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उत्तराखंड की भिलंगना झील मचा सकती है भारी तबाही, लगातार बढ़ रहा क्षेत्रफल, वाडिया इंस्टीट्यूट ने किया खुलासा

Research on Bhilangana lake by Wadia Institute of Himalayan Geology उत्तराखंड में सैकड़ों ग्लेशियर झील मौजूद हैं, जिन पर वाडिया इंस्टीट्यूट समय-समय पर रिसर्च करता रहा है. इसी क्रम में वाडिया इंस्टीट्यूट ने भिलंगना झील पर रिसर्च कर कई बड़े खुलासे किए हैं. आखिर भिलंगना झील के रिसर्च में क्या-क्या वैज्ञानिकों के हाथ लगा देंखे रिपोर्ट..

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 17, 2023, 1:26 PM IST

Updated : Oct 17, 2023, 5:05 PM IST

उत्तराखंड की भिलंगना झील मचा सकती है भारी तबाही

देहरादून: उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में करीब एक हजार ग्लेशियर मौजूद हैं. इन सभी ग्लेशियरों में हजारों की संख्या में ग्लेशियर लेक मौजूद हैं, जिनकी समय पर निगरानी करने की जरूरत है. साल 2013 में चौराबाड़ी ग्लेशियर लेक के टूटने से केदारघाटी में आई भीषण आपदा के बाद ग्लेशियर और ग्लेशियर लेक को लेकर सरकारें भी संजीदा हो गईं. जिसके तहत अब ग्लेशियर लेक पर सरकार अध्ययन करवा रही है. इसी क्रम में भिलंगना लेक पर की जा रही रिसर्च में बड़ा खुलासा सामने आया है. जिसके तहत भविष्य में इस लेक को खतरनाक बताया गया है.

recherch on Bhilangana lake
क्या होती है मोरेन डैम लेक

वाडिया इंस्टीट्यूट कर रहा सभी झीलों की रिसर्च: केदारघाटी में आई आपदा के बाद उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (USDMA) ने प्रदेश की दो लेक का अध्ययन करने की जिम्मेदारी वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी को सौंपी है. जिसके तहत वाडिया ने वसुधारा झील का अध्ययन कर फाइनल रिपोर्ट यूएसडीएमए को सौंप दी है.

recherch on Bhilangana lake by Wadia Institute of Himalayan Geology
वाडिया इंस्टीट्यूट ने भिलंगना झील पर किया रिसर्च

वसुधारा झील से आपदा आने की संभावना नहीं: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ. कालाचंद साईं ने बताया कि 1968 में ली गई सैटेलाइट इमेज में वसुधारा झील काफी छोटी थी, जोकि सैटेलाइट इमेज में दिखाई नहीं दे रही थी. लेकिन साल 2022-23 में ली गई सैटेलाइट इमेज में वसुधारा झील का करीब 0.8 स्क्वायर किलोमीटर एरिया बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है. हालांकि, लेक तो बड़ी हुई है, लेकिन जब आपदा की बात करते हैं, तो कुछ अन्य पैरामीटर्स पर भी ध्यान देना होता है. उन्होंने कहा कि मोरेन डैम लेक होने के बावजूद यह लेक 1 से 2 डिग्री स्लोप पर है. ऐसे में ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (Glacier lake outburst flood) के लिहाज से इस लेक (Lake) की स्थित ऐसी नहीं है. लिहाजा, अभी अध्ययन के दौरान वसुधारा झील द्वारा आपदा आने की आशंका नहीं है.
भिलंगना झील मचा सकती है भारी तबाही: वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक ने भिलंगना लेक पर चल रहे अध्ययन पर कहा कि अभी तक हुए अध्ययन के अनुसार भिलंगना लेक से जुड़ा ग्लेशियर पिघल रहा है और भिलंगना लेक बड़ी हो रही है. साथ ही पिछले 45 सालों में भिलंगना लेक का क्षेत्रफल 0.4 स्क्वायर किलोमीटर बड़ा हुआ है. हालांकि, यह लेक भी मोरेन डैम लेक है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर मोरेन डैम लेक खतरा पैदा करती है. जिसके चलते इस लेक के अन्य पहलुओं का भी अध्ययन किया गया. जिससे पता चला कि भिलंगना लेक करीब 30 डिग्री स्लोप पर मौजूद है. ऐसे में अगर लेक में ज्यादा पानी आता है, तो लेक के चारों तरफ मोरेन से बनी दीवार पानी के तेज बहाव को झेल नहीं सकती है, इसलिए लेक को लगातार मॉनिटर करने की जरूरत होती है.

