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राजस्थान : अंग्रेजी माध्यम स्कूल के खिलाफ ग्रामीण पहुंचे हाईकोर्ट, सरकार को झटका, हिन्दी में पढ़ाई शुरू

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Published : Jan 23, 2023, 3:49 PM IST

Updated : Jan 23, 2023, 6:01 PM IST

राजस्थान के जोधपुर में एक स्कूल को अंग्रेजी माध्यम करने से ग्रामीण नाराज (Villagers reach court in Jodhpur) हो गए. जिसके बाद ग्रामीण इस मसले को लेकर कोर्ट जा पहुंचे, जहां ग्रामीणों की दलील सुनने के बाद आखिरकार कोर्ट ने भी ग्रामीणों के पक्ष में फैसला दिया.

Villagers reach court in Jodhpur
Villagers reach court in Jodhpur
जिला शिक्षा अधिकारी ने क्या कहा...

जोधपुर. शिक्षा में बेहतरी के लिए सरकार हिंदी माध्यम में चल रही एक हजार स्कूलों को अंग्रेजी में परिवर्तित कर रही है. इसके तहत जिले के लोहावट विधानसभा के पिलवा गांव की हरि सिंह राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में उच्च प्राथमिक यानी की आठवीं कक्षा तक अंग्रेजी माध्यम कर दी गई. लेकिन ग्रामीणों और विद्यालय विकास प्रबंधन समिति को यह रास नहीं आया. शिक्षा विभाग और ग्रामीणों के बीच शुरू हुई जंग आखिरकार राजस्थान हाईकोर्ट में गत माह जा पहुंची. जहां हिंदी की जीत हुई.

आखिरकार शिक्षा विभाग को आदेश वापस लेना पड़ा. विद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य हीरालाल शर्मा का कहना है कि विभाग के आदेश पर अंग्रेजी माध्यम शुरू हुआ था. लेकिन न्यायालय के आदेश पर फिर से यहां हिंदी माध्यम में ही पढ़ाई हो रही है. दरअसल, 1945 में पिलावा गांव में स्कूल शुरू हुआ था, लेकिन तब भवन नहीं था. हालांकि आगे चलकर यहां शहीद हरिसिंह के नाम पर भवन का निर्माण हुआ और इस स्कूल का नाम हरिसिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें - 40 schools upgraded in Rajasthan: संस्कृत के 40 स्कूल क्रमोन्नत, खोले गए 10 नए प्राथमिक विद्यालय

जानें पूरा मामला: स्कूल में 2021 तक करीब आठ सौ छात्र-छात्राएं पढ़ रहे थे. 2021 में यहां आठवीं तक अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई का आदेश लागू किया गया था. जिसके तहत सत्र 2022 में अंग्रेजी माध्यम शुरू होना था. लेकिन ग्रामीणों ने इस पर एतराज जताया और कहा कि जिन बच्चों को हिंदी माध्यम में पढ़ाई करनी है, वे कहां जाएंगे. उनको आठ से दस किलोमीटर दूर जाना होगा. इसके अलावा जो बच्चे आठवीं कक्षा में पढ़ रहे थे, उनको अगले साल नवमी कक्षा में सीधे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करनी पड़ती है. इससे आगे उनके परिणाम प्रभावित होते हैं.

पेश आ रही थी ये दिक्कत: इससे दसवीं और बारहवीं पास कर सेना में जाने वाले युवकों की परेशानी देखते हुए प्रबंधन समिति ने बैठक कर सहमति बनाकर शिक्षा विभाग के आदेश को वापस लेने के लिए आग्रह किया. लेकिन शिक्षा विभाग ने इससे इनकार कर दिया. इसके बाद समिति ने हाईकोर्ट में अपील कर विभाग के आदेश पर स्टे ले लिया. जिससे अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई नहीं रूक गई. इस स्टे के विरोध में शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट की डबल बैंच में अपील की, जहां समिति के तर्कों से न्यायालय ने सहमति जताई और कहा कि अंग्रेजी माध्यम का विरोध नहीं है. लेकिन साथ में हिंदी माध्यम में अध्ययन करने वालों के लिए भी व्यवस्था जरूरी है. ऐसे में शिक्षा विभाग के आदेश को निरस्त कर दिया.

इसलिए किया कोर्ट का रुख: ग्रामीण श्रवण सिंह ने बताया कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू करने के लिए गांव में दो स्कूल भवन लंबे समय से खाली हैं. जो विद्यालय के मर्ज होने से खाली हुए हैं. लोगों ने शिक्षा विभाग को प्रस्ताव दिया कि खाली भवन में अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू किया जाए. लेकिन विभाग मौजूदा स्कूल को ही अंग्रेजी में परिवर्तित करने में अड़ा रहा. जिसके चलते उन लोगों को कोर्ट का रुख करना पड़ा.

शहीद बेटे की याद में बनी थी स्कूल: पीलवा के ठाकुर गोपाल सिंह के पुत्र हरि सिंह सेना में लेफ्टिनेंट थे. जब वे शहीद हो गए तो सेना से मिली धन से गोपाल सिंह ने अपने बेटे की याद में स्कूल के भवन का निर्माण करवाया था. नियमानुसार सरकार ने भामाशाह की ओर से निर्मित स्कूल को परिवर्तित करने पर सहमति लेने का नियम बनाया था. लेकिन इस मामले में किसी तरह की सहमति नहीं ली गई थी. यह भी एक विवाद का विषय था.

