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पथरीला रास्ता और बीमार को डंडी-कंडी का सहारा, आखिर कब खत्म होगा पहाड़ का 'दर्द' - पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल

दशोली विकासखंड का दूरस्थ ईरानी गांव सड़क से 8 किलोमीटर दूर है. शनिवार को गांव की भवानी देवी को उपचार के लिए गांव के पथरीले रास्ते से डंडी-कंडी के सहारे अस्पताल पहुंचाया गया.

अस्पताल
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Published : Feb 20, 2021, 10:52 PM IST

चमोली : प्रदेश सरकार के लाख दावों और कोशिशों के बावजूद उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे चल रही हैं. पहाड़ के गांवों में न तो सड़क पहुंच पाई है और न ही स्वास्थ्य सेवाएं. इसकी बानगी चमोली जनपद के दशोली विकाखंड में देखने को मिली है. यहां एक महिला की तबीयत बिगड़ने पर उसको गांव के लोगों को कंधों के सहारे 8 किमी. की दूरी तय कर सड़क तक लाना पड़ा. जहां से वाहन के जरिए जिला चिकित्सालय पहुंचाया.

ग्रामीण जसपाल सिंह ने बताया शुक्रवार की रात को ईराणी की भवानी देवी की तबीयत अचानक बिगड़ गई. गांव में स्वास्थ्य सुविधा न होने से बीमार भवानी देवी रात भर दर्द से तड़पती रहीं. शनिवार की सुबह गांव के लोग उन्हें डंडी-कंडी के सहारे पथरीले रास्ते से किसी तरह सड़क तक लाए.

पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल

पढ़ें :- कर्नाटक : बीमार महिला को डोली में बैठाकर 11 किमी दूर अस्पताल पहुंचाया

देश की आजादी को मिले 73 साल का वक्त बीत चुका है. लेकिन पहाड़ों के गांव आज भी स्वास्थ्य सेवाओं के पहुंचने की आस लगाए बैठे हैं. मूलभूत सुविधाओं से वंचित उर्मग घाटी और डुमक, कलगोंठ और किमाणा के ग्रामीण इससे पहले भी कई बार मरीजों को कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचा चुके हैं.

चमोली : प्रदेश सरकार के लाख दावों और कोशिशों के बावजूद उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे चल रही हैं. पहाड़ के गांवों में न तो सड़क पहुंच पाई है और न ही स्वास्थ्य सेवाएं. इसकी बानगी चमोली जनपद के दशोली विकाखंड में देखने को मिली है. यहां एक महिला की तबीयत बिगड़ने पर उसको गांव के लोगों को कंधों के सहारे 8 किमी. की दूरी तय कर सड़क तक लाना पड़ा. जहां से वाहन के जरिए जिला चिकित्सालय पहुंचाया.

ग्रामीण जसपाल सिंह ने बताया शुक्रवार की रात को ईराणी की भवानी देवी की तबीयत अचानक बिगड़ गई. गांव में स्वास्थ्य सुविधा न होने से बीमार भवानी देवी रात भर दर्द से तड़पती रहीं. शनिवार की सुबह गांव के लोग उन्हें डंडी-कंडी के सहारे पथरीले रास्ते से किसी तरह सड़क तक लाए.

पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल

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देश की आजादी को मिले 73 साल का वक्त बीत चुका है. लेकिन पहाड़ों के गांव आज भी स्वास्थ्य सेवाओं के पहुंचने की आस लगाए बैठे हैं. मूलभूत सुविधाओं से वंचित उर्मग घाटी और डुमक, कलगोंठ और किमाणा के ग्रामीण इससे पहले भी कई बार मरीजों को कंधे पर लादकर अस्पताल पहुंचा चुके हैं.

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