ये भी पढ़ें: टिहरी झील के किनारे 234 किमी रिंग रोड निर्माण का होगा सर्वे, पर्यटन गतिविधियों को लगेंगे पंख

भिलंगना झील के शोध में जुटी टीम: निदेशक ने बताया कि अभी वाडिया की टीम, मौके पर ही मौजूद है और अध्ययन कर रही है. मुख्य रूप से अभी इस बात का पता लगाया जा रहा है कि लेक की दीवार सिर्फ मोरेन से बनी हुई है या फिर किसी अन्य चीज से भी बनी हुई है, क्योंकि अगर इस लेक की दीवार सिर्फ मोरेन से बनी होगी, तो उसके टूटने की आशंका ज्यादा है.

ये भी पढ़ें: Janaktal Trekking: जनकताल को ट्रेकिंग के लिए खोलने की तैयारी शुरू, उत्तरकाशी के गंगोत्री में है नीले पानी की शांत झील

उत्तराखंड की भिलंगना झील मचा सकती है भारी तबाही

देहरादून: उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में करीब एक हजार ग्लेशियर मौजूद हैं. इन सभी ग्लेशियरों में हजारों की संख्या में ग्लेशियर लेक मौजूद हैं, जिनकी समय पर निगरानी करने की जरूरत है. साल 2013 में चौराबाड़ी ग्लेशियर लेक के टूटने से केदारघाटी में आई भीषण आपदा के बाद ग्लेशियर और ग्लेशियर लेक को लेकर सरकारें भी संजीदा हो गईं. जिसके तहत अब ग्लेशियर लेक पर सरकार अध्ययन करवा रही है. इसी क्रम में भिलंगना लेक पर की जा रही रिसर्च में बड़ा खुलासा सामने आया है. जिसके तहत भविष्य में इस लेक को खतरनाक बताया गया है.

recherch on Bhilangana lake
क्या होती है मोरेन डैम लेक

वाडिया इंस्टीट्यूट कर रहा सभी झीलों की रिसर्च: केदारघाटी में आई आपदा के बाद उत्तराखंड स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (USDMA) ने प्रदेश की दो लेक का अध्ययन करने की जिम्मेदारी वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी को सौंपी है. जिसके तहत वाडिया ने वसुधारा झील का अध्ययन कर फाइनल रिपोर्ट यूएसडीएमए को सौंप दी है.

recherch on Bhilangana lake by Wadia Institute of Himalayan Geology
वाडिया इंस्टीट्यूट ने भिलंगना झील पर किया रिसर्च

वसुधारा झील से आपदा आने की संभावना नहीं: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ. कालाचंद साईं ने बताया कि 1968 में ली गई सैटेलाइट इमेज में वसुधारा झील काफी छोटी थी, जोकि सैटेलाइट इमेज में दिखाई नहीं दे रही थी. लेकिन साल 2022-23 में ली गई सैटेलाइट इमेज में वसुधारा झील का करीब 0.8 स्क्वायर किलोमीटर एरिया बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है. हालांकि, लेक तो बड़ी हुई है, लेकिन जब आपदा की बात करते हैं, तो कुछ अन्य पैरामीटर्स पर भी ध्यान देना होता है. उन्होंने कहा कि मोरेन डैम लेक होने के बावजूद यह लेक 1 से 2 डिग्री स्लोप पर है. ऐसे में ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड (Glacier lake outburst flood) के लिहाज से इस लेक (Lake) की स्थित ऐसी नहीं है. लिहाजा, अभी अध्ययन के दौरान वसुधारा झील द्वारा आपदा आने की आशंका नहीं है.
भिलंगना झील मचा सकती है भारी तबाही: वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक ने भिलंगना लेक पर चल रहे अध्ययन पर कहा कि अभी तक हुए अध्ययन के अनुसार भिलंगना लेक से जुड़ा ग्लेशियर पिघल रहा है और भिलंगना लेक बड़ी हो रही है. साथ ही पिछले 45 सालों में भिलंगना लेक का क्षेत्रफल 0.4 स्क्वायर किलोमीटर बड़ा हुआ है. हालांकि, यह लेक भी मोरेन डैम लेक है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर मोरेन डैम लेक खतरा पैदा करती है. जिसके चलते इस लेक के अन्य पहलुओं का भी अध्ययन किया गया. जिससे पता चला कि भिलंगना लेक करीब 30 डिग्री स्लोप पर मौजूद है. ऐसे में अगर लेक में ज्यादा पानी आता है, तो लेक के चारों तरफ मोरेन से बनी दीवार पानी के तेज बहाव को झेल नहीं सकती है, इसलिए लेक को लगातार मॉनिटर करने की जरूरत होती है.

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भिलंगना झील के शोध में जुटी टीम: निदेशक ने बताया कि अभी वाडिया की टीम, मौके पर ही मौजूद है और अध्ययन कर रही है. मुख्य रूप से अभी इस बात का पता लगाया जा रहा है कि लेक की दीवार सिर्फ मोरेन से बनी हुई है या फिर किसी अन्य चीज से भी बनी हुई है, क्योंकि अगर इस लेक की दीवार सिर्फ मोरेन से बनी होगी, तो उसके टूटने की आशंका ज्यादा है.

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Last Updated : Oct 17, 2023, 5:05 PM IST
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