कोलकाता : विश्व-भारती विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक प्रोफेसर पर डिजिटल बैठक के दौरान कुलपति विद्युत चक्रवर्ती के प्रति अनुचित व्यवहार प्रदर्शित करने और उनके निर्देशों का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए रविवार को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया .
विश्वविद्यालय प्रशासन ने नोटिस में दावा किया है कि आठ जून की बैठक के दौरान जब भौतिकी शास्त्र के प्रोफेसर मानस मैती से वेतन अदायगी के मुद्दे और बेबुनियाद आरोप लगाकर एजेंडा को पटरी से उतारने के बारे में जवाब मांगा गया तब वह कुलपति को गालियां देने लगे. मैती को आरोपों पर तीन दिन के अंदर जवाब देने को कहा गया है.
इससे पहले मैती ने कुलपति पर इस बैठक में उनके और कुछ अन्य शिक्षकों के विरूद्ध 'अशोभनीय टिप्पणियां' करके कथित रूप से उन्हें अपमानित करने को लेकर शनिवार को शांतिनिकेतन थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. कारण बताओ नोटिस जारी होने के कुछ ही घंटे बाद मैती ने दावा किया कि बैठक में 'कुलपति द्वारा बार बार उकसाये जाने के बाद भी वह शांत रहे लेकिन अंतत: इस संवाद से लॉगआउट कर दिया गया. '
प्रोफेसर ने प्राथमिकी में यह आरोप भी लगाया है कि बैठक में कुलपति ने कुछ अध्यापकों पर जानबूझकर बैठक का ब्योरा लीक करने का आरोप लगाया एवं यह सवाल किया कि क्या ‘ऐसी मानसिकता वाले लोग' इस प्रतिष्ठित संस्थान के शिक्षक बनने लायक हैं, उनके इस आरोपों से शिक्षकों की गरिमा गिरी है.
कुलपति के कट्टर विरोधी वामपंथी रूझान वाले विश्व भारती विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (वीबीयूजेएफए) ने मैती के खिलाफ कार्रवाई की निंदा की और कोविड-19 पाबंदियां हटने के बाद 'कुलपति के निरंकुश रवैये एवं इस केंद्रीय संस्थान के स्वतंत्र चिंतकों को चुप कराने के उनके कदम' के विरूद्ध प्रदर्शन करने की चेतावनी दी.
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विश्वविद्यालय के एक सूत्र ने कहा, 'कुलपति द्वारा बुलायी गयी हर बैठक में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित इस विश्वविद्याल की अकादमिक उपलब्धि को सामने रखने के बजाय वीबीयूजेएफए द्वारा विवाद खड़ा करने का प्रयास किया जाता है.'
इस आश्रम से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, 'कुलपति और वीबीयूजेएफए के बीच खींचतान से अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रतिष्ठित इस संस्थान की छवि को नुकसान पहुंच रहा है. '
विश्व भारती को 1921 में औपचारिक रूप से एक विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया था. उससे पहले वह 1901 से शैक्षणिक केंद्र के रूप में अस्तित्व में था.
(पीटीआई-भाषा)