हैदराबाद : कडपा से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के सांसद वाई.एस. अविनाश रेड्डी शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में पूछताछ के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के सामने पेश हुए. रिपोर्ट के अनुसार, कथित तौर पर उनके वकील की मौजूदगी में अविनाश रेड्डी से पूछताछ की गई. यह दूसरी बार है जब कडपा से लोकसभा सदस्य से केंद्रीय एजेंसी मामले में पूछताछ कर रही है. विवेकानंद रेड्डी की साल 2019 में कडपा जिले में उनके घर पर हत्या कर दी गई थी. वह जगनमोहन रेड्डी और अविनाश रेड्डी के अंकल थे.
सीबीआई अधिकारियों ने 28 जनवरी को अविनाश रेड्डी से साढ़े चार घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की थी. अविनाश रेड्डी के पिता वाई.एस. भास्कर रेड्डी को भी सीबीआई ने गुरुवार को तलब किया था, लेकिन उन्होंने एजेंसी से और समय मांगा है. एक आरोपी सुनील यादव की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दो दिन पहले तेलंगाना हाईकोर्ट में सीबीआई द्वारा दायर एक हलफनामे के मद्देनजर सांसद से पूछताछ महत्वपूर्ण हो गई थी. जांच एजेंसी ने कहा कि अविनाश रेड्डी, उनके पिता वाई.एस. भास्कर रेड्डी और उनके अनुयायी डी. शिव शंकर रेड्डी ने विरोधाभासी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओंको लेकर विवेकानंद रेड्डी को मारने की आपराधिक साजिश रची थी.
सीबीआई ने अदालत को बताया कि तीनों ने हत्या की साजिश को अंजाम देने के लिए विवेकानंद रेड्डी के लिए काम करने वाले अन्य आरोपियों येरा गंगी रेड्डी, सुनील यादव, दस्तागिरी और अन्य का इस्तेमाल किया. अविनाश रेड्डी और भास्कर रेड्डी को विवेकानंद रेड्डी से शिकायत थी क्योंकि बाद में वाईएसआरसीपी ने अविनाश को कडपा लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार के रूप में खड़ा करने का विरोध किया था. पूर्व मंत्री चाहते थे कि जगन मोहन रेड्डी उनकी बहन वाई.एस. शर्मिला या मां वाई.एस. विजयम्मा को मैदान में उतारें.
सीबीआई ने दावा किया कि हत्या को अंजाम देने के लिए अन्य आरोपियों को 40 करोड़ रुपये की पेशकश की गई थी. जांच एजेंसी ने अपने काउंटर में यह भी कहा कि विवेकानंद रेड्डी अपने भाई भास्कर रेड्डी और भतीजे अविनाश रेड्डी से खुश नहीं थे क्योंकि उन्होंने कडप्पा में 2017 में एमएलसी चुनाव में उनकी संभावनाओं को तोड़ दिया था. अविनाश और उनके पिता शिव शंकर को एमएलसी उम्मीदवार बनाना चाहते थे, लेकिन जब जगन मोहन रेड्डी ने विवेकानंद को मैदान में उतारा तो तीनों ने सुनिश्चित किया कि उनकी हार हो.
2019 के आम चुनाव से एक महीने पहले 15 मार्च 2019 को कडपा जिले के पुलिवेंदुला स्थित उनके आवास पर रहस्यमय तरीके से उनकी हत्या कर दी गई थी. कडप्पा में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत करने से कुछ घंटे पहले उनकी हत्या कर दी गई थी. हालांकि तीन विशेष जांच दल (एसआईटी) ने जांच की, लेकिन वे रहस्य को सुलझाने में नाकाम रहे. सीबीआई ने विवेकानंद रेड्डी की बेटी सुनीता रेड्डी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर 2020 में मामले की जांच अपने हाथ में ली, जिसने कुछ रिश्तेदारों पर संदेह जताया गया था.
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सीबीआई ने 26 अक्टूबर 2021 को हत्या के मामले में आरोप पत्र दायर किया और 31 जनवरी 2022 को एक पूरक (सप्लीमेंट्री) आरोप पत्र दायर किया. पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के पीछे की बड़ी साजिश के मुकदमे और जांच को हैदराबाद में सीबीआई अदालत में स्थानांतरित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि सुनीता रेड्डी द्वारा आंध्र प्रदेश में निष्पक्ष सुनवाई और जांच के बारे में उठाए गए संदेह उचित थे.
(आईएएनएस)