शिमला: हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सिरमौर जिले के रेणुकाजी से विधायक विनय कुमार डिप्टी स्पीकर बने. सदन में उन्हें सोमवार को सर्वसम्मति से डिप्टी स्पीकर चुना गया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने स्पीकर की अनुमति के बाद विनय कुमार डिप्टी स्पीकर बनाने को लेकर पहला प्रस्ताव सदन में रखा, जिसका डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री ने समर्थन किया. कांग्रेस के टिकट पर तीसरी बार विधायक बनकर आए विनय कुमार की नियुक्ति से सिरमौर जिला कांग्रेस में भी खुशी की लहर है. विनय कुमार के पिता स्व. प्रेम सिंह भी कई बार विधायक रह चुके हैं. राजनीति उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है.
दरअसल 12 मार्च 1978 को रेणुका जी के माइना बाग में जन्मे विनय कुमार साल 2022 के हुए विधानसभा चुनाव में तीसरी बार विधायक बने. भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह को हराकर क्षेत्र की जनता ने उन्हें लगातार तीसरी बार विधायक की कुर्सी सौंपी. श्री रेणुका जी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में शुमार है. बता दें कि इससे पहले वर्ष 2017 के चुनाव में भी कांग्रेस के विनय कुमार ने 22028 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. वहीं, 2012 के चुनाव में वह पहली बार 21332 वोट हासिल कर विधायक बने थे और उन्हें सीपीएस का पद सौंपा गया. अब सुक्खू सरकार में उन्हें डिप्टी स्पीकर की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है. विनय कुमार पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र परिवार के करीबी माने जाते हैं.
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बता दें कि विनय कुमार को राजनीति विरासत में मिली है. हालांकि निष्ठावान होने के बावजूद विनय कुमार के पिता स्व. डॉ. प्रेम सिंह मंत्री नहीं बन पाए थे. ऐसा माना जाता है कि दिवंगत वीरभद्र सिंह को इस बात का मलाल था कि डॉ. प्रेम सिंह को मंत्री नहीं बना सके. स्व. प्रेम सिंह के निधन के बाद बेटे को उप चुनाव में पार्टी ने टिकट दिया. हालांकि विनय कुमार उपचुनाव हार गए थे, लेकिन साल 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की.
लिहाजा वीरभद्र सरकार में उन्हें लोक निर्माण विभाग में मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया. विधायक विनय कुमार का राजनीतिक जीवन करीब 12 साल का हो चुका है. बता दें कि वर्तमान में विनय कुमार प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कार्यकारी अध्यक्ष के पद पर भी तैनात है. बता दें कि विनय कुमार ने जमा दो तक की शिक्षा ग्रहण की है. उनका विवाह सीमा भूषण के साथ हुआ है. विनय कुमार के पास एक बेटा और एक बेटी है. दरअसल 12 मार्च 1978 को रेणुका जी के माइना बाग में जन्मे विनय कुमार वर्ष 2022 के हुए विधानसभा चुनाव में तीसरी बार विधायक बने. भाजपा प्रत्याशी नारायण सिंह को हराकर क्षेत्र की जनता ने उन्हें लगातार तीसरी बार विधायक की कुर्सी सौंपी. श्री रेणुका जी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में शुमार है.
बता दें कि इससे पहले वर्ष 2017 के चुनाव में भी कांग्रेस के विनय कुमार ने 22028 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. वहीं, 2012 के चुनाव में वह पहली बार 21332 वोट हासिल कर विधायक बने थे और उन्हें सीपीएस का पद सौंपा गया. अब सुक्खू सरकार में उन्हें डिप्टी स्पीकर की नई जिम्मेदारी सौंपी गई है. विनय कुमार पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र परिवार के करीबी माने जाते हैं. विनय कुमार को राजनीति विरासत में मिली है. हालांकि निष्ठावान होने के बावजूद विनय कुमार के पिता स्व. डॉ. प्रेम सिंह मंत्री नहीं बन पाए थे.
ऐसा माना जाता है कि दिवंगत वीरभद्र सिंह को इस बात का मलाल था कि डॉ. प्रेम सिंह को मंत्री नहीं बना सके. स्व. प्रेम सिंह के निधन के बाद बेटे को उप चुनाव में पार्टी ने टिकट दिया. हालांकि विनय कुमार उपचुनाव हार गए थे, लेकिन साल 2012 के विधानसभा चुनाव में पहली बार जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की. लिहाजा वीरभद्र सरकार में उन्हें लोक निर्माण विभाग में मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया. विधायक विनय कुमार का राजनीतिक जीवन करीब 12 साल का हो चुका है. बता दें कि विनय कुमार ने जमा दो तक की शिक्षा ग्रहण की है. उनका विवाह सीमा भूषण के साथ हुआ है. विनय कुमार का एक बेटा और एक बेटी हैं.
स्व. प्रेम सिंह भी 6 बार इसी सीट से रह चुके विधायक: वहीं, विनय कुमार के पिता डॉ. प्रेम सिंह भी 6 बार विधायक रहे. डॉ. प्रेम सिंह पहली बार 1982 में कांग्रेस टिकट पर रेणुका विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने. 1985 में वह फिर से चुने गए. इसके बाद 1993, 1998 व 2003 में भी वह कांग्रेस की टिकट पर ही विधायक बने और दिसंबर 2007 में हुए चुनावों में भी क्षेत्र की जनता का समर्थन लेकर विधानसभा में पहुंचे थे. इस दौरान डॉ. प्रेम सिंह सिर्फ एक बार जनता दल के उम्मीदवार रूप सिंह से विधानसभा का चुनाव हारे थे. डॉ. प्रेम 2005 में कुछ समय के लिए मुख्य संसदीय सचिव भी बने. साल 1993-98 तक वह स्टेट मिल्क फेडरेशन के अध्यक्ष और अनुसूचित जाति एवं जनजाति समिति के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने 80 के दषक में सरकारी नौकरी छोड़कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया था. सितंबर 2011 में डॉ. प्रेम सिंह का निधन हो गया था, जिसके बाद अब उनकी राजनीतिक विरासत को उनके बेटे विनय कुमार संभाल रहे हैं.
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