दुविधा में है. लेकिन यह निर्णय लेने का समय है. हमारा अफगानिस्तान के साथ दशकों पुराना रिश्ता है. हम अमेरिका की तरह अफगानिस्तानियों को पीछे नहीं छोड़ सकते जो मदद के लिए हमारी ओर देख रहे हैं.'
कांग्रेस नेता ने पूछा हमारा स्टैंड क्या है?
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों पर साधा निशाना
उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों पर भी हमला किया, जिन्होंने अफगानिस्तान में तालिबान के काबिज होने के समर्थन में टिप्पणी की है. अधीर रंजन ने कहा, 'मैं अपने देश में उन सभी लोगों की निंदा करता हूं जो तालिबान की प्रशंसा कर रहे हैं, इससे देश के आम लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचेगी और पाकिस्तान को फायदा होगा.'
कांग्रेस सांसद ने यह टिप्पणी भारतीय युवा कांग्रेस मुख्यालय में अपनी यात्रा के दौरान की, जहां पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 77वीं जयंती के अवसर पर एक फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा था.
अधीर रंजन ने कहा, बोफोर्स घोटाले के लिए राजीव गांधी को 'चोर' कहा जा रहा था, लेकिन हाल ही में मैं कारगिल गया था, जहां सेना के जवानों ने स्वीकार किया कि अगर हमारे साथ बोफोर्स नहीं होतीं तो पाकिस्तानी सेना को रोकना और मुश्किल हो जाता.'
बंगाल मुद्दे पर भी बोले, अधीर
विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ हत्या, दुष्कर्म और अपराध की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बारे में पूछे जाने पर, चौधरी ने अप्रत्यक्ष रूप से टीएमसी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कोई है इससे नाखुश तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है.
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अधीर रंजन ने कहा, कौन जिम्मेदार है और कौन नहीं, यह जांच के बाद ही पता चलेगा. अगर कोई हाई कोर्ट के फैसले से खुश नहीं है तो वह सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है. लेकिन यह गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि कई राज्यों में चुनाव हुए थे, लेकिन चुनाव के बाद केवल पश्चिम बंगाल में ही हिंसा हुई. राज्य सरकार को इस मामले को देखना चाहिए. हम उस पर हस्तक्षेप या टिप्पणी नहीं कर सकते.'