कोलकाता: पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव 2023 के दौरान पूरे राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती को लेकर राज्य चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहा है. हालांकि, राज्य चुनाव आयुक्त राजीबा सिन्हा ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि वो कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश का पालन करेंगे, जिसमें राज्य को 48 घंटे के भीतर केंद्रीय बलों को तैनात करने के लिए कहा गया है.
चुनाव आयुक्त का बैठक के बाद फैसला: राज्य चुनाव आयुक्त राजीबा सिन्हा ने शुक्रवार को राज्य के दो शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों के साथ करीब एक घंटे तक बैठक की. बैठक में राज्य के एडीजी कानून व्यवस्था जावेद शमीम और गृह सचिव बीपी गोपालिका मौजूद थे. राजनीतिक हलकों के अनुसार, केंद्रीय बलों पर कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी जाए या नहीं, इस पर प्रारंभिक सर्वसम्मत निर्णय लिया गया है. गौरतलब है कि सूत्रों के मुताबिक आयोग ही नहीं बल्कि राज्य सरकार भी सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी.
चुनाव आयोग कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम की पीठ द्वारा राज्य भर में पंचायत चुनावों के दौरान केंद्रीय बल तैनात करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा. इससे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट की खंडपीठ ने आदेश पर आयोग की आलोचना की थी. मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम ने आयोग को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर अदालत का फैसला पसंद नहीं आता है तो आयोग के पास ऊपरी अदालत में अपील करने का रास्ता खुला है.
हालांकि, जस्टिस शिवगणनम ने इस बात को नहीं छिपाया कि जिस तरह से आयोग हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कर रहा है, उससे वह नाराज हैं. उसके बाद राज्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि वे हाईकोर्ट के फैसले का पालन करेंगे लेकिन राजीबा सिन्हा ने शुक्रवार सुबह राज्य ने गुरुवार को दायर पुनर्विचार याचिका भी वापस ले ली. राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि मामले को वापस लिया जाना चाहिए.
उसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि राज्य सरकार और चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है. विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने खुद इस बात की आशंका जाहिर की थी, जिसके चलते वह पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर चुके हैं. हालांकि, बाद के दिनों में यह स्पष्ट हो गया कि चुनाव आयोग और राज्य सरकार केंद्रीय बलों के आदेश या तैनाती को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख कर रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार और आयोग का तर्क होगा कि चुनाव कराने के लिए आवश्यक पुलिस बल है. इसलिए अलग से केंद्रीय बल लाने की जरूरत नहीं है. उधर, सुप्रीम कोर्ट में अभी गर्मी की छुट्टी चल रही है. उस मामले में, राज्य या आयोग को तत्काल आधार पर सुनवाई के लिए अनुरोध करना पड़ेगा.