नाहन/पांवटा: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में पेश आए बेहद पीड़ादायक हादसे में विनोद ने अपने मां-पिता, पत्नी और अपने जिगर के दो बेशकीमती टुकड़ों को खो दिया. परिवार के पांच सदस्यों को खो देने वाला अभागा विनोद इस दुख से टूट गया है, लेकिन इस हादसे में एक ऐसे बेजुबां का दर्द भी सामने आया है, जिसे देखकर दिल की नाजुक रगें तक टूट रही हैं. ये दर्द है विनोद के परिवार के पालतू कुत्ते मोती का. परिवार के मुखिया सहित बच्चों, उनकी मां और दादी के हाथों का दुलार पाने वाला मोती बदहवास से मलबे के बीच उनके जीवन की धड़कन को तलाशते हुए इधर से उधर भाग रहा था. जिन हाथों से वो रोज घी चुपड़ी रोटी पाकर निहाल होता था, उन्हीं ममता से भरे नर्म-गर्म हाथ और गोद की तलाश में वो मलबे में चारों तरफ दौड़ रहा था.
सिरमौरी ताल हादसा बुधवार 9 अगस्त की रात को हुआ. बुधवार देर रात विनोद की ममेरी बहन ने बदहवासी की हालत में उसे फोन किया और कहा कि यहां मानों बादल फटा है, आप मेरे बच्चों को अपने घर ले जाओ ताकि वे सुरक्षित रह सकें. विनोद अपनी बहन के बच्चों को बचाने के लिए गया, लेकिन ये किसे पता था कि नियति ने उसी के परिवार को तबाह करने वाली बारिश भेज दी है. विनोद वापिस आया तो उसका घर मलबे का ढेर बन चुका था. बादल फटने से भारी जल सैलाब ने उसके घर को पल भर में मिट्टी में मिला दिया. विनोद की चीख-पुकार सुनकर गांव के लोग आए. मलबे के ढेर में विनोद के माता-पिता, पत्नी और दो बच्चों की तलाश शुरू हुई.
भीगी आंखों से अपनों को ढूंढ रहा मोती: वीरवार को दादा और पोती के शव मिले. शुक्रवार को विनोद की मां, पत्नी और बेटे की पार्थिव देह मलबे में मिल गई. सबका ध्यान रेस्क्यू ऑपरेशन पर था, लेकिन आसपास एक ऐसा बेजुबां बदहवासी में इधर-उधर दौड़ रहा था, जिसका दुख कोई समझ नहीं पा रहा था. घर का पालतू कुत्ता मोती, जिसे बच्चे कई नामों से पुकारते थे, वो भी अपनों की तलाश में था। जब परिवार के मुखिया कुलदीप व घर की लाड़ली दीपिका की पार्थिव देह मलबे में मिली तो मोती भी उस जगह दौड़ते हुए पहुंचा. उसकी आंखें भीगी हुई थीं.
भूखे-प्यासे मलबे में अपनों को तलाश रहा: हादसे के तीसरे दिन शुक्रवार को स्थानीय लोगों ने उसे रोटी के टुकड़े दिए, लेकिन उसने रोटी को मुंह तक नहीं लगाया. मलबे में उसके पैर धंस रहे थे. कभी यहां, कभी वहां, मोती इस आस में था कि शायद उसके मालिक की झलक उसे मिल जाए. मोती अपने सबसे अच्छे खेल पार्टनर नितेश को तलाश रहा था. दीपिका अपने नन्हें हाथों से उसे दुलारती थी. मोती मलबे में उन्हीं नन्हें हाथों के स्पर्श की खोज में था. उसे क्या मालूम था कि मलबे ने उसके प्यारे दोस्तों को उससे छीन लिया है. फिर भी वो इधर से उधर भाग रहा था और मलबे में जीवन की धड़कन सूंघने की कोशिश कर रहा था. उसकी आंखों में नमी साफ दिख रही थी.
बेजुबां की वफादारी ने हर आंख की नम: मोती अब परिवार के एकमात्र जीवित बचे सदस्य विनोद के आसपास मंडरा रहा है. वो बेजुबां अपने तरीके से उसका दुख बांटने का प्रयास कर रहा है. गुरुवार व शुक्रवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान पालतू कुत्ते की वफा देखकर सबकी आंखें बार-बार नम हो रही थी. विनोद तो चीख भरे शब्दों से अपनी पीड़ा व्यक्त कर पा रहा था, लेकिन मोती के पास तो एक अदद आह के लिए भी जुबां नहीं है. एसडीएम गुणजीत सिंह चीमा बराबर राहत कार्य में जुटे रहे. वे भी पालतू कुत्ते की वफादारी देखकर भाव विह्वल हो रहे थे. स्थानीय लोगों के अनुसार परिवार का काले रंग का ये कुत्ता बच्चों के साथ खूब खेलता था. मासूम बच्चों दीपिका व नितेश का वो सबसे प्यारा खेल पार्टनर था.
विनोद के आस-पास मंडराता रहा मोती: अब मोती को समझ नहीं आ रहा कि परिवार के जिन लोगों के दुलार के सहारे वो पूरे घर में और आंगन में उछल-कूद करता था, उनके शरीर बेजान से क्यों हो गए थे. जिन लोगों ने दुख से भरे मोती को मलबे के आसपास मंडराते देखा, वो आपस में चर्चा कर रहे थे. विनोद तो अपना दुख सबसे बांट कर मन को अवसाद से बचाने की कोशिश कर लेगा, लेकिन बेजुबां मोती अपना दर्द किसको कहेगा. नियति ने पल भर में विनोद के हंसते-खेलते परिवार को तबाह कर दिया. विनोद के परिवार के पांच सदस्यों का अंतिम संस्कार हो चुका है. मोती निरंतर विनोद के आसपास मंडराते हुए उदास आंखों से अपने मालिक का दर्द देख रहा है.