त्र्यंबकेश्वर: बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर से हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. यहां त्र्यंबकेश्वर गांव में होने वाले भोज के दौरान जातिगत भेदभाव की व्यवस्था है. बताया जा रहा है कि गांव में एक जाति विशेष और उनके परिवारों के लिए अलग पंगत होती है, जबकि अन्य समाज के लोगों के लिए अलग पंगत बैठाई जाती है. महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति ने कहा कि यह तरीका लोगों के बीच भेदभाव बढ़ा रहा है. इससे सामाजिक असमानता को बढ़ावा मिल रहा है. इसलिए महाराष्ट्र अंधविश्वास निर्मूलन समिति ने इस तरीके को बंद किए जाने की मांग की है. समिति ने इस संबंध में त्र्यंबकेश्वर तहसीलदार और पुलिस निरीक्षक को पत्र लिखा है.
गांव में हर साल होता है भोज: त्र्यंबकेश्वर में महादेवी ट्रस्ट की ओर से गांव में हर साल भोज का आयोजन किया जाता है. यह भोज ग्राम देवताओं के धार्मिक अनुष्ठानों के बाद चैत्र या वैशाख के महीने में आयोजित किया जाता है. इसके लिए पूरे गांव से चंदा और सामान के रूप में खाद्य सामग्री जुटाई जाती है. त्र्यंबकेश्वर गांव के सभी सामाजिक तबके के लोग यहां भोजन के लिए आते हैं. बताया जाता है कि गांव की एक विशेष जाति के लोगों और उनके परिवारों के लिए अलग से भोजन पकाया जाता है और उनकी पंगत भी अलग लगती है.
संविधान का उल्लंघन: महाराष्ट्र के कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि महादेवी ट्रस्ट द्वारा सार्वजनिक भोजन स्थलों में इस तरह का अपमानजनक और अमानवीय जातिगत भेदभाव वर्षों से किया जा रहा है. अंधविश्वास निर्मूलन समिति का कहना है कि अगर संबंधित महादेवी ट्रस्ट द्वारा इस तरह का जातिगत भेदभाव किया जाता है, तो यह संविधान का उल्लंघन है. अंधविश्वास निर्मूलन समिति का कहना है कि अगर चंदा लेकर गांव में भोज का आयोजन कराया जाता है तो सभी गांव वाले बिना किसी भेदभाव के एक पंक्ति में बैठ कर भोजन करें.
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इस संबंध में समिति ने त्र्यंबकेश्वर तहसीलदार पत्र लिखा है. साथ ही अनुरोध किया है कि धार्मिक अनुष्ठानों और कर्मकांडों के नाम पर त्र्यंबकेश्वर तालुका क्षेत्र में अन्य स्थानों पर इस तरह की असंवैधानिक गतिविधियां चल रही हैं, तो उन्हें स्थायी रूप से रोका जाना चाहिए. समिति ने पत्र की प्रति प्रदेश के मुख्य सचिव डॉ. थाकसेन गोराने, त्र्यंबकेश्वर के कार्यकारी अध्यक्ष संजय हराले और त्र्यंबकेश्वर के प्रधान सचिव दिलीप काले को भेजी गई है.