नई दिल्ली: मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह (Okram Ibobi Singh) ने कहा कि 'हम यहां राज्य की वर्तमान स्थिति का राजनीतिकरण करने के लिए नहीं हैं. पहले मणिपुर में शांति बहाल करो, इसके बाद दोनों समुदायों के बीच संवाद शुरू हो सकता है.'
सिंह ने कहा कि 'हमें उम्मीद है कि 20 जून को विदेश दौरे पर जाने से पहले प्रधानमंत्री हमें समय देंगे.' मणिपुर की 10 विपक्षी पार्टियों के प्रतिनिधि प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए नई दिल्ली में हैं. इसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), एनसीपी, जेडीयू, 'आप', शिवसेना (यूबीटी), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), सीपीएम और सीपीआई शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि '10 जून को हमने पीएमओ को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से समय मांगा, लेकिन आज भी पीएम की तरफ से हमें समय नहीं मिला है.' मणिपुर में विभिन्न राहत शिविरों में महिलाओं और बच्चों सहित 20,000 से अधिक लोग शरण ले रखे हैं.
सिंह ने कहा कि '44 दिन से अधिक हो गए हैं, मणिपुरी अभी भी जल रहा है, लेकिन प्रधानमंत्री ने एक भी बयान नहीं दिया. अब हम सोच रहे हैं कि मणिपुर भारत में है या नहीं. प्रधानमंत्री ने ट्वीट करने की भी जहमत नहीं उठाई.'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जयराम रमेश ने मणिपुर हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए एक भी बयान जारी नहीं करने के लिए मोदी की तीखी आलोचना की. उन्होंने मोदी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भी की.
रमेश ने कहा कि 'यह 18 जून, 2001 की बात है, जब मणिपुर नगा शांति प्रक्रिया को लेकर जल रहा था. हिंसा में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई. हालांकि, अगले छह दिनों के भीतर प्रधानमंत्री ने मणिपुर से सभी भाग के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की और राज्य में सामान्य स्थिति लाई. लेकिन, आठ दिनों से अधिक का समय हो गया है, मणिपुर के 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से समय मांगा है और वे अभी भी प्रतीक्षा कर रहे हैं.'
मोदी की आलोचना करते हुए, कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि जहां विफलता होती है, वहां प्रधानमंत्री चुप रहना पसंद करते हैं. मणिपुर के 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल के राज्य की वर्तमान स्थिति से अवगत कराने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने की भी संभावना है. मणिपुर में 3 मई से कुकी और मेइती के बीच हुए जातीय संघर्ष में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए.