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Visva Bharati to Amartya Sen : विश्वभारती ने अमर्त्य सेन से कहा- अनधिकृत भूमि खाली करें - कुलाधिपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

विश्वभारती ने नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने परिसर में 13 डेसिमल भूमि पर अनधिकृत कब्जे का आरोप लगाया और उन्हें जल्द से जल्द भूमि 'सौंपने' के लिए कहा. हालांकि यह मुद्दा 2020 से चल रहा है, पत्र 24 जनवरी, 2023 का है. विश्वभारती एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है जिसके कुलाधिपति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. विवि के कुलपति पर लगातार आरोप लगे हैं कि वह रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित संस्था का भगवाकरण करने की कोशिश कर रहे हैं.

Visva Bharati to Amartya Sen
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Jan 25, 2023, 7:52 AM IST

कोलकाता: केंद्रीय विश्वविद्यालय विश्व भारती ने मंगलवार को नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन से पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में एक भूखंड को सौंपने का आग्रह किया और दावा किया कि उन्होंने अनधिकृत तरीके से उस हिस्से पर कब्जा किया हैं. केंद्रीय विश्वविद्यालय के उप पंजीयक द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र में कहा गया है कि प्रसिद्ध अर्थशास्त्री का निवास एक ऐसे क्षेत्र में बनाया गया है, जिसमें अतिरिक्त 13 डिसमिल भूमि शामिल है. विश्वविद्यालय ने यह भी कहा कि वह अपने प्रतिनिधियों और सर्वेक्षणकर्ता या सेन द्वारा प्रतिनियुक्त सर्वेक्षणकर्ता या अधिवक्ता की निगरानी में संयुक्त सर्वेक्षण करने के लिए तैयार है ताकि दावों को सत्यापित किया जा सके.

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पत्र में कहा गया है कि रिकॉर्ड और भौतिक सर्वेक्षण/सीमांकन से यह पता चला है कि विश्व भारती से संबंधित 13 डिसमिल भूमि पर आपका अनधिकृत कब्जा है. इसमें कहा गया है कि आपसे अनुरोध है कि उक्त 13 डिसमिल जमीन जल्द से जल्द विश्वविद्यालय को सौंप दी जाए. विश्वविद्यालय की प्रवक्ता महुआ बनर्जी ने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता के पिता आशुतोष सेन ने 1943 में विश्वविद्यालय से 125 डिसमिल जमीन पट्टे पर ली थी.

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इत्तेफाक से ईटीवी भारत को दिए एक इंटरव्यू में भारत रत्न अमर्त्य सेन ने विश्व भारती के वर्तमान कुलपति की भूमिका को लेकर खेद जताया था. उसके बाद विश्व भारती प्रशासन ने फिर से जमीन वापस करने की मांग की. एक पत्र में, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अमर्त्य सेन को भूमि सर्वेक्षण की पेशकश भी की. अमर्त्य सेन के दादा पंडित खितिमोहन सेन विश्व भारती की स्थापना में कवि रवींद्रनाथ टैगोर के साथियों में से एक थे. उस समय स्वयं कविगुरु ने उन्हें शांतिनिकेतन में रहने के लिए जगह दी.

पढ़ें: Bonded Labor : नाबालिगों को बंधुआ बनाकर कराया जा रहा था रेलवे का काम, वेतन की जगह मिलती थी धमकी

क्षितिमोहन सेन शांतिनिकेतन के इसी 'प्रातीची' घर में रहते थे. बाद में उनके पुत्र आशुतोष सेन रहने लगे. और अब नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन वर्तमान में रहते हैं. कहा जाता है कि इसी घर में नोबेल पुरस्कार विजेता का नाम 'अमर्त्य' स्वयं कविगुरू रवींद्रनाथ टैगोर ने ही रखा था. विश्व भारती के वर्तमान कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने एक बार 'भारतरत्न' अमर्त्य सेन पर विश्वविद्यालय की जमीन हड़पने का आरोप लगाया था. जिसकी पूरे देश में निंदा हुई थी. प्रमुख शिक्षाविदों से लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसपर दुख व्यक्त किया था.

पढ़ें: Building Collapsed in Lucknow : पतले पिलर पर टिका था अलाया अपार्टमेंट, चार मंजिल तक बनाए गए थे फ्लैट

अमर्त्य सेन ने अपने वकील के जरिए विश्व भारती के अधिकारियों को जमीन हड़पने के आरोप को साबित करने के लिए पत्र भी लिखा था. इस बहस के बीच विश्व भारती के कुलपति को अक्सर अमर्त्य सेन के बारे में तरह-तरह की टिप्पणियां करते सुना गया. सोमवार को शांति निकेतन स्थित अपने घर पर ईटीवी भारत को दिए एक इंटरव्यू में अमर्त्य सेन ने विश्व भारती में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर उत्साह व्यक्त किया. इसके अलावा, कुलपति और विश्व भारती की तुच्छ कारणों से छात्रों के निलंबन के संबंध में अधिकारियों के व्यवहार की आलोचना की थी. इस आलोचना के एक दिन बाद ही विश्व भारती ने उन्हें फिर से नोटिस भेजा है.

पढ़ें: Maharashtra Cabinet Expansion Soon : शिंदे, फडणवीस ने अमित शाह से की मुलाकात, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा मंत्रिमंडल विस्तार जल्द

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पत्र में कहा गया है कि रिकॉर्ड और भौतिक सर्वेक्षण/सीमांकन से यह पता चला है कि विश्व भारती से संबंधित 13 डिसमिल भूमि पर आपका अनधिकृत कब्जा है. इसमें कहा गया है कि आपसे अनुरोध है कि उक्त 13 डिसमिल जमीन जल्द से जल्द विश्वविद्यालय को सौंप दी जाए. विश्वविद्यालय की प्रवक्ता महुआ बनर्जी ने कहा कि नोबेल पुरस्कार विजेता के पिता आशुतोष सेन ने 1943 में विश्वविद्यालय से 125 डिसमिल जमीन पट्टे पर ली थी.

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इत्तेफाक से ईटीवी भारत को दिए एक इंटरव्यू में भारत रत्न अमर्त्य सेन ने विश्व भारती के वर्तमान कुलपति की भूमिका को लेकर खेद जताया था. उसके बाद विश्व भारती प्रशासन ने फिर से जमीन वापस करने की मांग की. एक पत्र में, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने अमर्त्य सेन को भूमि सर्वेक्षण की पेशकश भी की. अमर्त्य सेन के दादा पंडित खितिमोहन सेन विश्व भारती की स्थापना में कवि रवींद्रनाथ टैगोर के साथियों में से एक थे. उस समय स्वयं कविगुरु ने उन्हें शांतिनिकेतन में रहने के लिए जगह दी.

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क्षितिमोहन सेन शांतिनिकेतन के इसी 'प्रातीची' घर में रहते थे. बाद में उनके पुत्र आशुतोष सेन रहने लगे. और अब नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन वर्तमान में रहते हैं. कहा जाता है कि इसी घर में नोबेल पुरस्कार विजेता का नाम 'अमर्त्य' स्वयं कविगुरू रवींद्रनाथ टैगोर ने ही रखा था. विश्व भारती के वर्तमान कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने एक बार 'भारतरत्न' अमर्त्य सेन पर विश्वविद्यालय की जमीन हड़पने का आरोप लगाया था. जिसकी पूरे देश में निंदा हुई थी. प्रमुख शिक्षाविदों से लेकर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसपर दुख व्यक्त किया था.

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