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Jammu kashmir High Court : जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट का वहीद पारा को डीडीसी सदस्य के रूप में शपथ दिलाने का निर्देश

जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट (Jammu kashmir High Court) ने पीडीपी नेता वहीद पारा (PDP leader Waheed Para) को डीडीसी सदस्य के रूप में शपथ दिलाने का पुलवामा के डीसी को निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह निर्देश पारा के द्वारा शपथ दिलाने के लिए दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया.

PDP leader Waheed Para
पीडीपी नेता वहीद पारा
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Published : Mar 5, 2023, 4:36 PM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय (Jammu kashmir High Court) ने पुलवामा के उपायुक्त को पीडीपी नेता वहीद पारा (PDP leader Waheed Para) को जिला विकास परिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के तीन साल बाद पद की शपथ दिलाने का निर्देश दिया है. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राहुल भारती की कोर्ट में पारा ने डीसी पुलवामा से शपथ दिलाने के लिए निर्देश दिए जाने के लिए याचिका दायर की थी.

इसी क्रम में कोर्ट ने आदेश दिया है कि यदि याचिकाकर्ता को पद की शपथ दिलाने में कोई कानूनी प्रतिबंध या निषेध नहीं हो तो उपयुक्त वर्तमान रिट याचिका के लंबित होने के बाद भी याचिकाकर्ता को पद की शपथ दिलाने के वैधानिक कर्तव्य को पूरा करने से पीछे नहीं हटना चाहिए. पारा ने अपनी याचिका में कहा था चुनाव उन्हें पद की शपथ लेने का अधिकार देता है, जिसके लिए पुलवामा जिला विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उपायुक्त पुलवामा को सदस्य को आवश्यक उद्देश्य के लिए आमंत्रित करना होगा.

बता दें कि वहीद ने अभी तक डीडीसी सदस्य के रूप में शपथ नहीं ली है क्योंकि 25 नवंबर, 2020 को पुलवामा -1 से डीडीसी प्रतियोगी के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के दो दिन बाद उन्हें आतंकवाद से जुड़े होने के आरोप में एनआईए द्वारा जेल में डाल दिया गया था और एनआईए द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद वह मई 2022 में जमानत पर रिहा हुए थे. हालांकि डीडीसी चुनाव दिसंबर 2020 में हुए थे और वहीद ने जेल में रहते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 529 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी. जब वह जेल में थे तब उनके परिवार और समर्थकों ने उनके डीडीसी चुनाव के लिए प्रचार किया था.

डीडीसी पुलवामा-1 में हुए 1,851 मतों में वहीद को 1,322 मत मिले थे. पारा के वकील ने शपथ के लिए एनआईए कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें जेल अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शपथ लेने की व्यवस्था करें. हालांकि, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने 22 जनवरी 2021 को आदेश पर रोक लगा दी थी और प्रशासन को अनुमति लेने और शारीरिक रूप से शपथ दिलाने का सुझाव दिया था.

ये भी पढ़ें - DGP Dilbag Singh : 'आतंकवादियों के साथ नशा और हथियार भेजने की कोशिश कर रहा पाकिस्तान'

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय (Jammu kashmir High Court) ने पुलवामा के उपायुक्त को पीडीपी नेता वहीद पारा (PDP leader Waheed Para) को जिला विकास परिषद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के तीन साल बाद पद की शपथ दिलाने का निर्देश दिया है. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राहुल भारती की कोर्ट में पारा ने डीसी पुलवामा से शपथ दिलाने के लिए निर्देश दिए जाने के लिए याचिका दायर की थी.

इसी क्रम में कोर्ट ने आदेश दिया है कि यदि याचिकाकर्ता को पद की शपथ दिलाने में कोई कानूनी प्रतिबंध या निषेध नहीं हो तो उपयुक्त वर्तमान रिट याचिका के लंबित होने के बाद भी याचिकाकर्ता को पद की शपथ दिलाने के वैधानिक कर्तव्य को पूरा करने से पीछे नहीं हटना चाहिए. पारा ने अपनी याचिका में कहा था चुनाव उन्हें पद की शपथ लेने का अधिकार देता है, जिसके लिए पुलवामा जिला विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी उपायुक्त पुलवामा को सदस्य को आवश्यक उद्देश्य के लिए आमंत्रित करना होगा.

बता दें कि वहीद ने अभी तक डीडीसी सदस्य के रूप में शपथ नहीं ली है क्योंकि 25 नवंबर, 2020 को पुलवामा -1 से डीडीसी प्रतियोगी के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के दो दिन बाद उन्हें आतंकवाद से जुड़े होने के आरोप में एनआईए द्वारा जेल में डाल दिया गया था और एनआईए द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था. इसके बाद वह मई 2022 में जमानत पर रिहा हुए थे. हालांकि डीडीसी चुनाव दिसंबर 2020 में हुए थे और वहीद ने जेल में रहते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 529 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी. जब वह जेल में थे तब उनके परिवार और समर्थकों ने उनके डीडीसी चुनाव के लिए प्रचार किया था.

डीडीसी पुलवामा-1 में हुए 1,851 मतों में वहीद को 1,322 मत मिले थे. पारा के वकील ने शपथ के लिए एनआईए कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें जेल अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शपथ लेने की व्यवस्था करें. हालांकि, जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने 22 जनवरी 2021 को आदेश पर रोक लगा दी थी और प्रशासन को अनुमति लेने और शारीरिक रूप से शपथ दिलाने का सुझाव दिया था.

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