78 साल में पांच सौ सैनिक: हरि सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय के खुलने के बाद से अब तक पांच सौ युवक यहां से अध्ययन के बाद सेना में चयनित हो चुके हैं. जिनमें केई सेवानिवृत हो गए. इसके अलावा राज्य सरकार के पूर्व मंत्री स्व नरपतराम बरवड, शिक्षा अधि कारी भल्लूराम खिंचड, लोहावट विधायक किसनाराम विश्नोई भी यहां पढ चुके हैं.

जिला शिक्षा अधिकारी ने क्या कहा...

जोधपुर. शिक्षा में बेहतरी के लिए सरकार हिंदी माध्यम में चल रही एक हजार स्कूलों को अंग्रेजी में परिवर्तित कर रही है. इसके तहत जिले के लोहावट विधानसभा के पिलवा गांव की हरि सिंह राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में उच्च प्राथमिक यानी की आठवीं कक्षा तक अंग्रेजी माध्यम कर दी गई. लेकिन ग्रामीणों और विद्यालय विकास प्रबंधन समिति को यह रास नहीं आया. शिक्षा विभाग और ग्रामीणों के बीच शुरू हुई जंग आखिरकार राजस्थान हाईकोर्ट में गत माह जा पहुंची. जहां हिंदी की जीत हुई.

आखिरकार शिक्षा विभाग को आदेश वापस लेना पड़ा. विद्यालय के कार्यवाहक प्राचार्य हीरालाल शर्मा का कहना है कि विभाग के आदेश पर अंग्रेजी माध्यम शुरू हुआ था. लेकिन न्यायालय के आदेश पर फिर से यहां हिंदी माध्यम में ही पढ़ाई हो रही है. दरअसल, 1945 में पिलावा गांव में स्कूल शुरू हुआ था, लेकिन तब भवन नहीं था. हालांकि आगे चलकर यहां शहीद हरिसिंह के नाम पर भवन का निर्माण हुआ और इस स्कूल का नाम हरिसिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय कर दिया गया.

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जानें पूरा मामला: स्कूल में 2021 तक करीब आठ सौ छात्र-छात्राएं पढ़ रहे थे. 2021 में यहां आठवीं तक अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई का आदेश लागू किया गया था. जिसके तहत सत्र 2022 में अंग्रेजी माध्यम शुरू होना था. लेकिन ग्रामीणों ने इस पर एतराज जताया और कहा कि जिन बच्चों को हिंदी माध्यम में पढ़ाई करनी है, वे कहां जाएंगे. उनको आठ से दस किलोमीटर दूर जाना होगा. इसके अलावा जो बच्चे आठवीं कक्षा में पढ़ रहे थे, उनको अगले साल नवमी कक्षा में सीधे अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करनी पड़ती है. इससे आगे उनके परिणाम प्रभावित होते हैं.

पेश आ रही थी ये दिक्कत: इससे दसवीं और बारहवीं पास कर सेना में जाने वाले युवकों की परेशानी देखते हुए प्रबंधन समिति ने बैठक कर सहमति बनाकर शिक्षा विभाग के आदेश को वापस लेने के लिए आग्रह किया. लेकिन शिक्षा विभाग ने इससे इनकार कर दिया. इसके बाद समिति ने हाईकोर्ट में अपील कर विभाग के आदेश पर स्टे ले लिया. जिससे अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई नहीं रूक गई. इस स्टे के विरोध में शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट की डबल बैंच में अपील की, जहां समिति के तर्कों से न्यायालय ने सहमति जताई और कहा कि अंग्रेजी माध्यम का विरोध नहीं है. लेकिन साथ में हिंदी माध्यम में अध्ययन करने वालों के लिए भी व्यवस्था जरूरी है. ऐसे में शिक्षा विभाग के आदेश को निरस्त कर दिया.

इसलिए किया कोर्ट का रुख: ग्रामीण श्रवण सिंह ने बताया कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू करने के लिए गांव में दो स्कूल भवन लंबे समय से खाली हैं. जो विद्यालय के मर्ज होने से खाली हुए हैं. लोगों ने शिक्षा विभाग को प्रस्ताव दिया कि खाली भवन में अंग्रेजी माध्यम स्कूल शुरू किया जाए. लेकिन विभाग मौजूदा स्कूल को ही अंग्रेजी में परिवर्तित करने में अड़ा रहा. जिसके चलते उन लोगों को कोर्ट का रुख करना पड़ा.

शहीद बेटे की याद में बनी थी स्कूल: पीलवा के ठाकुर गोपाल सिंह के पुत्र हरि सिंह सेना में लेफ्टिनेंट थे. जब वे शहीद हो गए तो सेना से मिली धन से गोपाल सिंह ने अपने बेटे की याद में स्कूल के भवन का निर्माण करवाया था. नियमानुसार सरकार ने भामाशाह की ओर से निर्मित स्कूल को परिवर्तित करने पर सहमति लेने का नियम बनाया था. लेकिन इस मामले में किसी तरह की सहमति नहीं ली गई थी. यह भी एक विवाद का विषय था.

78 साल में पांच सौ सैनिक: हरि सिंह उच्च माध्यमिक विद्यालय के खुलने के बाद से अब तक पांच सौ युवक यहां से अध्ययन के बाद सेना में चयनित हो चुके हैं. जिनमें केई सेवानिवृत हो गए. इसके अलावा राज्य सरकार के पूर्व मंत्री स्व नरपतराम बरवड, शिक्षा अधि कारी भल्लूराम खिंचड, लोहावट विधायक किसनाराम विश्नोई भी यहां पढ चुके हैं.

Last Updated : Jan 23, 2023, 6:01 PM IST
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